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गाय की सेवा के साथ साथ मिलेगा लाखो का रोजगार भी, देखिये पूरी स्टोरी,,

गाय के गोबर का इस्तेमाल भी रसोई गैस से लेकर देसी खाद और जैव उर्वरक बनाने में किया जा रहा है. इससे पेंट, पेपर, बैग, ईंट, गौकाष्ठ लकड़ी और दंत मंजन तक बनाए जा रहे हैं.

दिवाली पर गोबर से बने लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, दीये और कई और प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड होती है. अब विदेशों से भी प्रोडक्ट्स के ऑर्डर मिलने लगे हैं.

गुजरात की एक अदालत ने कहा कि गाय मात्र एक जानवर नहीं है, बल्कि मां है. इसकी हत्या को बंद कर दिया जाए तो धरती की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी

Cow Dung Products: हाल ही में गुजरात की एक अदालत ने कहा कि गाय मात्र एक जानवर नहीं है, बल्कि मां है. इसकी हत्या को बंद कर दिया जाए तो धरती की सारी समस्याएं दूर हो जाएंग. अपने बयान में कोर्ट ने बताया कि गाय के गोबर से बने घरों में एटॉमिक रेडिएशन का कोई असर नहीं होता. गौमूत्र से भी लाइलाज बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. यही वजह है कि आज देसी गाय पालन को प्रमोट किया जा रहा है. यह ग्रामीण इलाकों में आमदनी का अहम जरिया बन गया है. पहले सिर्फ गाय के दूध से कमाई होती थी, लेकिन जब से इको-फ्रैंडली का नारा बुंलद हुआ है, तब ही से गाय के गोबर से लेकर गौमूत्र से तमाम उत्पाद बनाए जा रहे हैं. गाय के दूध में औषधीय गुण मौजूद होते हैं. इसके दूध से बने घी की विदेश में भारी मांग है, जबकि इसके गौमूत्र से आज कैंसर की दवाएं तक बनाई जा रही है.

गाय के गोबर का इस्तेमाल भी रसोई गैस से लेकर देसी खाद और जैव उर्वरक बनाने में किया जा रहा है. इससे पेंट, पेपर, बैग, ईंट, गौकाष्ठ लकड़ी और दंत मंजन तक बनाए जा रहे हैं. एक अकेली गाय प्राकृतिक खेती के खर्च का आधा कर देती है. यदि आप भी गाय पालते हैं तो इसके दूध के साथ-साथ गोबर और गौमूत्र को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

गोबर से ऑर्गेनिक पेंट
पौराणिक काल से ही गांव में घरों को गोबर से लेपने की चलन है. गाय के गोबर को ग्रंथों में सोना कहा गया है. यह वास्तु के अनुसार तो शुभ है ही, साथ ही कीटों से भी सुरक्षित रखने का साइंस है.

भैंस और विदेशी, ब्राजीलियन, जर्सी नस्लों के गोबर में 50 से 70 लाख बैक्टीरिया हैं, लेकिन देसी गाय के एक ग्राम गोबर  में 3 से 5 करोड़ बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो घर को सुरक्षित रखते हैं.

इसी विज्ञान के मद्देनजर अब गोबर से ऑर्गेनिक पेंट बनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के गौठानों में ना सिर्फ फुली ऑर्गेनिक पेंट का उत्पादन हो रहा है, बल्कि बाजार में यह पेंट मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट से सस्ता भी बिक रहा है.

खादी इंडिया ने भी गोबर से बना वैदिक पेंट लॉन्च किया है. इसके अलावा, इस गोबर से पेपर, बैग, मैट से लेकर ईंट समेत कई इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट लॉन्च किए जा चुके हैं, जो कैमिकल प्रोडक्ट्स का अच्छा विकल्प हैं.

