प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत बाबा केदार की नगरी केदारनाथ धाम को सुरक्षित करने के साथ ही सजाया और संवारा जा रहा है। लेकिन, धाम तक जाने के लिए पहुंच मार्ग अब भी सुरक्षित नहीं है। यहां रास्ते पर पहाड़ियों से कब पत्थर गिर जाए, कहना मुश्किल है। इसके अलावा यहां हिमस्खलन का भी खतरा बना रहता है। समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तक पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी पैदल दूरी तय करनी होती है। यह रास्ता शुरू से ही भूस्खलन को लेकर अति संवेदनशील है। चिरबासा, छौड़ी, जंगलचट्टी, रामबाड़ा, लिनचोली और छानी कैंप भूस्खलन के साथ ही हिमस्खलन जोन भी है। बीते छह वर्षों में पैदल मार्ग पर यात्राकाल में पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से 16 यात्रियों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके रास्ते पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हो पाए हैं।वर्ष 2017 में छौड़ी में पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से एक यात्री की मौके पर मौत हो गई थी। इसी वर्ष चिरबासा में भी पहाड़ी से गिरे पत्थर से एक महिला यात्री की मौत हो गई थी। वर्ष 2018 में भीमबली में भारी भूस्खलन से एक यात्री को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। भारी मलबे से घटना के दो दिन बाद शव मिला था। 2018, 2019 में यहां दो-दो यात्रियों की पत्थर की चपेट में आने से मौत हो गई थी। बीते वर्ष 2022 में सोनप्रयाग से छानी कैंप तक बोल्डर और पत्थरों ने 6 यात्रियों की मौत हो गई थी। और यात्रा में पहाड़ी से गिरे पत्थर दो यात्रियों सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी।जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि पैदल मार्ग पर जहां-जहां संवेदनशील जोन हैं, वहां पर सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की जा रही है। साथ ही यात्रियों को रास्ता आरपार कराने के लिए सुरक्षा जवान तैनात किए जाएंगे।चारधाम यात्रा हमारे लिए चुनौती भी और परीक्षा की घड़ी भी. उन्होंने डीजीपी को निर्देशित किया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मंदिर परिसरों में तैनात सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं के साथ अच्छा व्यवहार करें और उनकी मदद के लिए तत्काल आगे आएं. उन्होंने कहा कि जो भी श्रद्धालु यहां से जाए वह अपने साथ एक अच्छा सन्देश लेकर जाए. उन्होंने कहा कि यात्रा के शुरुआती 15 दिन हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हैं और इस हेतु आवश्यक निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं. इन 15 दिनों में वीआईपी का मूवमेंट कम से कम हो. उन्होंने कहा कि चारधाम की हर तरह की सूचना का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार किया जाए ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े. उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा कि यात्रा मार्गों पर साफ-सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाए. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि पैदल मार्ग पर जहां-जहां संवेदनशील जोन हैं, वहां पर सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की जा रही है। साथ ही यात्रियों को रास्ता आरपार कराने के लिए सुरक्षा जवान तैनात किए जाएंगे।।
लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं। लेखक के निजी विचार हैं।