यमकेश्वर , सरकार की बेरुखी का दंश झेल रहे वीर काटल, मंगलिया गांव के लोग, खेत खलिहान चढ़े आपदा की भेंट
यमकेश्वर: उत्तराखंड से आपदा की भयावह तस्वीरें मिल रही है और काफी जान माल की हानि के समाचार सुनने को मिल रहा है लेकिन एक ऐसा गांव जो राजधानी देहरादून से मात्र 60 किमी ऋषिकेश से मात्र 25 किमी की दुरी पर स्थित है क्षेत्र पंचायत बूंगा के अंतर्गत ग्राम सभा बूंगा का खंड ग्राम वीर काटल जो कि आज भी पलायन को धता बताते हुये पुरा गांव आबाद है यहां के लोग खेती पर निर्भर अपना जीवन यापन कर रहे हैं और 2014 की आपदा मे भी वीर काटल आपदा का दंश झेल चुका है क्षेत्र के जन प्रतिनिधि पूर्व सैनिक क्षेत्र पंचायत बूंगा सुदेश भट्ट ने बताया कि जहां सडक से लगते गांवों की सुध लेने छोटे बडे नेता कर्मचारी अधिकारी मिडिया सब पहुंच रहे हैं वहीं वीर काटल जो कि पूर्ण रुप से चारों ओर से संपर्क मार्गों से कट चुका है यहां पर बच्चे स्कूल जाने मे असमर्थ हैं गांव मे कई बुजुर्ग बीमार हैं लेकिन दवा लेने मोहन चट्टी अस्पताल तक भी नही जा पा रहे क्यों कि वीर काटल को जोडने वाला नाई गधेरा पुल पूर्ण रुप से आपदा की भेंट चढ चुका है व गांव को जोडने वाला बाकि रास्ता जिसे लॉक डाउन मे क्षेत्र पंचायत बूंगा के आह्वान पर ग्रामीणों ने श्रम दान कर बनाया था लगभग 650 मीटर तक अपना अस्तित्व खो चुका है व रास्ते के नाम पर एक गहरी व भयावह खाई बन चुकी है जिस कारण रोज मर्रा के काम से या अपनी आजिविका को लेकर रोजगार की तलाश मे घोडे खच्चर वाले, वाहन चालक, और ध्याडी मजदुरी करने वाले ग्रामीण गांव मे ही फंस गये जिस कारण उनके आगे आजिविका की समस्या उत्पन्न हो गयी लोगों के घरों मे रसद सामग्री समाप्त होने लगी और गांव को जोडने वाले संपर्क मार्ग पूर्ण रुप से जमींदोज हो चुके हैं साथ ही गांव के तीन चार मकान आपदा के भारी भरकम मलवे की जद मे आ रखे हैं जिस कारण उन घरों के लोग दुसरे घरों मे रात काटने को मजबुर हैं लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के प्रति अनदेखी के चलते जहां पुरे ग्रामीण स्वयं को असहाय महसूस कर रहे हैं वहीं क्षेत्र पंचायत बूंगा ने वीर काटल के साथ प्रशासन की ईस घोर लापरवाही पर अफसोस व्यक्त करते हुये कहा कि प्रशासन को शीघ्र से शीघ्र वीर काटल मे राहत एवं आपदा मे हुये नुकसान की भरपाई व काश्तकारों को उचित मुवावजे के लिये अपनी टीम भेजनी चाहिये! साथ ही बूंगा के नावधार तोक मे अमीर चंद का मकान भी आपदा की जद मे आ गया जिससे घर के आगे लगभग 25 मीटर की खाई पैदा हो गयी व अमीर चंद अपने परिवार के साथ जू. हा. स्कूल शक्तिखाल मे रात काटने को मजबुर है सुदेश भट्ट ने बताया वो आपदा के ईस दौर मे निरंत्तर प्रशासन के सहयोग मे तत्पर हैं व वो अपनी सेवा निवृत्ति के बाद से ही एवं कोविड से लेकर किसी भी प्राकृतिक आपदाओं मे हमेशा प्रशासन को सहयोग मे आगे रहते हैं व वर्तमान आपदा मे भी वो बराबर प्रशासन को सहयोग कर रहे हैं लेकिन उनकी पुरी क्षेत्र पंचायत के बुरी तरह आपदा ग्रस्त होने के बाद भी प्रशासन के अब तक रव्वैय्ये से सुदेश भट्ट काफी निरास नजर आये और अब उन्होने क्षेत्र की विकट समस्या को आगे लाने हेतु मिडिया से भी आह्न कर वीर काटल जैसे गांवों की समस्या को राज्य स्तर व राष्ट्रीय पटल पर उजागर कर समाधान की गुहार लगाई