खेती से लेकर रसोई गैस का इंतजाम
कैमिकल के बढ़ते इस्तेमाल से हमारी खेती बंजर हो रहा है और भूजल भी प्रदूषित होता जा रहा है. इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए अब किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

यह खेती पूरी तरह से गाय पर आधारित है, जिसमें गोबर और गौमूत्र से जीवामृत, बीजामृत, पंचगव्य, संजीवक, नाडेफ कंपोस्ट आदि बनाए जाते हैं. गौमूत्र और नीम की पत्तियों से नीमास्त्र बनाया जाता है, जिसे प्राकृतिक कीटनाशक भी कहते हैं.

कई राज्य सरकारें किसानों को गाय उपलब्ध करवा रही हैं और अनुदान भी  दे रही हैं, ताकि गाय पालन के प्रमोट करते हुए प्राकृतिक खेती और इससे उपजे पौष्टिक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सके.

साथ ही किसानों को गाय का दूध बेचकर भी अच्छी आमदनी मिल जाती है. यदि आप पशुपालक हैं और खुद का डेयरी फार्म चलाते हैं तो एक बायोगैस प्लांट भी लगा सकते हैं, जिससे पूरे गांव को फ्री में रसोई गैस मिल सकती है.

कागज और कैरी बैग
क्या आप जानते हैं कि हम भारतीय ने गोबर से एक मजबूत कागज और कैरी बैग तक तैयार कर लिए हैं. यह जयपुर स्‍थ‍ित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट के प्रयासों का नतीजा है. इस संस्थान में गाय के गोबर से कागज बनाने का तरीका सिखाया जाता है.

इतना ही नहीं,‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ से जोड़कर लोगों को इस तरह के उत्पाद बनाने के लिए जागरूक भी किया जाता है. यह भी ग्रामीण रोजगार और किसानों के लिए बेहतर आय के सृजन में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.

यह उत्पाद भी गोबर से निर्मित
कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गोबर से बने स्टीकर मोबाइल के रेडिएशन को कम करने की ताकत रखते हैं. साथ ही गोबर से तैयार माला से स्नायु संबंध बीमारियों में राहत मिलती है. गोबर को अब सेहत की सुरक्षा से जोड़ते हुए गौअर्क, दंत मंजन, साबुन, सजावट के सामान, माला, चूड़ियां और मोबाइल स्टीकर तक तैयार कर दिए गए हैं.

जहां गोबर से तैयार दंज मंजन को मुंह के पायरिया को खत्म करने में प्रभावी बताया जा रहा है तो वहीं इससे बने साबुन को स्किन एलर्जी में लाभकारी बताया जा रहा है. इसके अलावा, दीवाली पर गोबर से बने दिए, मूर्तियां भी काफी चर्चाओं में रहती हैं. त्यौहार आते ही इनकी मार्केटिंग भी खूब अच्छी हो जाती है.

गौमूत्र से औषधी, कीटनाशक और फिनाइल
आयुर्वेद में गाय को गौमूत्र को संजीवनी समान बताया गया है. कई आयुर्वेदिक संस्थानों में गौमूत्र से कैंसर तक का सफल इलाज होने की बात कही गई है. गौमूत्र के औषधीय गुणों से पेट की बीमारियों से लेकर चर्म रोगों, आंत्रशोथ, पीलिया,  सांस की बीमारी, आस्थापन, वस्ति, आनाह, विरेचन कर्म, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग,हृदय रोग, कैंसर, टीबी, पीलिया, मिर्गी, हिस्टिरिया जैसे घातक रोगों में भी प्रभावी बताया जाता है.

गौमूत्र सिर्फ इंसान के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि फसल और घर की सुरक्षा के लिए लाभकारी है. इससे कई राज्यों में जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए नेचुरल पेस्टीसाइड बनाए जा रहे हैं. आज के आधुनिक दौर में भी गौमूत्र को एक प्रभावी कीटाणुनाशक माना जा रहा है. इसी तर्ज पर कई कंपनियों ने गौमूत्र से कैमिकमुक्त फिनाइल भी तैयार कर दिया है.

