उत्तराखंड की परंपरागत पाक कला एवम स्थानीय भोज्य पदार्थों की औषधीय गुणवत्ता
अल्मोड़ा : उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित राजकीय महाविद्यालय भत्रोंजखान में प्राचार्य प्रो सीमा श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवम डॉ केतकी तारा कुमैय्यां ,नेतृत्व में महिलाओं के उत्थान, युवाओं को स्वरोजगार, नशामुक्ति अभियान, व भारत सरकार एव प्रदेश सरकार की लाभदायक योजनाओं को सेमीनार व रैली के माध्यम से आम जनमानस को जागृत करने का कार्य समय समय पर किया जाता रहता है।
उत्तराखंड शिक्षा एवम स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के नेतृत्व में तथा जी 20 शिखर वार्ता में उत्कृष्ट उत्तराखंडी पाक कला के प्रदर्शन के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे गढ़भोज दिवस के सुअवसर पर में राजकीय महाविद्यालय भत्रोंजखान में एक दिवसीय परिचर्चा प्राचार्य प्रो सीमा श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवम डॉ केतकी तारा कुमैय्यां ,कार्यक्रम अधिकारी के नेतृत्व में आयोजित की गई। परिचर्चा का विषय ” उत्तराखंड की परंपरागत पाक कला एवम स्थानीय भोज्य पदार्थों की औषधीय गुणवत्ता ” रहा।
छात्र रविन्द्र कुमार की प्रस्तुति
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो सीमा श्रीवास्तव द्वारा गढभोज दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की गई तथा हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान “जड़ी” की उत्तराखंड के स्थानीय भोज्य उत्पादों एवम पदार्थो के पुनर्जीवित करने के प्रयास की सराहना की तथा सभी को इस मुहिम से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम अधिकारी डॉ केतकी तारा द्वारा कार्यक्रम के विषय को जानकारी सांझा की गई जिसमे बी वोकल फॉर लोकल पर बल दिया गया था।साथ ही इंडियन इंडिजनस सिस्टम के संवर्धन एवं संरक्षण में स्थानीय लोगो एवम स्थानीय उत्पादों के महत्व के बारे में जानकारी दी गई।
तत्पश्चात डॉ पूनम द्वारा प्राचीन परम्पराओं एवम भारतीय संस्कृति एवम सभ्यता को आगे बढ़ाने में गढ़भोज दिवस एक महत्वपूर्ण कदम है जो स्वस्थ जीवन शैली के साथ साथ दीर्घजीवन् में सहायक है। साथ ही स्थानीय पदर्थों को विलुप्त होने से बचाने लिए बीज बम आंदोलन और बीज बैंक से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया।
इसी क्रम में डॉ रूपा द्वारा स्थानीय स्तर पर बनाई जाने वाली तिल की चटनी एवम भांग की चटनी के पौष्टिक गुणों की चर्चा की गई
कार्यक्रम के सफल सम्पादन में गैर शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवम कार्यालय स्टाफ को महत्वपूर्ण भूमिका रही । इसमें श्री भूपेंद्र द्वारा विलुप्त हो रहे मोटे अनाज कौणी एवम झुंवारा के बीजों का प्राथमिकता के स्तर पर संरक्षण किया जाए तथा नैसर्गिक भोज्य पदार्थों का सेवन किया जाए।
इसके बाद श्री ललित मोहन द्वारा अपने यू ट्यूब चैनल हिमवंत देश उत्तराखंड के माध्यम से गेहत को दाल जिसे कुलत्थी की दाल कहा जाता है उसकी लघु डॉक्यूमेंट्री का मंचन किया गया तथा उसके लाभ बताए।
इसके बाद स्टाफ गिरीश ,रोहित, जगदीश द्वारा क्रमश: गैंठी,चौलाई,एवम बिच्छू घास के औषधीय गुण एवम खाद्य प्रयोग के बारे में बताया गया।
अंत में उत्तराखंड की विरासत के उत्तराधिकारी महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने भी अपने उत्तराखंड के व्यंजनों के बारे में जानकारी सांझा करी। जहां किरण पाली ने पीलिया में रामबाण का काम करने वाली भट्ट से बनने वाली राजढी को बनाने की विधि बताई वही दिशा ने भट्ट एवम गेहत की दाल से बनने वाली डुबके की चर्चा की।
कार्यक्रम के कुशल संपादन के लिए प्राचार्य द्वारा समस्त महाविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं प्रेषित की गई।