एक ऐसे समय जब हर कोई महिला सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहा है, तब यह तथ्य विचलित करने वाला है कि 2019 से 2021 के बीच यानी मात्र तीन वर्षों में देश भर में 13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं। गायब होने वाली लड़कियों में अच्छी-खासी संख्या नाबालिग लड़कियों की भी है। इसका मतलब है कि नारी सुरक्षा का मामला बहुत ही गंभीर है।
यह मानने का कोई कारण नहीं कि 2021 के बाद स्थितियों में सुधार आया होगा, क्योंकि लड़कियों और महिलाओं के लापता होने या उनका अपहरण किए जाने अथवा बहला-फुसलाकर भगा ले जाने के समाचार आए दिन आते ही रहते हैं। चूंकि लापता लड़कियों और महिलाओं का आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ओर से संकलित किया गया और उसे ही पिछले दिनों संसद में प्रस्तुत किया गया, इसलिए उस पर संदेह जताने का कोई औचित्य नहीं।
आखिर इतनी बड़ी संख्या में कहां गायब हो रही हैं लड़कियां और महिलाएं? यह वह प्रश्न है, जिसका उत्तर नीति-नियंताओं के साथ ही समाज को भी देना होगा, क्योंकि यह ऐसा मामला नहीं, जिसके लिए केवल सरकारों को कठघरे में खड़ा कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाए। गायब होती लड़कियों और महिलाओं के मामले में समाज भी उत्तरदायी है। उसे अपने अंदर झांकना होगा और स्वयं से यह प्रश्न करना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि देश के कई हिस्सों में अभी बालक-बालिकाओं का अनुपात संतुलित नहीं हुआ है, क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला कायम है। यह सिलसिला कानूनों को कठोर करने के बाद भी कायम है।
देश को झकझोरने वाले दिल्ली के निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को कठोर किया गया, लेकिन क्या यह कहा जा सकता है कि स्थितियां सुधरी हैं? महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में कोई विशेष कमी आती नहीं दिख रही है। वे पहले की ही तरह यौन अपराधियों का शिकार बन रही हैं। छेड़छाड़, अपहरण और दुष्कर्म के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। घरेलू हिंसा के प्रकरण भी कम नहीं हो रहे हैं। इस स्थिति के लिए हमारे समाज के वे लोग ही उत्तरदायी हैं, जो लड़कियों और महिलाओं के प्रति अपनी दूषित मानसिकता का परित्याग नहीं कर पा रहे हैं।
जब तक समाज महिलाओं को लेकर संवेदनशील नहीं होता, तब तक उनकी सुरक्षा करने और उन्हें यौन अपराधों से बचाने के लिए कानूनों को कितना भी कठोर क्यों न कर दिया जाए, बात बनने वाली नहीं है। किसी भी समाज की प्रतिष्ठा इससे बनती है कि वह नारी सम्मान के प्रति कितना सचेत और संवेदनशील है। गायब होती लड़कियों और महिलाओं की बड़ी संख्या यही बताती है कि भारतीय समाज उनके प्रति अनुदार है। इस अनुदारता को दूर करने के लिए राजनीतिक वर्ग को भी आगे आना होगा और अनिवार्य रूप से समाज को भी।
By NARENDRA KUMAR via Dailyhunt