Success Story: गांव के हर घर में आपको गाय देखने को मिल जाएगी. लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये गाय से करोड़ो रुपये कमा सकते हैं. दरअसल जानकारी के अभाव में लोग बहुत कुछ नहीं कर पाते. गांव के घर और बाग बगीचे में या फिर किसी कोने में गोबर का ढेर जरूर देखा होगा.  कहीं पर गोबर के उपले बनाए जाते हैं, तो कहीं खाद बनाकर खेत में डाला जाता है.शहर में सड़क के किनारे गोबर का ढेर भी देखा होगा. लेकिन जयपुर के  व्यवसायी भीमराज शर्मा ने गाय के गोबर से जो बिजनेस शुरु किया, जिससे अब करोड़ो का मुनाफा होने वाला है.

बेटी के एक सवाल ने बनाया बिजनेसमेन
हाथी के गोबर से कागज बनाया जा सकता है, तो गाय के गोबर से कागज क्यों नहीं बनता?’ जब जयपुर के व्यवसायी भीमराज शर्मा से 2016 में उनकी बेटी ने यह सवाल पूछा, तो वास्तव में यह प्रेरणा का एक स्रोत बना और शर्मा उस दिशा में आगे बढ़ते चले गये. आज वह गाय के गोबर से बने उत्पादों का अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में निर्यात कर रहे हैं.

आत्मविश्वास से शुरु किया नया बिजनेस
ऑफसेट प्रिंटिंग के व्यवसाय से जुड़े शर्मा ने इस विचार पर शोध करना शुरू किया और गाय के गोबर से कागज बनाया, हालांकि यह इतना अच्छा नहीं था, फिर भी उन्होंने अपने आत्मविश्वास को बनाये रखा. गाय के गोबर से कागज बनाने वाली गौकृति कंपनी के प्रमुख शर्मा ने बताया कि आज यह कागज न केवल उच्च गुणवत्ता का है, बल्कि ऐसा कोई उत्पाद नहीं है जो इस गाय के गोबर के कागज से नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने कागज बनाने के बाद एक कदम आगे बढ़ते हुए गाय के गोबर से गुलाल और छोटे हवन-कुंड जैसे सामान और राखी, पेंसिल, होली और दिवाली के विशेष सामान बनाने का भी सफल प्रयोग किया.

शुरुआत में दोस्त उड़ाते थे मजाक
भीमराज शर्मा ने शुरुआत में बॉक्स, लिफाफे और डायरी जैसे सामान बनाए और आज उत्पादों का दायरा 100 को पार कर गया है. ग्राहकों की जरूरत के अनुसार डायरी, बॉक्स, पेंसिल और सजावटी सामान से लेकर राखी, दिवाली और होली पैक जैसे सामान से लेकर छोटे हवन कुंड तक, सभी सामान कंपनी बना रही है. इन सामानों का आस्ट्रेलिया और अमेरिका को निर्यात भी किया जा रहा है. शर्मा ने कहा कि शोध और विकास के शुरुआती दिनों में उनके दोस्त उनका मजाक उड़ाते थे.

करोड़ों का बिजनेस करने की उम्मीद
भीमराज शर्मा ने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि आने वाले वित्त वर्ष में कंपनी का कारोबार एक करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. शर्मा ने कहा कि वह अब गाय के गोबर के साथ अन्य जानवरों के गोबर का उपयोग कागज और अन्य सामान बनाने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि “उनकी यह पहल न केवल लाभ कमाने के लिए बल्कि पर्यावरण को बचाने के लिए भी है.  दुनिया भर में कागज की भारी मांग है और इसके लिए मुख्य रूप से मिल पेपर का उपयोग किया जाता है.” उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से बने कागज और सामान्य हस्तनिर्मित
Success Story: दिवाली पर गोबर से बने लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, दीये और कई और प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड होती है. अब विदेशों से भी प्रोडक्ट्स के ऑर्डर मिलने लगे हैं.

