पौड़ी गढ़वाल जिले के 35 गांव के लोगो ने लिया संकल्प। उत्तराखंड राज्य बनने के 24 साल बाद भी पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर विधानसभा के अंदर डाडामंडल के दो दर्जन से अधिक गांव कौड़िया-किमसार मोटर मार्ग सड़क की समस्या को लेकर परेशान हैं। स्थाई सड़क की समस्या को देखते हुए अब ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है।
ग्रामीणों ने हाल ही में लोक सभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर न्याय पंचायत किमसार से तल्ला बनास, मल्ला बनास, किमसार, रामजीवाला, धारकोट, गंगा भोगपुर के बीन नदी पुल तक जन-जागरूकता अभियान चलाया। लोगों का कहना है कि क्या इस क्षेत्र की जनता सिर्फ वोट बैंक है, जिसका इस्तेमाल केवल मतदान के अवसर पर किया जाता है।
क्षेत्र की मुख्य मांगों में- बीन नदी पर पुल का निर्माण, कौड़िया-किमसार मोटरमार्ग का डामरीकरण, तल्ला गंगाभोगपुर में तटबंध बनाना, कौड़िया-विंध्यवासिनी-ताल-कन्डरा (ताल घाटी) स्थाई आलवेदर रोड़ का निर्माण शामिल है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक इन मुख्य मांगों पर विचार नहीं होगा, तब तक पूरा क्षेत्र एकजुट होकर आने वाले लोकसभा चुनाव का पुरजोर बहिष्कार करेगा।
संघर्ष समिति के सचिव और मल्ला बनास गांव के प्रधान बचन विष्ट का कहना है कि हमारी सड़क का मामला अब राजनीतिक हो गया है। 45 साल तक वोट देकर हमें एक सड़क तक नहीं मिली। इमरजेंसी में या जब कोई प्रसुता को अस्पताल ले जाना होता है तो लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अकेले डांडा मंडल में 7 हजार से ज्यादा वोटर हैं।
सड़क से प्रभावित करीब 35 हजार मतदाता होंगे। उन्होंने बताया कि 2016 में जब ग्रामीणों ने आंदोलन किया तब तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने 6 करोड़ 26 लाख का बजट जारी किया। जिससे सीसी मार्ग बनाया गया। पार्क प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्यारे लाल रणाकोटी ने बताया कि 1982 से सड़क की मांग कर रहे हैं। 1995-96 में 10 से 12 किमी बनी, लेकिन नेशनल पार्क की 11 किमी पक्की नहीं बन पाई है।
आरोप है कि हर बार बताया जाता है कि क्लीयरेंस मिल चुकी है, लेकिन सड़क पर काम नहीं होता। तल्ला बनास के प्रधान विनोद नेगी ने बताया कि न्याय पंचायत किमसार के लोग लगातार इस सड़क के लिए आंदोलन कर रहे हैं। हमारे पास जीप से यात्रा करने के अलावा कुछ भी विकल्प नहीं है। गंगा भोगपुर से 12 से 14 किमी सड़क है। जिसको लेकर आंदोलन चल रहा है।
यूकेडी के नेता और समाजसेवी शांति प्रसाद भट्ट का आरोप है कि उत्तराखंड बनने से अब तक यहां भाजपा के विधायक रहे। यहां से वीआईपी नेता भी विधायक और सांसद रहे, लेकिन किसी ने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया। भट्ट का कहना है कि पूरे उत्तराखंड में ही शायद ऐसा कोई बीहड़ क्षेत्र रह गया होगा, जैसा यमकेश्वर को यहां के जनप्रतिनिधियों ने बना दिया है।