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दिल्ली सहित नोयडा गाजियाबाद, फ़रीदाबाद में फिर से कांपी धरती, भूकंप के तेज झटके महसूस कर लोग घरों से निकले बाहर

नई दिल्ली-: दिल्ली और NCR के कुछ क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.2 थी और इसका केंद्र गुरुग्राम से 48 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में था. भूकंप के झटके गुरुवार को रात करीब 11.45 बजे महसूस किए गए. फिलहाल किसी के जान-माल की हानि की जानकारी सामने नहीं आई है.

इससे पहले 2 दिसंबर को तड़के दिल्ली-एनसीआर में हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 थी. गाजियाबाद में भूकंप का केंद्र था. सुबह 4 बजकर 5 मिनट पर भूकंप आया था. इस साल दिल्ली-एनसीआर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. अप्रैल के बाद दिल्ली-एनसीआर में इस बार 15 से ज्यादा बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस दौरान भूकंप का केंद्र दिल्ली के आसपास के इलाकों में ही था.

दोपहर में भी राजस्‍थान में झटके हुए थे महसूस

इससे कुछ घंटे पहले राजस्थान के सीकर जिले में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे. मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि सुबह 11 बजकर 26 मिनट पर सीकर में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.0 दर्ज की गई. उन्होंने बताया कि भूकंप का केंद्र रींगस के आसपास जमीन से लगभग पांच किलोमीटर की गहराई में स्थित था. सीकर पुलिस नियंत्रण कक्ष के अनुसार भूकंप से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की तत्काल कोई सूचना नहीं है.

देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक पहले ही आशंका जता चुके हैं कि दिल्ली और उसके आसपास के इलाके में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. भूकंप की निगरानी करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था द नेशनल सेंटर ऑफ सीसमोलॉजी (The National Center of Seismology) ने बताया कि बीते कुछ महीनों में दिल्ली में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.

कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप

आखिर ये दिल्ली-एनसीआर की जमीन के नीचे हो क्या रहा है. क्या कहीं और आ रहे भूकंप की वजह से दिल्ली-एनसीआर कांप रहे हैं. जवाहरलाल नेहरू सेंटर ऑफ एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में प्रोफेसर सीपी राजेंद्रन ने आशंका जताई है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. लेकिन ये कब आएगा और कितना ताकतवर होगा, ये कह पाना मुश्किल है. राजेंद्रन ने ये बातें एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में कहीं.

सीपी राजेंद्रन ने 2018 में एक स्टडी की थी. जिसके मुताबिक साल 1315 और 1440 के बीच भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहाना खोला तक 600 किलोमीटर लंबी सीसमिक गैप बन गई थी. यानी जमीन के अंदर एक बड़ा गैप बन गया है. यह एक सक्रिय भूकंपीय फॉल्ट है. सीपी राजेंद्रन ने बताया कि इस गैप में आमतौर पर कोई हलचल नहीं दिखती. इस पर छोटे-छोटे झटके आते रहते हैं. पिछले 600-700 सालों से ये गैप शांत है. लेकिन इस पर लगातार भूकंपीय दबाव बन रहा है. हो सकता है कि यह दबाव भूकंप के तौर पर सामने आए. अगर यहां से भूकंप आता है तो यह 8.5 तीव्रता तक हो सकता है.

अगर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 8.5 तीव्रता का भूकंप आता है भयावह तबाही का मंजर देखने को मिलेगा. दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं. इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं. इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हैं.

क्या कहते हैं वैज्ञानिक
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) में वैज्ञानिक जेएल गौतम ने बताया कि आज तक अभी तक ऐसी कोई तकनीकी नहीं बनी है जिससे पहले से इसके बारे में बताया जा सके. उन्होंने कहा कि इसके आने के बाद तीव्रता का अंदाजा तो लगाया जा सकता है लेकिन पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने भूकंप आने वाले क्षेत्रों के 5 जोन में बांटा गया. जिसमें 5वां जोन सबसे खतरे में है और दिल्ली का इलाका चौथे जोन में आता है.

उन्होंने बताया कि हिमालय के आसपास का इलाके में बड़े भूकंप आने का खतरा ज्यादा है क्योंकि वहां पर प्लेटें खिसक रही हैं. इसलिए हिंदुकुश पर्वत से लेकर उत्तर-पूर्व तक भूकंप का एक बड़ा खतरा है और हिमालयी क्षेत्र से दिल्ली की दूरी 250 से 300 किलोमीटर के आसपास है. इसलिए वहां आए भूकंप का असर इस इलाके में दिख सकता है. जिस तरह नेपाल में आए भूकंप का असर दिल्ली तक देखा गया था.

डॉ. जेएल गौतम ने बताया कि अगर भूकंप आता है तो कोनों और या किसी खंबे को पकड़ खड़े हो जाएं और सिर को बचाने की कोशिश करें. किसी लकड़ी के तख्ते के नीचे भी बैठ सकते हैं.

 

 

 

 

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