ऊखीमठ:-(लक्ष्मण सिंह नेगी) केदारखण्ड में देवगंगा अलकनन्दा और मन्दाकिनी के मध्य भूभाग को नागपुर के नाम से जाना जाता है !
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पौराणिक शिला लेखों से विदित होता है नागजाति के राजाओ ने तपस्या कर शिवजी से वरदान मांगा था कि शिव जी उन्हें अपने गले का आभूषण बनाएं और इस क्षेत्र का नाम नागजाति के नाम पर हो! शिवजी ने प्रसन्न होकर नाग देवो को अपने गले का आभूषण बनाया! तल्ला नागपुर, मल्ला नागपुर, विचला नागपुर का समस्त क्षेत्र रूद्रप्रयाग से अलकनन्दा, मन्दाकिनी नदियों के बीच जिसमें नागनाथ गढ़ और कण्डारागढ़ आते हैं वह क्षेत्र बहुत विशाल है!
विष्णु पुराण और वाराहि संहिता में नागपुर का विशेष वर्णन मिलता है! तल्ला नागपुर का भूभाग अलकनन्दा, मन्दाकिनी के संगम स्थल व रुद्र नाथ जी के पावन धाम से लेकर देव सेनापति कार्तिक स्वामी के तीर्थ तक फैला हुआ है! पट्टी तल्ला नागपुर व क्रौंच पर्वत कार्तिक स्वामी तीर्थ के चारों तरफ पड़ने वाले धार्मिक स्थल आस्था और विश्वास के अनूठे उदाहरण हैं!
तल्ला नागपुर में विधमान प्रत्येक तीर्थ स्थल की स्थापना व उनके धार्मिक महत्ता महापुराणों, पुराणो उपपुराणों व अन्य ग्रन्थों में मिलती है! प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग की पहल पर कार्तिक स्वामी पर्यटन सर्किट विकसित करने की कवायद वर्षों से निरन्तर जारी है यदि भविष्य में तल्ला नागपुर के अन्य तीर्थ व पर्यटक स्थलों को तीर्थाटन व पर्यटन से जोड़ा जाता है तो तल्ला नागपुर सहित अन्य क्षेत्रों के भूभाग का चहुंमुखी विकास होने के साथ – साथ स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार व स्थानीय उत्पादों को भी बढा़वा मिलेगा!
प्रकृति के चितेरे कवि चन्द्र कुवर बर्त्वाल, जगत गुरु शंकराचार्य माधवाश्रम, रुद्रप्रयाग के जनक सच्चिदानन्द, भू वैकुण्ठ बद्रीनाथ धाम की पावन आरती लिखने वाले धनसिंह बर्त्वाल, क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने वाले श्यामा दत्त शास्त्री, और देश की रक्षा के प्रति अपने प्राणों का बलिदान देने वाले अमर शहीद सुनील दत्त काण्डपाल सहित कई महान विभूतियों की जन्म व कर्म स्थली तल्ला नागपुर रही है! इस पावन माटी में जन्म लेने वाले महान विभूतियों का जीवन हमेशा धर्म रक्षा व समाज के लिये समर्पित रहा है! तल्ला नागपुर के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली क्रौंच पर्वत थी उत्तर भारत में एक मात्र तीर्थ है जहाँ पर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैतीस कोटि देवी – देवता विराजमान है!
