कहां की टैक्स की योजनाओं का कंप्यूटरीकृत किया जाना भ्रष्टाचार को कम करने वाला काम है उनके अनुसार किसानों को राहत देने का काम भी मोदी सरकार और बीजेपी की राज्य सरकार कर रही है कहा धन सिंह रावत ने जो मॉडल बनाया है उसको पूरे देश भर में लागू करने का हम काम करेंगे इसलिए मैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और धन सिंह रावत दोनों को धन्यवाद देता हूं
वहीं गृह मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार घसियारी योजना के तहत पहाड़ की महिलाओं के कंधों से घास की गठरी हटाने का काम सरकार कर रही है , उनके अनुसार केंद्रीय मोदी सरकार ने देश में सहकारिता को बचाने का काम किया है कांग्रेस ने तो सहकारिता को बर्बाद करने का ही काम किया कहां सहकारिता आंदोलन से ही गरीब किसानों को राहत मिल सकती है
छोटे दूध बेचने वालों को काम मिल सकता है उनसे राहत मिल सकती है कहा मोदी सरकार ने सहकारिता विभाग बनाया केंद्र में जिसके बाद पहला मंत्री बनाने का सौभाग्य मुझे दिया गया कहां ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट उत्तराखंड में सहकारिता कब बनने जा रहा है यह भी अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण फैसला है उनके अनुसार हमारी कोशिश है कि हमारी पहाड़ की माताएं बहने दुर्घटनाओं से बचे हैं और अपना ज्यादातर समय अपने बच्चों के भविष्य को बनाने में लगाएं
सहकारिता विभाग ने गंगा जली योजना की भी शुरुआत कर दी है जिससे घर बैठे लोगों को गंगाजल भेजने का काम किया जाएगा
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना (MGKY) (एन०सी०डी०सी० एवं उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सहायतित)
उत्तराखण्ड राज्य की 70 प्रतिशत से अधिक आवादी की आजीविका का प्रमुख स्त्रोत कृषि एवं पशुपालन आदि है एवं दुधारू पशु प्रजातियों का 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वामित्व सीमान्त एवं छोटे किसान के पास है। आजीविका के मुख्य स्त्रोतों में दुग्ध उत्पादन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। जनपद अल्मोड़ा में किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि चारा काटने हेतु महिलाओं को 08 से 10 घंटे पैदल चलने से अत्यधिक शारीरिक बीमारियों (पीठ, कमर, घुटने, गर्दन दर्द) का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालकों द्वारा पारम्परिक चारा उपयोग में लाया जाता है जिसके मूल पोषक तत्व केवल 10 से 15 ही होते हैं। पौष्टिक एवं गुणवत्तायुक्त चारे की कमी के कारण दुग्ध उत्पादन में निरन्तर कमी आती जा रही है जिस कारण पर्वतीय कृषकों द्वारा पशुपालन गतिविधि में रुचि का अभाव हो रहा कृषकों की इस समस्या को देखते हुये परियोजना द्वारा हरा मक्का का उत्पादन कर सायलेज निर्माण किये जाने हेतु कार्य योजना तैयार की गयी है।
पर्वतीय महिलाओं की कार्यबोझ से मुक्ति एवं पशुओं हेतु पौष्टिक आहार उपलब्ध कर पशुपालन गतिविधि को एक व्यवसाय के रूप में स्थापित करने हेतु मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना का क्रियान्यवन उत्तराखण्ड राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के अन्तर्गत किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना अन्तर्गत सायलेज फैडरेशन (साईफेड) के माध्यम से संयुक्त सामूहिक खेती के अन्तर्गत मक्का की मूल्य वृद्धि श्रृंखला जनपद देहरादून की सहकारी समितियों से जुड़े 1000 कृषकों की 1000 एकड़ भूमि पर 10000 मीट्रिक टन हरे मक्का का उत्पादन किया गया है, जिससे हरा मक्का उत्पादन करने वाले कृषकों को रू० 02 करोड़ का भुगतान वर्ष 2021-22 मे किया गया है। परियोजना द्वारा सायलेज फेडरेशन एवं कार्पोरेट पार्टनर के साथ कॉपरेटिव कार्पोरेट पार्टनरशिप मॉडल विकसित किया गया है, जिसका मुख्य लक्ष्य सामूहिक खेती के माध्यम से किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करना है एवं पहाड़ी जनपदों में चारा लाने के दौरान महिलाओं की दुर्घटनाओं के साथ-साथ कार्यबोझ में कमी कर राज्य में गुणवत्ता एवं पौष्टिक चारा उपलब्ध कराना है।
•परियोजना की मुख्य विशेषतायें
→ प्रस्तावित योजना में राज्य में कृषक लाभार्थियों / पशुपालकों को सायलेज / टी०एम०आर० / चारा ब्लॉक रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाना है।
→ इस योजना के तहत लगभग 2000 से अधिक कृषक परिवारों को उनकी 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोड़ा गया है।
> वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान सायलेज एवं टी०एम०आर० हेतु प्रतिवर्ष 10,000 मै0 टन उत्पादन
और आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।
→ प्रस्तावित योजना में रियायती दरों पर किसानों को सायलेज एवं टी०एम०आर० की आपूर्ति हेतु राज्य सरकार की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था की गयी है।