हरिद्वार

सराहनीय पहल ….उत्तराखंड पुलिस सोचा न था ‘भिक्षा के अंधेरे से निकल सम्मान के पथ’ पर चल पाएंगे…….!!* *(अर्जुन सिंह भंडारी)*

 

 

हरिद्वार-:यह शब्द आज उन सभी लोगों के जहां में आए होंगे जिनको उत्तराखंड पुलिस ने भिक्षा के अंधेरे से निकाल समाज से उनके असल व्यक्तित्व से परिचय करवाया है। हरिद्वार के कुंभ आयोजन पर भिक्षा से अपना गुजारा सोच भिक्षा का कटोरा थामे भिक्षुकों ने कभी सोचा भी नही होगा कि वह इन हाथों में कटोरे की जगह खुद की कमाई थामे होंगे और समाज उन्हें हीन भावना की जगह सम्मान की दृष्टि से देख रहा होगा।

उत्तराखंड में होने जा रहा इस बार का महाकुंभ कुछ लोगों के जीवन मे नया सवेरा लाया है खास तौर पर इस कुंभ ने जिन 16 भिक्षुकों की ज़िंदगी बदल डाली वह शायद उन्होंने कभी सोचा भी था जिसे सच कर दिखाया उत्तराखंड कुंभ पुलिस ने।

उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने उत्तराखंड पुलिस को पुलिस को मानवीय मूल्यों को जिंदा रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने की सीख दी थी व समाज मे भिक्षावृत्ति जैसे श्राप को मुक्त करने को भी उनके द्वारा राज्य भर में आपरेशन मुक्ति संचालित किया जा रहा है। इसी सीख को अपनाते हुए कुंभ मेला हरिद्वार पुलिस द्वारा कुंभ व उसके आसपास के क्षेत्रों में भिक्षा मांग जीवन व्यतीत कर रहे भिक्षुकों के जीवन को इस श्राप से मुक्ति दिलाई। उन्होंने न केवल भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिला समाज की मुख्य धारा में जोड़ा बल्कि उन्हें उनके पैरों पर खड़ा होने का मौका दिया जिसकी बदौलत आज उन भिक्षुकों में से 16 भिक्षुक अपनी खुद की काबिलियत से पैसे कमा रहे है व कुछ अपने परिवार को भी भेज रहे है।

कुंभ मेला पुलिस द्वारा अपने प्रयासों में सर्वप्रथम सभी भिक्षुकों को भिक्षावृत्ति से हटा कर सुविधाजनक आवास लाया गया व हरिद्वार के अच्छे सैलून विशेषों द्वारा उन्हें स्नान करवाने से लेकर बाल कटवाए गए। इसके साथ ही उन सभी का स्वास्थ्य परीक्षण व कोरोना जांच भी करवाई गई। इन भिक्षुकों में से कुछ के द्वारा वापिस अपने घर जाने की इच्छा जतए जाने पर पुलिस टीम द्वारा उन्हें उनके घर छोड़ गया।
हालांकि इन भिक्षुकों में से 16 भिक्षुक ऐसे बचे थे जो पुलिस द्वारा उनके सुधार के प्रयासों के बाद पुलिस द्वारा बताये गए सम्मान से जीने की राह में आग्गे बढ़ना चाहते थे। जिसके बाद पुलिस द्वारा उन सभी 16 सिडकुल स्थित होटल रेडिसन में पेशेवर सेफ और कर्मचारियों से होटल व्यवसाय का प्रशिक्षण दिलवाया गया। जिसमे पारंगत होने के बाद पुलिस द्वारा उन सभी को शहर के चौकी व पुलिस लाईन कि मेस में संविदा में काम पर रखा गया व उनके आधार कार्ड बनवाते हुए बैंकों में उनके खाते भी खुलवा कर दिए।
इन सभी लोगों को पुलिस द्वारा एक महीने का 10-10 हज़ार रुपये मासिक वेतन भी दिया जा चुका है। कुंभ पुलिस द्वारा यह कार्य यही नही रुका है ,उनके द्वारा 8 और अन्य भिक्षुकों को भी पुलिस थानों की मेस में काम देने की तैयारी चल रही है। इसी के साथ उत्तराखंड पुलिस के इस मेला व्यवस्था में 24 भिक्षु भी शामिल हो चुके है।

उत्तराखंड पुलिस द्वारा किसी के जीवन को बदलने की इस कोशिश को सलाम है जिन्होंने अपने महानिदेशक के प्रदेश को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के संकल्प को अपना फर्ज समझा है और मानवीय मूल्यों के आधार पर भिक्षुओं के जीवन में असल मायने में आज सवेरा किया है।।

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