तल्ला नागपुर के प्रवेशद्वार जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लेकर सीमान्त क्षेत्र क्रौंच पर्वत तीर्थ तक हजारों देवी – देवताओं ने वास किया है तथा प्रत्येक तीर्थ स्थल की अपनी विशिष्ट पहचान के साथ धार्मिक महत्ता भी अलग – अलग है! तल्ला नागपुर के प्रवेशद्वार व पतित पावनी पाप विनाशिनी अलकनन्दा व मन्दाकिनी के संगम स्थल में रुद्रनाथ, गुफा मे पवनसुत हनुमान, कोटेश्वर महादेव, उमरानारायण, सतेराखाल – नारी व कमेडा़ में अष्टभुजा भवानी, मयकोटि में पद्मावती व हरियाली, दुर्गा धार में दुर्गा देवी, चोपता फलासी में शिव – शक्ति, क्यूड़ी में तुंगनाथ, घिमतोली में नैणी देवी, जागतोली में नन्दाकुण्ड व शीर्ष पर क्रौंच पर्वत तीर्थ विराजमान है!तल्ला नागपुर को सबसे बड़ा वरदान प्रकृति का रहा है जिसने दिल खोलकर यहाँ के भूभाग को कदम – कदम पर अपने अनूठे वैभवो का भरपूर दुलार दिया है!
क्रौंच पर्वत से निकलने वाली सुर गंगा नदी की कल – कल निनाद व सैकड़ों फीट गहरी खाईयाँ, सतेराखाल, मयकोटी,दुर्गाधार, चोपता, खडपतियाखाल, घिमतोली, छोटे – छोटे हिल स्टेशन, क्यूड़ी पातल, रवाली सैणा,उसनतोली, जागतोली, चांदधार सहित कई दर्जन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर पर्यटक स्थल क्षेत्र की शोभा पर चार चाँद लगाते हैं! कल – कल करते नदी – नाले, सीढीनुमा खेतों की लहलहाती हरियाली, वनाच्छादित पहाड़ियों की सुन्दरता को निहारने से मन को अपार आनन्द की अनुभूति होती है, मनोहारी रुपहली छटा लिये पर्यटकों, सैलानियों प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले सतेराखाल से कोटखाल तक फैले अनुपम दृश्यों का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है! इस क्षेत्र के अन्तर्गत ऐसे पर्यटक स्थलों की भरमार है जहाँ चीड़, कैल,देवदार, बांज, बुरास, नैर , थुनेर,काफल से आच्छादित सुरम्य पहाडियां, हर गांव के चारों तरफ फैली वादियाँ मन को आल्हादित करते है!
विद्वान आचार्य चन्द मोहन वशिष्ठ, सुधार नौटियाल, शिक्षाविद कुशलानन्द वशिष्ठ बताते है कि तल्ला नागपुर की अपनी विशिष्ट पहचान युगों से रही है तथा यहाँ के हर तीर्थ में पूजा – अर्चना करने से मनौवाच्छित फल की प्राप्ति होती है! जिला पंचायत सदस्य सुनीता बर्त्वाल, पूर्व जिपस योगम्बर नेगी प्रधान बसन्ती नेगी, अमित प्रदाली, बबीता भण्डारी, क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन सिंह नेगी का कहना है कि यदि पर्यटन विभाग की कवायद रंग लाई तो आने वाले दिनों में तल्ला नागपुर के साथ ही क्यूजा घाटी व हापला घाटियों में पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही शुरू होने से स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होगा! सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह मेवाल, दीप राणा, पंचम सिंह नेगी, अंकुश राणा चन्दन सिंह नेगी, आजाद खत्री, सूरज सिंह नेगी, महेन्द्र सिंह नेगी, प्रह्लाद गुसाईं का कहना है कि यदि पर्यटन विभाग तुंगनाथ- चोपता – राकसीडांडा- मोहनखाल – कार्तिक स्वामी, सौर भुतेर – कौलाजीत – कार्तिक स्वामी, कार्तिक स्वामी – गणेश नगर, कार्तिक – ग्वास – तडाग-फलासी , नैणी देवी -कोटखाल – कार्तिक स्वामी, नैणी देवी – फलासी पैदल टै्को को विकसित कर पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास करता है तो होम स्टे योजना को बढ़ावा मिलने के साथ ही क्षेत्र के अन्य तीर्थ व पर्यटक स्थलों का भी सर्वागीण विकास होगा!