पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर विगत वर्ष उत्तराखण्ड में अटल आयुष्मान योजना प्रारम्भ की गई थी। बुधवार 25 दिसम्बर को योजना को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है।
राज्य स्वास्थ्य अभिकरण द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार योजना की उपलब्धियाँ- एक वर्ष, एक दृष्टि में :
योजना का संक्षिप्त विवरण
- उत्तराखण्ड राज्य के समस्त परिवारों को बीमारी के ईलाज हेतु अस्पताल में भर्ती होने पर प्रतिवर्ष प्रति परिवार रू0 5 लाख तक का निःशुल्क चिकित्सा उपचार(भर्ती होने की दशा में) उपलब्ध कराया जा रहा है।
- उत्तराखण्ड राज्य देश का प्रथम राज्य है जिसने अपनी सम्पूर्ण जनसंख्या को इस योजना में शामिल करते हुए ^Universal Health Coverage* प्रदान की है।
गोल्डन कार्ड बनाये जाने की व्यवस्था
- लाभार्थियों के E-Card (Golden Card) / गोल्डन कार्ड/आयुष्मान कार्ड जन सुविधा केंद्रों ¼Common Service Centres½ तथा सूचीबद्व अस्पतालों में ‘आरोग्य मित्र’ द्वारा निम्न डेटा बेस ¼Data Base½ के आधार पर बनाए जाते हैंः-
NFSA राशन कार्ड डेटा बेस- 23 लाख परिवार
MSBY कार्ड डेटा बेस- 12 लाख परिवार
SECC/SECC Plus डेटा बेस- 20 लाख परिवार
लाभार्थी परिवार का नाम डेटा बेस में उपलब्ध होने पर Family ID (राशन कार्ड/परिवार रजिस्टर की कॉपी) तथा Individual ID की आवश्यकता होती है। बायोमेट्रिक हेतु आधार कार्ड आवश्यक है।
- राशन कार्ड (या परिवार रजिस्टर की नकल) फैमिली आई0डी0 के रूप में उपलब्ध न होने पर व्यक्तिगत आईडी यथा वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राईविंग लाइसेंस, जन्म प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र अथवा अन्य कोई सरकारी आईडी जिसमें लाभार्थी के माता/पिता/पति/पत्नी का नाम हो तथा उसका मिलान NFSA, MSBY तथा SECC डेटा बेस से हो जाता है, उस दशा में बिना राशन कार्ड(या परिवार रजिस्टर की नकल) के भी गोल्डन कार्ड बनाये जा सकते हैं।
- डेटा बेस में उपलब्ध प्रदेश के लगभग 25 लाख परिवारों में से ESI, ECHS तथा CGHS के लगभग 07 लाख परिवारों को छोड़कर 18 लाख परिवारों के गोल्डन कार्ड बनाये जाने हैं। 18 लाख परिवारों में से 03 लाख परिवार राजकीय सेवक/पेंशनर के हैं। शेष 15 लाख परिवारों में से 14.50 लाख परिवारों (कम से कम एक सदस्य) के 34.70 लाख गोल्डन कार्ड बनाये जा चुके हैं।
- प्रदेश में योजना के आरम्भ से अभी तक 34.70 लाख पात्र लाभार्थियों (14.50 लाख परिवारों के सदस्य) द्वारा विभिन्न जनपदों मे गोल्डन कार्ड बना लिये गये हैं।
गोल्डन कार्ड बनाये जाने में प्रदेश का देश में दूसरा स्थान
- प्रदेश के 74 प्रतिशत परिवारों के एक या एक से अधिक सदस्यों के गोल्डन कार्ड बनाये जा चुके हैं। NHA के अनुसार SECC डेटा बेस के कुल परिवारों में से 74% परिवारों के गोल्डन कार्ड बना कर अधिकतम परिवारों के गोल्डन कार्ड बनाने में उत्तराखंड राज्य का केरल प्रदेश के बाद देश में दूसरा स्थान हैं।
गोल्डन कार्ड बनाये जाने में उत्तराखंड राष्ट्रीय औसत से कई गुना आगे
- सम्पूर्ण देश में 12 करोड़ गोल्डन कार्ड बने हैं। उत्तराखंड में 34.70 लाख कार्ड बने हैं। प्रदेश की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या की 1 प्रतिशत है। अतः इस दृष्टि से प्रदेश में बने कार्ड राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक हैं।
