यमकेश्वरः व्यवस्थायें समाज को सुव्यवस्थित करने के लिए बनायी जाती हैं, लेकिन कभी कभी व्यवस्था इतनी कड़क बन जाती है कि वह मानवता को हरा देती है। ऐसा ही एक प्रकरण यमकेश्वर ब्लाॅक एवं तहसील के ग्राम बनचूरी निवासी सुमन सिंह के साथ हुआ। सुमन सिंह व्यवस्था के निमयों से लड़ते लड़ते हार गये और अपनी पत्नी एवं दो बच्चों को इन मानवता विहीन व्यवस्था के सुपुर्द कर परलोक सिधार गये। सोशल मीडिया में एक लेख इस बारे में पढा, उसमें मृतक सुमन सिंह के किसी संबंधी का नम्बर लिखा था, उस पर सम्पर्क कर पता किया तो वह मृतक के भाई का नम्बर था। मृतक के भाई ने जैसा बताया वही सब तथ्य आपके सामने प्रस्तुत है।
यमकेश्वर तहसील एवं ब्लाॅक की ग्राम सभा बनचूरी के निवासी श्री सुमन सिंह जो हरियाणा के भिवानी में टैक्नीशियन के पद पर काम करता था। पहले तो सुमन सिंह के साथ नियति ने कठोर मजाक किया। 2013 में उनकी किडनी खराब होने के कारण डायलिसेस पर थे, 13 जून 2013 को उनका किडनी प्रत्यारोपण का सफल इलाज किया गया। 4 साल तक शरीर ने साथ दिया और 2018 में वह हार्ट पेसेंट बन गये, उसके बाद उनकी जीवन शैली दवाईयों पर निर्भर हो गयी।
मार्च 2020 को लाॅकडाउन होने के बाद वह दो महीने भिवानी में रहने के बाद 13 मई 2020 को अपने परिवार के साथ अपने गाॅव बनचूरी आ गये। अपने घर में ही क्वारंटीन रहे। उनके लिए डाॅक्टर ने खुद का ध्यान रखने को कहा था। 10 दिन तक घर पर क्वांरटीन रहे। इस दौरान वह अपनी किडनी एवं हार्ट की दवाईयां लेते रहे। अचानक 25 मई को सुबह तीन बजे उनकी तबियत बिगड़ने लगी और उन्होने जान बचाने के लिये हार्ट की मोनाट्रेट नामक दवाई को अधिक मात्रा में लेनी शुरू कर दी, सुबह पाॅच बजे उनके भाई राकेश कुमार ने यमकेश्वर तहसील के 108 हैल्पलाईन को फोन किया। 10 बजे तक कोई एंबूलेसं नहीं आयी, और नहीं कोई स्पष्ट जबाब मिला। उसके बाद उन्हें बताया कि आपका क्षेत्र दुगड्डा के अधीन आता है, अतः हम किसी भी मरीज को एम्स ऋषिकेश नहीं ले जायेगें। यह बात हमें मृतक के भाई श्री राकेश कुमार ने बताया। उन्होने यह भी बताया कि जब एम्बूलेंस वालों ने कहा कि आप सड़क पर आ जाईये हम कोई व्यवस्था करते हैं, लेकिन 10 बजे तक कोई एंबुलेंस नहीं आयी। गाॅव के लोग उन्हें कुर्सी में बिठाकर कंधें में उठाकर सड़क तक ले आये, एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे लेकिन जब गाडी नहीं आयी तो उसके बाद श्री सुमन सिंह की तबियत बहुत बिगड़ने लगी तो उन्हें मजबूरी में बनचूरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ले गये। लेकिन नियति ने और लचर व्यवस्थाओं के आगे सुमन सिंह जिंदगी की आखिरी लड़ाई हार गये और उन्होने प्राथमिक स्वास्थ केंद्र जाते समय ही प्राण त्याग दिये।
राकेश कुमार ने बताया कि सुमन सिंह के दो छोटे बच्चे हैं तथा अब पत्नी के पास ऐसे कोई साधन नहीं हैं कि वह अपने बच्चों एवं अपना पालण पोषण कर सके। जैसा कि मृतक के भाई ने दूरभाष पर बताया कि गरीबी की वजह से और सुमन सिंह की लम्बी बिमारी ने उनकी परिवार की माली हालात बना दी है। स्व0 सुमन सिंह की बड़ी बेटी निशा नें गरीबी के अभाव में कक्षा 9 से आगे नहीं पढा और बेटा समीर जिसने 10वीं की परीक्षा इसी साल दी है। विधवा माॅ कमलेश्वरी देवी के ऊपर दो बच्चों के पालने और भविष्य में बेेटी के विवाह के लिए आर्थिक संसाधन की समस्या मुॅह बाहे खड़ी है। ऐसे में उनके सामने रोजगार की समस्या तो है ही, लेकिन अब सर पर पति का साया नहीं होने के कारण वह नियति के आगे मजबूर है।
स्व0 सुमन के साथ तो नियती ने जो न्याय करना था वह कर दिया लेकिन अब समस्या कमलेश्वरी देवी और उसके परिवार के लिए आ खड़ी है। उनका कहना है कि आज के जमाने में मॅहगाई और रहन सहन के स्तर ने जीवन को कठिन बना दिया है, वह तो अपना गुजारा कर ही लेगीं लेकिन यक्ष प्रश्न तो बच्चों के भविष्य को लेकर है। बेटी बड़ी होती जा रही है, और बेटा भी आगे पढेगा, उसके लिए पिता का साया नहीं होना अपने आप में चिंता का विषय है।
ऐसे मे सरकार एवं समाज के दायित्वधारीयो से अनुरोध है कि उक्त महिला की मदद कर उसको सहयोग एवं मजबूत बनाने में मानवता को जिंदा रखने में अपना योगदान देने के अवसर का लाभ उठायें। इस संबंध में मै एक नम्बर यहाॅ उपलब्ध करा रहा हॅूं उनसे सम्पर्क कर यथास्थिति से अवगत होकर मानवता का हाथ लम्बा कर सकते हैं।
कमलेश्वरी देवी का मोबाईल नम्बरः 8006690581