कोर्ट ने मकान बनाकर देने के लिए एके महीने का समय दिया है।
अक्तूबर 2020 से अब तक मकान के स्वामियों को एक हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाना भी अदा करना होगा।
देहरादून : पटेल नगर क्षेत्र के नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान में निरंजनपुर में तोड़े गए तीन मकानों को नगर निगम को दोबारा बनाकर देना होगा। ऒर साथ ही माह अक्तूबर 2020 से अब तक मकान के स्वामियों को एक एक हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाना भी अदा करना होगा। नगर निगम की कार्रवाई के खिलाफ द्वितीय अपर सिविल जज इंदु शर्मा की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट में सिद्ध हुआ कि जिस वक्त यह कार्रवाई हुई थी तब संपत्तियां विवादग्रस्त थीं। ऐसे में यह कार्रवाई नियम विरुद्ध पाई गई है। कोर्ट ने मकान बनाकर देने के लिए एक महीने का समय भी दिया है।
नगर निगम ने अक्तूबर 2020 में कोरोनाकाल में निरंजनपुर स्थित खसरा संख्या 464 में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की थी।
इस दौरान गुुुड्डी पत्नी सुरेंद्र सिंह, शांति देवी पत्नी बाबूलाल और सरिता पत्नी हरीनाथ के मकानों को तोड़कर उन्हें यहां से बेदखल कर दिया था। इस कार्रवाई के बाद पीड़ितों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी। बताया था कि वर्ष 1995 में पिछड़े एवं अनुसूचित जाति के आवासहीन व्यक्तियों को निरंजनपुर में भूखंड दिए गए थे। तीनों पीड़ितों को भी 0.03 एकड़ के हिसाब से प्रत्येक को भूखंड दिए गए। इन भूखंडों पर उन्होंने मकानों का निर्माण कराया था। उस वक्त से ही सभी लोग यहां पर काबिज हो गए और सरकारी दस्तावेज में भी उनके नाम दाखिल हो गए।
लेकिन, वर्ष 2003 में नगर निगम की ओर से इस जमीन को अपना बताते हुए नोटिस जारी किए गए। उन्हें बताया कि यदि जमीन खाली नहीं की तो पुलिस और प्रशासन की मदद से इन्हें ढहा दिया जाएगा। पीड़ितों ने कोर्ट की शरण लेकर नगर निगम के इस आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। वर्ष 2017 में वादी के अनुपस्थित होने के कारण वाद निरस्त हो गया। बाद में इसे पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रार्थनापत्र कोर्ट में दाखिल किया गया। वर्ष 2020 में फिर से यह वाद स्वीकार कर लिया गया और 2003 के मूल नंबर पर आ गया।