उत्तरकाशीगोपेश्वरचमोलीजोशीमठदेहरादून

उत्तराखंड खत्म न हो जाएं बुग्याल डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड के हिमालय से लगे बुग्याल प्रकृति का अमूल्य खजाना हैं. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ये औषधियों का भंडार भी हैं. लेकिन विडंबना ही है कि प्रकृत. उत्तराखंड के हिमालय से लगे बुग्याल प्रकृति का अमूल्य खजाना हैं. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ये औषधियों का भंडार भी हैं. लेकिन विडंबना ही है कि प्रकृति उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बर्फ की चादर ओढ़े दयारा बुग्याल (मखमली घास का मैदान) जन्नत से कम नहीं है. बड़ी संख्या में पर्यटक इसका दीदार करने पहुंच रहे हैं. दयारा बुग्याल 30 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसमें इन दिनों बर्फ की चादर बिछी हुई है. बर्फ की चादर ओढ़े उत्तरकाशी जिले का दयारा बुग्याल स्कीइंग व साहसिक पर्यटन के लिए जाना जाता है. 30 वर्ग किमी में फैला यह बुग्याल अप्रैल माह में भी बर्फ की चादर ओढ़े है और पर्यटकों को खूब भा रहा है. इससे बुग्याल की हल्की ढलानों पर बर्फ में दूर तक सैर और स्कीइंग करने के लिए काफी अच्छी स्थितियां हैं. यहां पहुंचने के बाद पर्यटकों को जन्नत का अहसास होता है और पर्यटक सुंदर वादियों का दीदार करते हैं.उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित दयारा बुग्याल समुद्र सतह से 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. उत्तरकाशी गंगोत्री मार्ग पर स्थित भटवाड़ी नामक स्थान से इस खूबसूरत घास के मैदान के लिए रास्ता जाता है. दयारा बुग्याल देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. 30 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैले मखमली घास के दयारा बुग्याल में बरसात के बाद रंग-बिरंगे फूलों की छठा देखने लायक होती है. वहीं इस समय बर्फ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही है.उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 40-45 किमी सड़क दूरी पर स्थित रैथल एवं बार्सू गांव से करीब 8 किमी पैदल ट्रैकिंग कर पर्यटक यहां पहुंचते हैं. यहां से बड़े-बड़े पर्वत- माउंट बंदरपूंछ, माउंट ब्लैक पीक, माउंट जोंली, माउंट श्रीकांत, माउंट द्रौपदी का डंडा और भी बहुत कुछ साफ दिखते हैं. दयारा बुग्याल में भाद्रपद संक्रांति के दिन ग्रामीण दूध-मक्खन की अनूठी होली वाला अंढूड़ी पर्व मनाते हैं. पूरे साल इस बुग्याल का दीदार करने पर्यटक पहुंचते हैं, जिनका ग्रामीण भी खूब स्वागत करते हैं. वहीं पर्यटकों से सरकार को अच्छा राजस्व भी प्राप्त होता है, जिसको लेकर पर्यटन विभाग भी इसके विकास के लिए लगातार कार्य कर रहा है.इस समय दयारा बुग्याल में शीतकालीन खेलों के लिए आदर्श स्थिति बनी हुई है. यहां दिसंबर से लेकर मार्च के पहले पखवाड़े तक बर्फबारी जारी रहती है. इससे यहां बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है, जो अप्रैल के बाद ही पिघलती है. ऐसे में यहां दिसंबर से अप्रैल तक शीतकालीन खेल और स्नो वॉक की भरपूर संभावनाएं हैं. इन दिनों भी दयारा के बेस कैंप बार्सू, रैथल व नटीण गांव से दयार जाने वाले पर्यटक पहुंच रहे हैं. प्रदेश के छह जिलों में 80 से 82 बड़े बुग्याल हैं। इनमें टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर और उत्तरकाशी में विख्यात बुग्याल हैं, लेकिन अब इन पर संकट मंडरा रहा है। कुछ स्थानों पर सड़क निर्माण के कार्य से बुग्याल प्रभावित हुए हैं। तो वहीं शिकार के लिए बुग्याल क्षेत्र में आग लगाई जाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण बुग्यालों की तरफ बढ़ती ट्री लाइन, ग्लेशियर क्षेत्र में अत्यधिक बारिश और बढ़ती पर्यटन गतिविधियों के कारण बुग्यालों की सेहत खराब हो रही है। हिमालयी क्षेत्र में स्थित बुग्यालों में मृदा कार्बन कम होने के साथ ही जड़ी-बूटियों को विदोहन भी बढ़ा है। सड़क निर्माण के मामलों ने भी इन्हें प्रभावित किया है। समय रहते इनके संरक्षण की दिशा में काम नहीं किया गया तो आने वाले समय में बुग्याल कल की बात हो जाएंगे बुग्यालों की संरक्षण की दिशा में वन विभाग के स्तर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं  बुग्यालों की सेहत कई कारणों से बिगड़ रही है। क्लाइमेट चेंज, कम बर्फबारी और अधिक बारिश, लोगों की ओर से बड़े जानवरों को बुग्याल क्षेत्र में छोड़ा जाना, पर्यटन के चलते मानवीय हस्तक्षेप बढ़ना इत्यादि ऐसे कारण हैं, जो बुग्यालों की सेहत पर असर डाल रहे हैं खत्म न हो जाएं बुग्याल चमोली में विश्व प्रसिद्ध बुग्याल/घास के मैदान हैं। राज्य सरकार ने इनके संरक्षण और संरक्षण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। बुग्यालों में फाइबर झोपड़ियों के निर्माण से क्षेत्र के पर्यावरण और पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति हो रही है इन घास के मैदानों पर किसी भी प्रकार की शिविर गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इन बुग्यालों में आने वाले पर्यटकों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए. । लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *