तीन तीन लोगो को घायल करने वाला गुलदार आखिर आया कैद में, गाँव वाशियो ने ली राहत की सांस
पौड़ी गढ़वाल के कोट ब्लॉक अंतर्गत पट्टी सितोन्स्यूं के सबसे बड़े गाँव कठुड में तीन निवासियों को जख्मी करने वाले नरभक्षी गुलदार को अंततः नागदेव जंगल रेंज ने कठुड गाँव की सीमा में एक स्क्रबर ( जाल) में कैद कर लिया है . इस नरभक्षी गुलदार के कब्जे में आने के बाद आतंकित गांव वासी बहुत राहत महसूस कर रहे हैं . दरअसल सोमवार के दिन इस गुलदार ने कठुड गाँव के तीन लोगों को बुरी तरह जख्मी कर दिया था जिन्हे बाद में पौड़ी के अस्पताल पहुंचाया गया. हुआ यूँ था की यह गुलदार कठुड गाँव आया और उसने तीन बकरियों को अपना निवाला बनाने की कोशिश की . दरअसल , विकास खंड कोट के कठूड गाँव में शाम के वक्त ग्राम प्रधान दीपक कुमार के घर के सामने ही गुलदार ने बकरियों को निवाला बनाने की कोशिश की जिसको देखते हुए प्रधान की माता पीतांबरी देवी ने बकरियों को गुलदार की गिरफ्त से छुड़ाने की कोशिश की तो गुलदार उन पर भी झपट गया,जिस पर मौके पर उनके छोटे भाई अरविंद सिंह ने अपनी माँ को बचाने के लिए प्रयास किया। शोर मचाने के बाद गुलदार वहां से भाग गया। लेकिन गुलदार से बकरियों को बचाने के चक्कर में पीतांबरी देवी तथा उनका बेटा अरविंद सिंह को गुलदार द्वारा घायल कर दिया गया। घायलों को ग्रामीणों द्वारा जिला चिकित्सालय पौड़ी उपचार के लिए लाया गया। जिला चिकित्सालय में दोनों घायलों के उपचार को लेकर अस्पताल स्टाफ व घायल तथा साथ आए ग्रामीणों की बहस देखने को मिली। जहां ग्रामीणों ने अस्पताल प्रबंधन पर अभद्रता का आरोप लगाया तो वहीं कुछ देर बाद समझाने बुझाने पर मामला शांत हुआ और उसके बाद जिला अस्पताल में घायलों का उपचार शुरू हो गया। जिला अस्पताल में इस दौरान मौजूद वन विभाग की टीम द्वारा भी घायलों का हाल जाना गया। तो वही गुलदार द्वारा घटना को अंजाम दिए जाने के बाद से गांव में खौफ का माहौल पसर गया था । वरिष्ठ पत्रकार सुनील नेगी कहते हैं – दरअसल जंगलों में व्यापक पैमाने पर आग , निरंतर बढ़ रही निर्माण गतिविधयां , शोर प्रदुषण , निरंतर बढ़ रहे एनवायर्नमेंटल हैज़ार्डस , अनफ्रेंडली पर्यावरणीय विकास , जंगलों के भीतर और उनके समीप दिनोदिन बड रही निर्माण गतिविधियां, पेड़ों के अंधाधुंध कटान , व्यवसाईकरण , पर्यटकों का पहाड़ों की तरफ दिनों दिन की भेड़चाल की तरह आना आदि कई ऐसे कारण हैं जिनके चलते जंगलों में रह रहे जीवों का जीवन खतरे में आ गया है , उनके भोजन का व्यापक पैमाने पर आभाव हो चूका है , उनका एक्सिस्टेंस खतरे में है , फ़्लोरा और फौना ख़तम हो रहा है जंगलों की आग के चलते.नतीजतन गुलदार, शेर , बाघ जो ही कहिये भोजन के आभाव में ह्यूमन सेटलमेंट्स की तरफ बढ़ रहे हैं और इंसानो को अपना निवाला बनाने को विवश हैं .
गौर तलब है की उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ मंडलों में गुलदारों द्वारा इंसानो पर हमलों के कई मामले प्रकाश में आ रहे हैं.आये दिन बच्चों और महिलाओं को ये नरभक्षी अपना निवाला बना रहे हैं . कुछ दिन पहले ही पाबो ब्लॉक के गुस्साए सपलोड़ी गांव व् आसपास के लॉगिन ने एक नरभक्षी गुलदार को जिन्दा जला दिया था जिसने दो दिन पहले एक महिला को अपना निवाला बनाया था . पिछले महीने रुद्रप्रयाग की एक ७ वर्षीय बच्ची को एक नरभक्षी ने अपना निवाला बनाया , रिखणीखाल ब्लॉक की एक महिला को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया. कुछ महीने पहले मलेथा और देवप्रयाग में एक जवान व्यक्ति को अपना निवाला बनाया और महिला को गंभीर रूप से जख्मी किया. कल्जीखाल ब्लॉक में भी नरभक्षी द्वारा एक व्यक्ति को निवाला बनाया गया . आज सितोन्स्यूं पट्टी , कोट लॉक के सबसे बड़े गाँव में एक गुलदार ने तीन लोगों को जख्मी कर दिया था.
सुनील नेगी सितोन्स्यूं , केठुड निवासी , कोट लॉक , जिला पौड़ी गढ़वाल