यमुनोत्री धाम का स्लॉट फुल पड़ावों पर हांफ रहा व्यवस्था डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

यमुनोत्री मंदिर चार धाम यात्रा में से पहला धाम है अर्थात् इस स्थान से यात्रा की शुरूआत होती है। यमुनोत्री का मंदिर देवी यमुना को समर्पित है। यमुना नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। सप्तऋषि कुंड नामक सरोवर से यमुना नदी निकलती है। इस मंदिर में भगवान यम और देवी यमी मूर्ति के रूप में विराजमान है। कलिन्द पर्वत से पिघलकर यहाँ पर यमुना जल के रूप में गिरती है। इसलिए यमुना को कालिन्दी के नाम से भी जाना जाता है। विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के पवित्र दिन पर खुलते है और दिवाली के दूसरे दिन मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते है।इस मंदिर में पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है और यहाँ पर पिंड दान का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु अपने पितरों का पिंड दान इस मंदिर के परिसर में करते है।यमुनोत्री का वास्तविक स्त्रोत जमी हुई बर्फ की एक झील और हिमनंद है, जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है।यमुना के इस जल की परिशुद्धता, निष्कलुशता और पवित्रता के कारण भक्तों के मन में यमुना के प्रति अपार श्रद्धा बढ जाती है।यमुनोत्री मंदिर तीहरी नरेश सुदर्शन शाह द्वारा 1839 में बनाया गया था, लेकिन बर्फ और बाढ़ के कारण मंदिर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था।  इसे जयपुर की महारानी गुलारिया ने 19वीं सदी में पुन: बनाया था। उत्तराखंड, जिसे देवभूमि या देवताओं की भूमि के रूप में भी जाना जाता है, कई मंदिरों का घर है और पूरे वर्ष भक्तों का स्वागत करता है। उत्तराखंड में श्रद्धालु जिन अनगिनत धार्मिक स्थलों और सर्किटों का दौरा करते हैं, उनमें से सबसे प्रमुख चार धाम यात्रा है। यह यात्रा या तीर्थयात्रा हिमालय की ऊंचाई पर स्थित चार पवित्र स्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – की यात्रा है। हिंदी में, ‘चर’ का अर्थ है चार और ‘धाम’ का अर्थ धार्मिक स्थलों से है।चारधाम यात्रा का ऑनलाइन पंजीकरण हो रहा है। परंतु यात्रा के शुरूआती दिनों में यमुनोत्री धाम का स्लॉट फुल दिखा रहा है। जिससे होटल व्यवसायियों में सिस्टम के विरुद्ध आक्रोश बढ़ रहा है। होटल व्यवसायी चारधाम यात्रा के ऑनलाइन पंजीकरण में तीर्थ यात्रियों की संख्या की बाध्यता को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। ऋषिकेश से जब तीर्थ यात्री गंगोत्री के लिए आता है तो चिन्यालीसौड़ के पास तीर्थ यात्रियों के पंजीकरण की जांच होती है। परंतु इस जांच केंद्र के पास सार्वजनिक शौचालय नहीं है। जिन पड़ावों पर सार्वजनिक शौचालय हैं, वहां बदहाल स्थिति में हैं। स्वच्छता के साथ इन शौचालयों पर पानी की सुविधा तक नहीं है, जिससे इनमें गंदगी की भरमार रहती है। इसके अलावा अधिकांश ऐसे पड़ाव हैं। जहां शौचालय सुविधा नहीं हैं। पानी की सुविधा न होने के कारण अस्थाई शौचालय भी उपयोग में नहीं आते हैं। चारधाम यात्रा के दौरान कई पड़ाव में तीर्थयात्रियों को अच्छी गुणवत्ता का भोजन न देना और अधिक मूल्य वसूलने की शिकायत भी मिलती है। परंतु इसके लिए कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। उत्तरकाशी में खानपान की व्यवस्था औसतन सही है। परंतु चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा पड़ाव पर खाने के रेट दो से तीन गुने तक बढ़ जाते हैं।  