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Success Story: गांव के हर घर में आपको गाय देखने को मिल जाएगी. लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये गाय से करोड़ो रुपये कमा सकते हैं. दरअसल जानकारी के अभाव में लोग बहुत कुछ नहीं कर पाते. गांव के घर और बाग बगीचे में या फिर किसी कोने में गोबर का ढेर जरूर देखा होगा.  कहीं पर गोबर के उपले बनाए जाते हैं, तो कहीं खाद बनाकर खेत में डाला जाता है.शहर में सड़क के किनारे गोबर का ढेर भी देखा होगा. लेकिन जयपुर के  व्यवसायी भीमराज शर्मा ने गाय के गोबर से जो बिजनेस शुरु किया, जिससे अब करोड़ो का मुनाफा होने वाला है.

बेटी के एक सवाल ने बनाया बिजनेसमेन
हाथी के गोबर से कागज बनाया जा सकता है, तो गाय के गोबर से कागज क्यों नहीं बनता?’ जब जयपुर के व्यवसायी भीमराज शर्मा से 2016 में उनकी बेटी ने यह सवाल पूछा, तो वास्तव में यह प्रेरणा का एक स्रोत बना और शर्मा उस दिशा में आगे बढ़ते चले गये. आज वह गाय के गोबर से बने उत्पादों का अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में निर्यात कर रहे हैं.

आत्मविश्वास से शुरु किया नया बिजनेस
ऑफसेट प्रिंटिंग के व्यवसाय से जुड़े शर्मा ने इस विचार पर शोध करना शुरू किया और गाय के गोबर से कागज बनाया, हालांकि यह इतना अच्छा नहीं था, फिर भी उन्होंने अपने आत्मविश्वास को बनाये रखा. गाय के गोबर से कागज बनाने वाली गौकृति कंपनी के प्रमुख शर्मा ने बताया कि आज यह कागज न केवल उच्च गुणवत्ता का है, बल्कि ऐसा कोई उत्पाद नहीं है जो इस गाय के गोबर के कागज से नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने कागज बनाने के बाद एक कदम आगे बढ़ते हुए गाय के गोबर से गुलाल और छोटे हवन-कुंड जैसे सामान और राखी, पेंसिल, होली और दिवाली के विशेष सामान बनाने का भी सफल प्रयोग किया.

शुरुआत में दोस्त उड़ाते थे मजाक
भीमराज शर्मा ने शुरुआत में बॉक्स, लिफाफे और डायरी जैसे सामान बनाए और आज उत्पादों का दायरा 100 को पार कर गया है. ग्राहकों की जरूरत के अनुसार डायरी, बॉक्स, पेंसिल और सजावटी सामान से लेकर राखी, दिवाली और होली पैक जैसे सामान से लेकर छोटे हवन कुंड तक, सभी सामान कंपनी बना रही है. इन सामानों का आस्ट्रेलिया और अमेरिका को निर्यात भी किया जा रहा है. शर्मा ने कहा कि शोध और विकास के शुरुआती दिनों में उनके दोस्त उनका मजाक उड़ाते थे.

करोड़ों का बिजनेस करने की उम्मीद
भीमराज शर्मा ने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि आने वाले वित्त वर्ष में कंपनी का कारोबार एक करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. शर्मा ने कहा कि वह अब गाय के गोबर के साथ अन्य जानवरों के गोबर का उपयोग कागज और अन्य सामान बनाने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि “उनकी यह पहल न केवल लाभ कमाने के लिए बल्कि पर्यावरण को बचाने के लिए भी है.  दुनिया भर में कागज की भारी मांग है और इसके लिए मुख्य रूप से मिल पेपर का उपयोग किया जाता है.” उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से बने कागज और सामान्य हस्तनिर्मित कागज में ज्यादा अंतर नहीं होता है. में ज्यादा अंतर नहीं होता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

नोट :- खबर में सभी वाक्य सोशल मीडिया से एकत्र कर खबर को विस्तार दिया गया है, हमारा मजसड लोगो को गाय के प्रति जागरूक करना हैं। और गाय पालन से कैसे आत्मनिर्भर बना जा सकता है। इस मुहिम में  श्रीराम गौधाम सेवा समिति के संचालक श्री जगदीश प्रसाद भट्ट जी गोसेवा में तन मन धन से गोसेवा कर रहे है,

हमसे जुड़ने के लिए 9520776031,

9690199097, 7017217394 पर सम्पर्क कर सकते है।

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