- इसी प्रकार सम्पूर्ण देश में 5 करोड़ परिवार गोल्डन कार्ड से आच्छादित हैं। प्रदेश में 14.50 लाख परिवार गोल्डन कार्ड से आच्छादित हैं। प्रदेश में परिवारों की संख्या देश के कुल परिवारों की संख्या का 01 प्रतिशत हैं। इस दृष्टि से प्रदेश में आच्छादित परिवार राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक हैं।
चिकित्सालयों में उपचार व्यवस्था
- योजना हेतु 101 राजकीय तथा 74 निजी चिकित्सालय सूचीबद्ध किए गए हैं।
- रोगी का इलाज प्रथमतयाः राजकीय चिकित्सालय में किया जाता है। सूचीबद्ध निजी चिकित्सालय में रेफर करने पर ही इलाज होता है ऐमरजेन्सी की दशा में रेफरल की आवश्यकता नहीं है।
- नवजात शिशुओं को उनकी माँ के गोल्डन कार्ड पर उपचार की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।
- राज्य के बाहर इलाज कराने हेतु नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा SECC के 5.37 लाख परिवारों को ही अनुमन्य हैं। अन्य शेष पात्र परिवारों को नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा अनुमन्य नहीं है।
- अस्पताल में भर्ती होने के लिए ‘आरोग्य मित्र’ के द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
लाभार्थियों को उपचार सुविधा
- लाभार्थियों को 5 लाख रूपये प्रति परिवार प्रति वर्ष फैमिली फ्लोटर के रूप में अस्पातल में भर्ती होने पर अथवा (डे केयर पैकेज के लिए) Cashless चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हैं।
- योजना के अंतर्गत विभिन्न बीमारियों के लिए 1350 पैकेज निर्धारित हैं।
- यदि इन 1350 पैकेज के अतिरिक्त अन्य कोई बीमारी है तो उसके लिए 1.0 लाख रूपये की सीमा तक Unspecified Package का भी प्राविधान है।
- पैकेज के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने के 3 दिन पूर्व से डिस्चार्ज होने के 15 दिन तक की दवाइयों सहित भर्ती के दौरान अस्पताल के सभी उपचार संबंधी खर्चे (रोगी के भोजन सहित) सम्मिलित हैं।
अस्पताल में भर्ती होने पर उपचार के दौरान निम्न सुविधाएँ निःशुल्क प्रदान की जाती हैं-
- पंजीकरण शुल्क
- बिस्तर शुल्क (सर्जिकल के मामले में सामान्य वार्ड)
- नर्सिंग और बोर्डिंग शुल्क,
- सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, मेडिकल प्रैक्टिशनर, कंसल्टेंट्स आदि।
- ऐनिस्थिसिया, रक्त आधान, ऑक्सीजन, ओ.टी शुल्क, सर्जिकल उपकरणों की लागत आदि।
- दवाएं एवं औषधियां।
- कृत्रिम उपकरणों की लागत, प्रत्यारोपण।
- पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी परीक्षण इत्यादि (एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन आदि आवश्यकतानुसार)
- रोगी हेतु भोजन की व्यवस्था।
- पूर्व और बाद में अस्पताल में भर्ती खर्चः एक ही अस्पताल में रोगी के प्रवेश से पहले परामर्श, नैदानिक परीक्षण और दवाओं के लिए खर्च और नैदानिक परीक्षणों और दवाओं की लागत और एक ही बीमारी/सर्जरी के लिए अस्पताल से छुट्टी के 15 दिनों तक खर्च। (प्री हॉस्पिटलाइजेशन पैकेज के अनुसार होगा(3 दिन)। बायोप्सी के मामले में इसे अधिकतम 10 दिनों तक छूट दी जायेगी।
- अस्पताल में भर्ती होने से तीन दिन पहले की सारी जाँचें और डॉक्टर का खर्च।
- अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद 15 दिनों तक की निःशुल्क दवाईयां एवं फॉलो-अप की व्यवस्था।
- चिकित्सालय में रोगी के उपचार से संबंधित कोई अन्य खर्च।