देहरादून :- उत्तराखंड पर्वतीय जोत चकबंदी एवं भूमि व्यवस्था नियमावली को मंजूरी देकर सरकार ने पहाड़ में अनिवार्य चकबंदी की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
मैदानी क्षेत्रों में पहले से ही चकबंदी लागू होने के मद्देनजर पर्वतीय क्षेत्रों के लिए इस नियमावली को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसके अंतर्गत अब आपसी सहमति के आधार पर खातेदारों की बिखरीं जोतों को सहत किया जाएगा, साथ ही भूमि अभिलेख अपडेट करने के अलावा गोल खातों में हिस्सेदारी के अंश जोड़े जाएंगे।
अहम बात यह है कि मैदानी क्षेत्रों की भांति पर्वतीय इलाकों में भी भूमि की आपसी सहमति के आधार पर विनिमय हो सकेगा। गांव में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में चकबंदी समिति गठित होगी, जो भी ग्राम पंचायत पचास फ़ीसदी से अधिक भूमि की चकबंदी का प्रस्ताव देगी, वहां अनिवार्य चकबंदी की अधिसूचना जारी की जाएगी।
पर्वतीय क्षेत्र में बिखरी जोत को देखते हुए चकबंदी की बात लंबे समय से जारी है मगर भू अभिलेख अपडेट ना होने व आपसी सहमति न बन पाने समेत अन्य कारणों की वजह से आगे नहीं बढ़ पाई।
चकबंदी अधिनियम तो पूर्व में भी था, लेकिन चकबंदी की व्यवस्था सम्पूर्ण हरिद्वार व उधम सिंह नगर जिलों के अलावा देहरादून पौड़ी नैनीताल व चंपावत के मैदानी क्षेत्रों तक ही सीमित रह गया था। सरकार ने पर्वतीय क्षेत्र के लिए स्वैच्छिक चकबंदी का ऐलान करने के साथ ही कुछ गांव में चकबंदी की, लेकिन, नियमावली के अभाव में कारणों से मुहिम तेजी नहीं पकड़ पाई।
अब जहां बिखरीं जोत का संयोजन हो सकेगा, वहीं आपसी सहमति से भूमि का बंटवारा होने पर कृषि में श्रम व समय की बचत भी होगी, यही नहीं भूलेखो का दुरुस्तीकरण भी किया जाएगा। अभी तक पर्वतीय क्षेत्र में गोल खाते ही अस्तित्व में हैं, तथा पांचवी पीढ़ी से नाम चले आ रहे हैं, इसका निराकरण कर गोल खातों में हिस्सेदारी तय की जाएगी, इससे भूमि सबन्धित विवाद नहीं होंगे।
चकबन्दी होने पर एक ब्यक्ति को उसके हिस्से की जितनी जमीन है वह एक जगह पर दी जाएगी, और जहां घर के बीच दूरी अधिक है, ऐसे मामलों में विनिमय किया जा सकता है। इसके तहत सरकारी अथवा निजी भूमि को आपसी समझौते या फिर नियमोँ के तहत दिया जा सकेगा।
विवाद के मामलों की सुनवाई को मुख्य चकबन्दी अधिकारी से लेकरचकबंदी आयुक्त तक के दरवाजे खुले रहेंगे। गांव में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में चकबंदी समिती का गठन होगा । इसी समिति की परामर्श से चकबंदी की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी
उत्तराखंड पर्वतीय जोत चकबंदी एवं भूमि व्यवस्था नियमावली को मंजूरी से जगी उम्मीद
राज्य के मैदानी क्षेत्र को छोड़कर पर्वतीय क्षेत्रों में लागू होगी यह नियमावली।