पिथौरागढ़– उत्तराखंड के रास्ते होने वाली विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा सुगम होने जा रही है। 76 किमी की पैदल यात्रा जो पहले छह दिन में पूरी होती थी, वाहन के जरिये इसे अब चार से पांच घंटे में पूरा किया जा सकेगा। पिथौरागढ़ और धारचूला हाेते हुए चीन सीमा से लगे लिपूलेख तक वाहन पहुंच सकेंगे। आधार शिविर धारचूला से चीन सीमा तक पहुंचने में पांच घंटे के आसपास समय लगेगा। सड़क बनने से भारत-तिब्बत सीमा पर तैनात आईटीबीपी और भारत-नेपाल सीमा पर मुस्तैद एसएसबी को भी सुविधा होगी। भारत चीन व्यापार को भी गति मिलेगी। अभी तक व्यापारियों को नजंग से आगे सामान घोड़े व खच्चरों से ले जाना पड़ता था।
साल 2006 में शुरू हुआ था सड़क का काम
व्यास घाटी के गर्बाधार से लिपूलेख तक 76 किमी सड़क निर्माण का कार्य वर्ष 2006 में सीमा सड़क संगठन ने शुरू किया। गर्बाधार से आगे दुर्गम पहाडि़यों में काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। तीन किमी सड़क बनने में कई वर्ष लग गए। जिसे देखते हुए बीआरओ ने सड़क निर्माण का कार्य उच्च हिमालय से प्रारंभ किया। हेलीकॉप्टर से मशीनें उच्च हिमालय में पहुंचा कर सड़क का निर्माण शुरू किया। यानी बीच का कुछ हिस्सा छोड़कर आगे काम शुरू किया गया। छियालेख से लेकर भारत के अंतिम पड़ाव नावीढांग तक सड़क निर्माण का काम दो वर्ष पूर्व पूरा कर लिया गया था। अब बीच में शेष बचे स्थान को भी सड़क से जोड़ दिया गया है।
आइटीबीपी व एसएसबी की मुश्किल होगी आसान
सड़क बनने से आइटीबीपी व एसएसबी को सबसे अधिक सुविधा मिलेगी। यह सड़क कालापानी तक नेपाल सीमा से लगी है। एसएसबी के जवान अब सीमा पर वाहन से गश्त लगा सकेंगे। वहीं, दोनों बलों की अग्रिम चौकियों तक रसद सामग्री पहुंचाना आसान होगा। जिससे लागत और श्रम दोनों कम होगा।
ऊं पर्वत व आदि कैलास के दर्शन करना सरल
व्यास घाटी में चीन सीमा तक सड़क बनने से अब ऊं पर्वत और आदि कैलास पहुंचना सरल होगा। दिल्ली से अब ऊं पर्वत पहुंचने में मात्र दो दिन का समय लगेगा। दिल्ली से पिथौरागढ़ तक सफर 18 घंटे का है । पिथौरागढ़ से धारचूला साढ़े तीन घंटे और धारचूला से ऊं पर्वत तक लगभग पांच घंटे तक का सफर रहेगा।