कोटद्वारधर्म-कर्म

सिद्धबली मंदिर में आपकी मनोकामना पूर्ण हो गई है और आप भंडारा करवाना चाहते है तो 2025 के बाद ही आपको मौका मिलेगा,

कोटद्वार : उत्तराखंड को यू ही नहीं देवो की भूमि कहा जाता हैं, दरअसल हर कोई अपनी एक मनोकामना के साथ कोटद्वार आता हैं। जिसके बाद यहां के प्रख्यात मंदिर सिद्धबली के दर्शन कर अपनी एक मनोकामना को मांगता हैं। यदि उसकी मनोकामना पूरी हो जाती हैं तो वह यहां आकर श्रधालुओ को भंडारा करवाता हैं। परन्तु यहां की यह खास बात हैं यदि आपकी भी कोई मनोकामना पूर्ण हो चुकी हैं तो 2025 तक आपको रुकना होगा ।क्योंकि  जिनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई है उनके लिए 2025 तक भंडारा करने के लिए पहले ही बुक हो  चुके है।

 

क्या हैं इस मंदिर की खासियत

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार के प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर में हर दिन दर्शनार्थियों का मेला लगा रहता है। यहां प्रदेश से ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से हिंदू श्रद्धालु आते हैं और अपनी मन्‍नत मांगते हैं। कहते हैं यहां अगर सच्चे मन से पूजा अर्चना करो तो आपकी मुराद जरूर पूरी होती है। श्री सिद्धबली मंदिर की खास बात ये है कि यहां मुराद पूरी होने पर भंडारा देना होता है। कई भक्तों की मन की मुराद पूरी होने के बाद वर्तमान में भंडारे के लिए वर्षों पहले बुकिंग करनी पड़ती है।

क्या हैं यहां की पौराणिक कथा

कहते हैं कलयुग में हनुमान जी ही ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों पर सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। सिद्धबली मंदिर भी हनुमान जी को समर्पित है। पौराणिक अभिलेख बताते हैं कि यहां पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का रास्ता रोक लिया था। दोनों में कई दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमान जी अपने रूप में आए और सिद्धबाबा से वरदान मांगने को कहा। सिद्धबाबा ने हनुमान जी से यहीं रहने की प्रार्थना की, जिसके बाद सिद्धबाबा और बजरंग बली के नाम पर इस स्थान का नाम ‘सिद्धबली’ पड़ा। यहां आज भी मान्यता है कि बजरंग बली अपने भक्तों की मदद करने को साक्षात रूप में यहां विराजमान रहते हैं।

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