ऊखीमठ। द्वादश ज्योर्तिलिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने व चल विग्रह उत्सव डोलियों के हिमालय से शीतकालीन गद्दी स्थलों आगमन की तिथियाँ विजयदशमी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थलों में पंचाग गणना के अनुसार वेदपाठियों द्वारा देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों व हक हकूकधारियों की मौजूदगी में परम्परानुसार घोषित कर दी गई है। भगवान केदारनाथ के कपाट 6 नवम्बर को भैयादूज पर्व पर, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट 30 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे। पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में विजयदशमी पर्व पर पंचाग गणना के अनुसार भगवान तुंगनाथ के कपाट आगामी 30 अक्टूबर को शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी तथा 1 नवम्बर को भनकुण्ड से रवाना होकर अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में विराजमान होंगी। भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विजयदशमी पर्व पर पंचाग गणना के अनुसार भगवान केदारनाथ के कपाट 6 नवम्बर को भैयादूज पर्व पर सुबह 8 बजे शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर लिनचोली, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुण्ड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। 7 नवम्बर को रामपुर से रवाना होकर शेरसी,बडासू.फाटा, मैखण्डा, नारायणकोटी, नाला यात्रा पड़ावों से होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी तथा 31 अक्टूबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर बनियाकुण्ड, दुगलविट्टा, मक्कूबैण्ड, डूण्डू, बनातोली होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड 8 नवम्बर को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से रवाना होकर विधापीठ,जाबरी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होंगी।
पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को सुबह 8 बजे शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर मैखम्भा कनचट्टी नानौ खटारा.. बनातोली होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुंचेगी।
23 नवम्बर को गौण्डार गाँव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी तथा 24 नवम्बर को राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा, राऊलैक, बुरुवा, मनसूना होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गाँव पहुंचेगी तथा 25 नवम्बर को ब्रह्म बेला पर गिरीया गाँव में श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर के निर्वाण रूप के दर्शन करेगें उसके बाद भगवान मदमहेश्वर की डोली गिरीया गाँव से रवाना होगी तथा फापज,सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी जहाँ पर रावल भीमाशंकर लिंग द्वारा परम्परानुसार डोली की अगुवाई कर सोने का छत्र अर्पित किया जायेगा, उसके बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्राह्मणखोली, डगवाडी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ आगमन पर भव्य मदमहेश्वर मेले का आयोजन किया जायेगा। इस मौके पर देव स्थानम्, राजकुमार नौटियाल, प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग, टी गंगाधर लिंग, गिरीश देवली, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भटट्, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भटट्, आचार्य यशोधर मैठाणी, सतेश्वर प्रसाद सेमवाल, अर्जुन रावत, अनूप पुष्वाण,दीपक पंवार, बिनेश्वर भटट्, मनोज शुक्ला,ईको पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी, मठापति राम प्रसाद मैठाणी प्रबन्धक बलवीर नेगी विजय भारत मैठाणी, सहित देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी व हक – हकूकधारी मौजूद रहे।