*पहाड़ के फलों को सही कीमत और बाजार की व्यवस्था दिलाने की मांग के साथ गाँधी पार्क में हुआ आयोजन*
पहाड़ दिवस पर पहाड़ के फल उत्पादन को सही कीमत और समुचित बाजार व्यवस्था की मांग के साथ फँची-धाद ने गाँधी पार्क में सार्वजनिक सभा का आयोजन किया। आयोजन में धाद ने शासन से पहाड़ी फलों के उचित समर्थन मूल्य की मांग के साथ काश्तकारों के लिए जन समर्थन मूल्य घोषित किया जिसमे माल्टे रु 40 और नारंगी रु 60 का मूल्य घोषित करते हुए समाज से खरीद के लिए आवाहन किया गया । इस अवसर पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने माल्टे और नारंगी खरीद कर अभियान का समर्थन किया।अभियान का परिचय देते हुए फँची-धाद के संयोजक किशन सिंह ने बताया कि इस मौसम में जब पहाड़ में पेड़ माल्टे और नारंगी से भरे हुए है तब उनकी सही कीमत और बाजार व्यवस्था के अभाव में कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा शासन द्वार घोषित ख़रीद मुल्य रु 7-10 के बीच है जो पूरी तरह से अव्यवहारिक है और उसके लिए भी उपलब्ध खरीद तंत्र का ढांचा बहुत लचर है जिसके चलते फलों के उत्पादन का अधिकांश हिस्सा बिना खरीद के खराब हो रहा है
धाद के सचिव तन्मय ने कहा कि धाद ने पहाड़ी फलों के सवाल पर शासन और आम समाज का ध्यान आकृष्ट करने के लिए नागरिक पहल करते हुए धाद के फँची कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व पहाड़ दिवस पर माल्टे का महीना कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। जिसमे हमने शासन के समक्ष पहाड़ी फलों के समुचित खरीद मूल्य की मांग के साथ समाज से भी इन फलों के समर्थन मूल्य पर खरीद का आवाहन किया है . अभियान के अंतर्गत इस माह विशेषज्ञों के साथ विमर्श के अलावा माल्टे और नारंगी के भोज का भी आयोजन किया जाएगा
उद्यान विशेषज्ञ राजेंद्र खुगशाल ने बताया कि माल्टा अपने तमाम गुणों के बावजूद आज बाजार से गायब है क्यूंकि इसे आज कीनू और संतरे से चुनौती मिल रही है एक समय यह पहाड़ के बाजार का प्रमुख फल हुआ करता था चूँकि आज यह बहुतायत में उत्पादित हो रहा है इसलिए इसके बाबत एक ठोस नीति की जरुरत है ताकि यह एक आय का जरिया भी बन सके
उद्यान एक्टिविस्ट दीपक करगेती ने कहा कि उन्होंने उत्तराखंड के फलोद्यान में हो रहे भ्रस्टाचार के खिलाफ एक लम्बी लड़ाई लड़ी है जिसके परिणाम आने वाले समय में दिखाई देंगे इस तरह से एक लड़ाई पहाड़ के तमाम नैसर्गिक फलों को सही बाजार मूल्य दिलवाने की भी लड़ने की जरुरत है फँची-धाद ने इस काम का बीड़ा उठाया है इसके लिए वह बधाई के पात्र है
सामाजिक कार्यकर्त्ता समदर्शी बर्थवाल ने कहा हाल ही में हुए वैश्विक निवेश सम्मलेन में पहाड़ में आ रहे तमाम करोडो रूपये के निवेश के वादों के बीच यह विडंबना ही है कि हम अपने पहाड़ के नैसर्गिक फलों के लिए उनका सही मूल्य का वादा नहीं कर पा रहे हैं और जो वादा किया जा रहा है उसे पूरा करने का कोई मजबूत तंत्र नहीं है
भूगर्भशास्त्री उत्तम सिंह रावत ने कहा की पहाड़ का नारंगी और माल्टे इस मामले में भिन्न है कि इसका उत्पादन शुद्ध वातावरण में होता है इसलिए इसके इन गुणों के साथ ब्रांड बनाये जाने की जरुरत है लेकिन सरकार जब इसका समर्थन मूल्य दस रुपये से भी काम घोषित करती है तब उनकी पलायन रोकने की सारी बाते खोखली नजर आती है क्यूंकि जिस फल का वहां सहजता से उत्पादन हो रहा है उसका एक ऐसा मूल्य घोषित किया जाता है जो मजाक सा प्रतीत होता है क्यूंकि वह उसकी ढूलाई मूल्य भी नहीं पूरा कर पा रहा है
आयोजन का सञ्चालन अर्चना ग्वाड़ी ने किया इस अवसर पर पुष्पलता ममगाईं, जे पी कुकरेती ने भी सभा को सम्बोधित किया इस अवसर पर साकेत रावत विकास बहुगुणा लक्ष्मी मिश्रा,आशुतोष मिश्रा,बीरेंद्र खंडूरी,शांति प्रसाद नौटियाल,शांति प्रकाश जिज्ञासु,गणेश च्चन्द्र उनियाल,ब्रज मोहन उनियाल,हिमांशु आहूजा,शुभम शर्मा,संजय के अलाव बड़ी संख्या में लोग मौजूद है