देहरादून

पिथौरागढ़ के भूपेश जोशी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ! डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार: 28 साल से थिएटर में सक्रिय अभिनेता एवं निर्देशक भूपेश जोशी को गुरुवार को रंगमंच (Theater) में बेहतर अभिनय के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  ने विज्ञान भवन में भूपेश जोशी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया. भूपेश जोशी पिछले 22 साल से दिल्ली में रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय हैं और 40 से अधिक नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं. 60 से अधिक नाटकों में उन्होंने बतौर अभिनेता अभिनय किया है.

राष्ट्र की भौतिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करती है, लेकिन अमूर्त विरासत उसकी संस्कृति के माध्यम से सामने आती हैं। संस्कृति ही देश की वास्तविक पहचान होती है। भारत की अद्वितीय प्रदर्शन कलाओं ने सदियों से हमारी अतुल्य संस्कृति को जीवंत बनाए रखा है। हमारी कलाएं और कलाकार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संवाहक हैं। 'विविधता में एकता' हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं की सबसे बड़ी विशेषता है।राष्ट्रपति
ने कहा कि हमारी परंपरा में कला एक साधना है, सत्य की खोज का माध्यम है, प्रार्थना व पूजा का माध्यम है, लोक कल्याण का माध्यम है। सामूहिक उल्लास और एकता भी नृत्य व संगीत के माध्यम से अभिव्यक्त होती है।
कला भाषाई विविधता और क्षेत्रीय विशेषताओं को एक सूत्र में बांधती है।राष्ट्रपति ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में कला की सबसे प्राचीन और सबसे श्रेष्ठ परिभाषाएं व परंपराएं विकसित हुई हैं। आधुनिक युग में हमारे सांस्कृतिक मूल्य और अधिक उपयोगी हो गए हैं। आज के तनाव और संघर्ष से भरे युग में, भारतीय कलाओं द्वारा शांति और सौहार्द का प्रसार किया जा सकता है। इसके अलावा भारतीय कलाएं भी भारत की सॉफ्ट पावर का बेहतरीन उदाहरण हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि जिस तरह हवा और पानी जैसे प्राकृतिक उपहार मानवीय सीमाओं को नहीं मानते, उसी तरह कला की विधाएं भी भाषा और भौगोलिक सीमाओं से ऊपर होती हैं। एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, पंडित रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, लता मंगेशकर, पंडित भीमसेन जोशी और भूपेन हजारिका का संगीत भाषा या भूगोल से बाधित नहीं होते थे। उन्होंने अपने अमर संगीत से केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में संगीत प्रेमियों के लिए एक अमूल्य विरासत छोड़ी है। सफलता किसी चीज की मोहताज नहीं होती है। वो परिश्रम और लगन के रास्ते चलकर अपनी कहानी खुद लिखती है। पहाड़ की प्रतिभा ने देश व विदेशों में अपने परिश्रम का लोहा मनवाया है। ऐसी ही कहानी है प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार, सिने अभिनेता और निर्देशक भूपेश जोशी की।भूपेश जोशी मूलरुप से पिथौरागढ़ के चहज गांव निवासी है। वे स्व.केशव दत्त जोशी के पुत्र हैं। भूपेश को बचपन से ही रंगमंच के प्रति एक बड़ा लगाव था। पिथौरागढ़ से ग्रेजुएशन करने के बाद भूपेश ने भारतेंदु नाट्य एकेडमी लखनऊ से ड्रामा से ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने कई रंगमंचों पर अपने अभिनय का लोहा मनवाया। रंगमंच के अलावा भूपेश ने कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में भी काम किया है। वे पिछले 22 सालों से थियेटर में काम कर रहे। भूपेश हिंदी फिल्म पिंजर, चिंटू जी, किस्मत लव पैसा दिल्ली, सौन चिरैया और इंडो कैनेडियन फिल्म अमल के साथ साथ अन्य कई फिल्मों में काम कर चुके हैं। वहीं स्टार प्लस पर आने वाले टीवी सीरियल दहलीज, डीडी वन में तुम देना साथ मेरा और क्योंकि जीना इसी का नाम है, ये हवाएं, साहिर में भी उन्होंने काम किया है।भूपेश कई विज्ञापनों में भी काम कर चुके हैं। टेली फिल्म नींद आने तक में उन्होंने लीड रोल किया है। भूपेश ने 50 से अधिक नाटकों में मुख्य भूमिका निभाई है। वहीं 28 से अधिक नाटकों का निर्देशन भी किया है। इसके अलावा देश-विदेश में आयोजित इंटरनेशनल थियेटर फेस्टेवल में भी उन्होंने भाग लिया है। भूपेश वर्ष 2013 में साहित्य कला परिषद दिल्ली की ओर से युवा निर्देशक सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं। अब सफदर हाशमी पुरस्कार नाम है, भूपेश जोशी को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने पुरस्कार दिया। रंगमंच अभिनेता एवं निर्देशक भूपेश को वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ की ओर से प्रतिष्ठित सफदर हाशमी पुरस्कार भी मिल चुका है। साल 2013 में भूपेश दो को दिल्ली सरकार की साहित्य कला परिषद ने युवा निर्देशक का पुरस्कार दिया। भारत सरकार उन्हें फैलोशिप भी दे चुकी है।
लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

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