भोपाल/नोयडा:-भोपाल साइबर पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है, जिसमें परिवार के ही कुछ लोग शामिल थे। इस गिरोह में मुख्य रूप से 3 लोग शामिल हैं, जिसमें ब्वॉयफ्रेंड, मंगेतर और साली है। तीनों ने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर 10 हजार लोगों को चूना लगाया है।
राजधानी भोपाल की पुलिस को लगातार पर्सनल लोग के नाम पर धोखाधड़ी की शिकायत मिल रही थी। बीते कुछ दिनों में करीब 1 दर्जन लोगों ने ठगी की शिकायत की थी। उसके बाद साइबर क्राइम भोपाल ने इस हाइटेक मामले की जांच शुरू की, तो इसके तार नोएडा से संचालित हो रहे एक कॉल सेंटर से जुड़ी है। इस कॉल सेंटर के लोग पर्सनल लोन देने के नाम पर लोगों को फोन करते थे। फिर उनसे ठगी करते थे। साइबर सेल ने उसके बाद गाजियाबाद और नोएडा में छापेमारी की है। गाजियाबाद से 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में डेविड कुमार जाटव, मनीषा भट्ट, नेहा भट्ट और कमल कश्यप शामिल है। इन लोगों ने ठगी के लिए कई फर्जी कंपनियों का निर्माण किया था।
पुलिस के अनुसार डेविड कुमार जाटव इस गिरोह का मुखिया है, जो स्विफ्टफायनेंस के नाम से एक आईटी कंपनी चलाता है। डेविड कुमार जाटव ने ऑनलाइन वेब डिजाइनिंग का कोर्स किया है। यह फर्जी वेबसाइट ग्राहकों को लोन देने के लिए बनाता था। इसके साथ ही यह ऑनलाइन विज्ञापन गूगल ऐड पर देता था। इस काम के लिए इसने यूपी के नोएडा में 2 कॉल सेंटर खोल रखे थे। यहां 25-30 लड़कियों को कॉल करने के लिए रखा था।वहीं, डेविड जाटव की मंगेतर नेहा भट्ट फर्जी कंपनियों का काम देखती थी। पुलिस के अनुसार नेहा भट्ट डेविड की मंगेतर है। वह अगस्त 2018 से उसके साथ काम कर रही है। डेविड ने सभी फर्जी कंपनियां अपनी मंगेतर को खुश करने के लिए बनाई थी। सारी कंपनियों का ऑपरेशन का काम नेहा भट्ट ही देखती थी।
गिरोह में डेविड के मंगेतर की बहन भी शामिल है। मनीषा भट्ट कॉल सेंटर के प्रबंधन का काम देखती थी। वह ग्राहकों को कॉल के जरिए ऑनलाइन फंसाती थी। इस गिरोह में शामिल कमल कश्यप ग्राहकों से पैसे लेने के लिए फर्जी बैंक एकाउंट और सिम कार्ड उपलब्ध कराता था। डेविड कुमार जाटव इसे 50 हजार रुपये प्रति फर्जी बैंक एकाउंट के आधार पर पेमेंट करता था।
गिरफ्तार आरोपी फर्जी वेबसाइट डेवलप कर गूगल ऐड पर विज्ञापन देते थे। जब ग्राहक लोन के लिए पर्सनल जानकारी डालते थे, तब कंपनी के कॉल सेंटर से ग्राहकों को लड़कियां कॉल करती थी। प्रोसेसिंग फीस, सिक्यूरिटी डिपॉजिट, जीएसटी और वन टाइम ट्रांजेक्शन के नाम पर अलग-अलग चार्जेजेस के नाम पर ग्राहकों से 30-40 हजार की ठगी करते थे। ये लोग एक फर्जी वेबसाइट को 2 से तीन माह तक उपयोग करते थे। उसके बाद उसे बंद कर देते थे।
गिरोह के लोग फर्जी वेबसाइट से हर दिन 1000-1200 लोगों से विभिन्न स्तरों पर ठगी करते थे। कॉल करने के लिए ये लोग फर्जी सिम कार्ड का उपयोग करते थे।
ग्राहकों को फोन करने के लिए नोएडा में 2 कॉल सेंटर खोल रखे थे, जिसका मासिक किराया डेढ़ लाख रुपया था। 25-30 लड़कियों को 10-15 हजार रुपये पर कॉल करने के लिए रखा गया था।
पुलिस के अनुसार इन लोगों ने 10 हजार लोगों से करीब 10 करोड़ रुपये की ठगी की है। इनके पास से 6 लैपटॉप, 25 मोबाइल, 21 पेन ड्राइव, 8 सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड और अन्य दस्तावेज मिले हैं।