देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में वैकुण्ठ चतुर्दशी व देव दीपावली की सम्पूर्ण तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।
ऊखीमठ! 8530 फीट की ऊंचाई व पट्टी तल्लानागपुर के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में 28 व 29 नवम्बर को वैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर मनाई जाने वाली देव दीपावली की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है!
इस वर्ष मन्दिर समिति द्वारा कार्तिक स्वामी तीर्थ को भव्य रूप से सजाया जा रहा है! दो दिवसीय देव दीपावली में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की कार्तिक स्वामी तीर्थ में आवागमन शुरू हो गया है! लोक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान कार्तिक स्वामी माता पार्वती व पिता शिव को अपने शरीर का खून व मांस सौपकर निर्वाण रूप लेकर क्रौंच पर्वत पर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गये थे तो कई वर्षों बाद पार्वती ने पुत्र विरह में आकर शिवजी से कहा कि मुझे प्रिय पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद सता रही है! पार्वती के बचन सुनकर त्रिलोकीनाथ भगवान शंकर पार्वती सहित कार्तिक मास की वैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र कार्तिकेय को मिलने के लिए क्रौंच पर्वत तीर्थ पर आये मगर माता – पिता के क्रौंच पर्वत तीर्थ आने पर देव सेनापति कुमार कार्तिकेय क्रौंच पर्वत तीर्थ से चार कोस दूर हिमालय की ओर चले गये! कुमार कार्तिकेय के क्रौंच पर्वत तीर्थ से चार कोस दूर हिमालय की ओर जाने से पार्वती जी को पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद सतानी लगी! कार्तिक मास की वैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर शिव – पार्वती के क्रौंच पर्वत तीर्थ पर रात्रि प्रवास करने के कारण तैतीस कोटि देवी – देवताओं भी उस पावन अवसर पर क्रौंच पर्वत तीर्थ पर पहुँच गये थे!तब से आज तक क्रौंच पर्वत तीर्थ पर वैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व भव्य रूप से मनाने की परम्परा है!इस पावन अवसर पर शिव – पार्वती,ब्रह्मा, विष्णु सहित तैतीस कोटि देवी – देवताओं के उपस्थित रहने के कारण यह पर्व देवी दीपावली के रूप में मनाया जाता है!
आचार्य सुधीर नौटियाल का कहना है कि वैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर क्रौंच पर्वत तीर्थ पर पूजा – अर्चना व जलाभिषेक करने से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है! तुंगनाथ घाटी के प्रख्यात कथावाचक लम्बोदर प्रसाद मैठाणी का कहना है कि भगवान कार्तिक स्वामी के देव सेनापति होने के कारण कार्तिक मास में तैतीस कोटि देवी – देवताओं क्रौंच पर्वत पर निवास कर भगवान कार्तिक स्वामी की स्तुति करते है इसलिए कार्तिक मास में भगवान कार्तिक स्वामी की पूजा – अर्चना व जलाभिषेक करने से जन्म – जनमान्तरो से लेकर युग – युगान्तरो के पापों का हरण होता है! जानकारी देते हुए मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह नेगी ने बताया कि 28 नवम्बर सुबह से ही कार्तिक स्वामी तीर्थ में दो दिवसीय देव दीपावली का श्रीगणेश ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुरू हो जायेगा! उन्होंने बताया कि 28 नवम्बर को सांय सात बजे से देव दीपावली शुरू होगी तथा रात्रि भर अखण्ड जागरण कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैतीस कोटि देवी – देवताओं का आवाहन कर रात्रि के चारों पहर चार आरती उतार कर विश्व कल्याण की कामना की जायेगी! उन्होंने बताया कि 29 नवम्बर को दो दिवसीय देव दीपावली का समापन होगा!