राष्ट्रीय राजमार्ग पर पर्याप्त स्वच्छ पेयजल की सुविधा नहीं है। कुछ स्थानों पर हैंडपंप, वाटर एटीएम व आरओ लगाए गए हैं। जो रखरखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त हैं। यात्रा मार्ग प्रमुख पड़ाव चिन्यालीसौड़, धरासू, डुंडा, बंदरकोट, उत्तरकाशी, जोशियाड़ा, नेताला, भटवाड़ी, सुक्की, झाला, हर्षिल में स्वच्छ पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में तीर्थ यात्रियों को यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले नदी नालों से पानी भरना पड़ता है, या फिर बोतल बंद पानी ही खरीदना पड़ता है। उत्तरकाशी शहर में पेयजल के लिए कुछ स्थानों पर छोटी-छोटी टंकी और आरओ लगाए हैं। उनकी स्थिति, बदहाल है।चारधाम यात्रा मार्ग पर सबसे बड़ी समस्या पार्किंग को लेकर है, जो यात्राकाल में विकट रूप ले लेती है। डुंडा, नेताला, भटवाड़ी,गंगनानी, सुक्की, झाला, जसपुर में पार्किंग व्यवस्था नहीं है। जोशियाड़ा में जलविद्युत निगम के मैदान और उत्तरकाशी में रामलीला मैदान अस्थाई तौर पर की व्यवस्था की जाती है। उत्तरकाशी बस अड्डे के निकट और हीना पार्किंग निर्माणाधीन हैयमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर असुविधाओं का पहाड़ खड़ा है। पांच किलोमीटर लंबे इस पैदल मार्ग जानकी चट्टी से लेकर यमुनोत्री धाम तक सुमुचित सुविधाएं नहीं हैं। इस पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों के सुस्ताने के लिए सही और सुरक्षित विश्राम स्थल नहीं हैं। शौचालय और पेयजल की तो बदहाल व्यवस्था है। उत्तराखंड के चारधाम में यमुनोत्री धाम एक ऐसा धाम है। जहां धाम के निकट ठहरने के लिए होटल और विश्राम गृह की सुविधा नहीं है। तीर्थयात्रियों को हर हाल में दर्शन कर वापस जानकीचट्टी लौटना होता है। यमुनोत्री के पूरे यात्रा मार्ग से लेकर जानकी चट्टी तक सार्वजनिक शौचालय व मौजूद शौचालय में स्वच्छता की सही व्यवस्था नहीं है। जानकी चट्टी यमुनोत्री धाम तक की दूरी करीब पांच किलोमीटर है। परंतु जानकी चट्टी के पास शौचालय की सही व्यवस्था नहीं है। इस पैदल मार्ग पर केवल दिखाने के लिए अस्थाई शौचालय बनाए गए हैं। इन शौचालयों में साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी के संयोजन न होने से गंदगी की भरमार रहती है। चारधाम यात्रा सीजन में गंदगी के कारण एक भी शौचालय उपयोग के लायक नहीं होता है।चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी से उतर जाती है। जिला अस्पताल से लेकर, सीएचसी व पीएचसी में चिकित्सकों की कमी और अधिक बढ़ जाती है। यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले सड़क मार्ग और पैदल मार्ग पर स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था नहीं है। यमुनोत्री धाम में अस्पताल की सुविधा और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व चिकित्सकों के रहने की उचित व्यवस्था नहीं है।गंगोत्री धाम की यात्रा में तीर्थयात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा करवाने की चुनौती पुलिस प्रशासन के सामने यमुनोत्री यात्रा मार्ग से कम नहीं हैं। यहां भूस्खलन जोन, अधिकांश स्थानों पर संकरा मार्ग तीर्थयात्रियों के साथ पुलिस के लिए भी चुनौती बन सकता है।पुलिस इस यात्रा में बेहतर व्यवस्था देने की बात तो कर रही है। परंतु वर्तमान में सड़क व अन्य संसाधनों की स्थिति से यह उम्मीद कम ही लग रही है। इसके साथ ही पुलिस के पास जरूरी संसाधन और मेन पावर की कमी भी आड़े आ सकती है।लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

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