Saturday, July 27, 2024
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देहरादून

उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्रों में चीड़ के बढ़ते प्रभाव से पारम्परिक खेती पर पड़ रहा बुरा असर, जंगली जानवरों के लिए बन रहे है मुफीद बसेरे, एस पी नोटियाल

लेखक शांति प्रसाद नोटियाल, 

उत्तराखंड में चीड़ का खंजर कर रहा धरती को बंजर, वनों में आग का सबसे बड़ा कारण, ये भी हो रहे नुकसान

चीड़ के पेड़ अब न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि घाटे का सौदा भी बन गए हैं। ये प्रति वर्ष वनों में आग का कारण बन रहे हैं। आग से वन्य जीव भी जल रहे हैं। धुएं से प्रदूषण बढ़ रहा है

किसानों के खेतों व बांज के वनों में साल दर साल बढ़ती चीड़ की संगति जो एक विकट समस्या निकट भविष्य में बनती जा रही है। जैसे आंखें मूंदकर उत्तराखंड के वन विभाग ने फायर लाइनों पर बड़े बड़े पेड़ उगने दिये जिससे वनों में आग की घटनायें बढी, अब जाकर मा . सुप्रीम कोर्ट ने कटाई छंटाई का आदेश दिया। सामान्य वनों में भी चीड़ की उपस्थिति बढ़ रही है अत: सरकार से एक चीड़ नीति प्रख्यापित करने की अपेक्षा। सीढ़ीनुमा खेतों का व बांज वनों का अस्तित्व चीड़ के कारण मिटना नहीं चाहिये

1. उत्तराखंड के किसानों के खेतों में चीड़ के विस्तार का वर्तमान परिणाम- बाघ व आग, बन्दर व भुन्नों का बसेरा, जल स्रोतों को सूखा रहा है, कई खेतों के तोक चीड़ के सामान्य वनों का रूप लेने लग गए, जमीन का उजाड़ व बंजर होना यहाँ तक मंडवा का रकवा 40% कम हो गया, भूमि का अम्लीय बनना, एक खेत में पेड़ है तो नीचे के कई खेतों में असर जहाँ उपज नहीं हो पाती, चकबंदी में इन खेतों के साथ कौन संटवारा बंटवारा करेगा, चीड़ से सूरज की किरणें भूमि पर न पड़ना जिससे प्राकृतिक पुनरोत्पादन प्रभावित होना अतः नीचे अनाज व घास नहीं होता, ज़मीन का शुष्क होने से भू-कटाव का खतरा बढ़ जाता है, विशेष प्रयोजन के लिए अपनी ही भूमि पर खड़े पेड़ कटवाने की अनुमति मिलती है यदि आम अनुमति मिले तो बेचारा किसान कहाँ ले जायेगा, कई परत पत्तियों की ज़मीन पर आने से पानी बेकार चला जाता है, खेती की जोत घटी |

 

2. चीड़ के बारे में प्रबुद्धजनों के दृष्टिकोण – कृषकों को उनकी बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में यथासंभव सहायता प्राप्त हो सके सुबोध उनियाल

उत्तरखंड की – परिस्थितियों के अनुकूल नहीं है चीड़ के पेड़ उपाध्यक्ष नीति आयोग,
जलवायु परिवर्तन, खतरे में है हिमालय: जलग्रहण क्षेत्रों से वर्षात का पानी सीधा बह जाता है- नीति आयोग,
चीड़ वनों के दुष्प्रभाव पर जो सुझाव दिये हैं वह स्वागत योग्य है और राज्य में नीति निर्धारण में सहायक हो सकते है – NHMS,

प्रत्येक वर्ष आग लगने की समस्या, फसलों को आग से सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो – CAP,

जैव विविधता का प्रयास होना चाहे… धरती को मानव के लिए बेहतर स्थान बनायें- उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू,

This impacts the regeneration and the growth of the young crop which due to competition for space, light and nutrients remain weak,unhealthy and prone to fires more adversely – Jai Raj

किसान के लिए अपने औसतन 10-15 पेड़ से बिजली बनाना, लिसा निकालना या अन्यंत्र प्रयोग करना संभव नहीं है अत; लाभदायक नहीं

जन भावना

 

लेखक

एस पी नौटियाल,

ग्राम सेमा, टिहरी गढ़वाल। 

+91 93190 86478

 

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