काली नदी के कटाव से सुरक्षा के लिए नेपाल पहले ही अपनी ओर मजबूत तटबंध बना चुका है। अब धारचूला कस्बे की सुरक्षा के लिए भारत करोड़ों रुपये की लागत से तटबंध का निर्माण कर रहा है। नेपाल की ओर से मजदूरों पर सात बार पत्थर बरसाए जा चुके हैं। असामाजिक तत्वों की इस तरह की करतूतों से दोनों देशों के बीच रिश्तों में दरार पड़ने की आशंका रहती है। भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। सीमांत गांवों के लोग एक-दूसरे देश में ही वैवाहिक संबंध बनाते हैं। दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी बरसात में उग्र रूप ले लेती है। इसमें आने वाली बाढ़ से भवनों के बहने का खतरा रहता है।वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा में काली नदी ने धारचूला से लेकर झूलाघाट तक भारी तबाही मचाई थी। तब नदी कई मकानों को बहा ले गई थी। नेपाल दार्चुला में मजबूत तटबंध पर सड़क भी बना चुका है। भारत में धारचूला कस्बे की सुरक्षा के लिए इस समय घटखोला में करोड़ों की लागत से सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है। नेपाल की ओर से कुछ असामाजिक तत्व लगातार तटबंध का विरोध कर रहे हैं। इससे पहले भी कई बार निर्माण स्थल पर पथराव हो चुका है। तटबंध निर्माण का विरोध करने वाले नेपाल के लोगों का कहना है कि तटबंध बनने पर बरसात में काली नदी से नेपाल की ओर कटाव का खतरा बढ़ेगा जबकि भारतीय अधिकारी और इंजीनियर बता चुके हैं कि वहां पहले ही तटबंध बनने से ऐसा खतरा नहीं है। इसके बावजूद नेपाल की ओर से पथराव कर रोटी-बेटी के रिश्तों में दरार डालने की कोशिशें की जा रहीं हैं। इस साल आई भीषण आपदा के कारण घटखोला में भारी मात्रा में काली नदी का मलबा जमा हो गया है। इससे तटबंध के निर्माण में बाधा पहुंच रही है। धारचूला के संयुक्त मजिस्ट्रेट ने सिंचाई विभाग के इंजीनियरों के साथ नेपाल पहुंचकर दार्चुला जिला प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने मलबा हटाने की बात नेपाल के अधिकारियों के सामने रखी थी। इसी माह फिर से दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बैठक होनी है। नेपाल में माओवादी पार्टियां, लिपुलेख और काला पानी जैसे इलाकों को भारत के साथ विवादित करार देने की कोशिश कर रही हैं, वहीं हाल ही में हुए नेपाल में आम चुनाव में नेपाली कांग्रेस को मिल रही बढ़त को देखते हुए भी नेपाली माओवादी पार्टियों के कार्यकर्ता हैं? ऐसे में नेपाली माओवादी पार्टियों के राजनीतिक कार्यकर्ता लोगों को आगे कर दोनों देशों के बीच में बवाल पैदा करने की कोशिश करते हुए देखे गए हैं। नेपाल में कुछ तत्वों द्वारा बार-बार इस तरह की हरकतों से सीमा पर आक्रोश भी बना है। जिससे पारंपरिक मित्रता भी प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है। इस दौरान आपस में कटुतापूर्ण बातों से भी तनाव बढ़ने के आसार नजर आते हैं। नेपाल से लोग स्थानीय उत्पाद बेचने, मजदूरी करने और खरीददारी के लिए भारत आते हैं। जबकि इस समय भारत से नेपाल जाने वालों की संख्या नहीं के बराबर रहती है। धारचूला में काली नदी किनारे तटबंध निर्माण के दौरान नेपाल की तरफ से हुए विवाद को लेकर भारत में आक्रोश है।
लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।