यमकेश्वर (पौड़ी गढ़वाल) अक्सर जब भी गॉव में जाना होता है तो लोगों की आम शिकायत शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर रहती हैं, लोगों का कहना है कि प्राथमिक स्कूलों की दुर्दशा के लिए जितना सरकार जिम्मेदार है, उतना ही अध्यापक और अभिभावक भी।
अधिकांश जगह शिक्षक भी अपनी भूमिका को गौण समझकर इसे केवल एक रोजी रोटी का साधन समझने लगते हैं, उनके लिए विद्यार्थी केवल स्कूल आने वाला बालक या बालिका रह जाता है, राष्ट्र निमार्ण में अहम भूमिका निभाने वाले अध्यापक अपने कर्त्तव्यों से विमुख हो जाते हैं, तब शिक्षा प्रणाली एवं प्रशासन की लचर व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लाजमी हो जाते हैं। लेकिन समाज में ऐसे भी शिक्षक या शिक्षिकायें हैं जो आज भी शिक्षा धर्म या कहें गुरू धर्म को नहीं भूले हैं, आज भी ऐसे शिक्षक हैं जो शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ मॉ सरवस्ती के प्रागण और उसके आलय यानी विद्यालय को परिस्कृत करने में लगे है।
कर्मभूमि के प्रति सच्चा समर्पण
ये तस्वीरें हैं रा. प्रा. वि. घाईखाल वि. ख. यमकेश्वर पौड़ी गढ़वाल की. यहाँ ज़ब से प्रधानाध्यापिका श्रीमती ममता रौतेला जी ने पदभार ग्रहण किया तब से उन्होंने जीर्ण शीर्ण हों चुके विद्यालय भवन को सजाने संवारने की ठानी. अपने निजी स्रोतो से अध्यापिका ने विद्यालय भवन की जीर्ण हों चुके दीवारों की मरम्मत कराई, प्लास्टर पुट्ठी कराई और फिर रंग रोगन कर दीवारों पर ज्ञान वर्धक थ्री डी चित्र उकेरे. प्रेरणादायक स्लोगन लिखवाये.
आज विद्यालय भवन किसी अटल उत्कृष्ट विद्यालय से कम नहीं लग रहा हैं.ग्रामीणो का कहना हैं कि इस विद्यालय ममता मैडम जैसी परिश्रमी, लगनशील, कर्मभूमि के प्रति समर्पित प्रधानाध्यापिका के आने से विद्यालय का कायाकल्प हों गया हैं.बच्चे अब विद्यालय जाने के लिए प्रफुल्लित होते हैं.
दीवारों पर बने आकर्षक ज्ञानवर्धक चित्र नन्हे मुन्ने बच्चों को आकर्षित कर रहे हैं. इससे बच्चों की सीखने की प्रक्रिया मे बहुत मदद मिल रही हैं.पुरे क्षेत्र मे श्रीमती ममता जी के कामों की चर्चा हों रही हैं. हर कोई उनकी प्रशंसा किये नहीं थक रहा हैं. ग्राम प्रधान चन्द्र मोहन सिंह रौथाण ने कहा कि ममता जैसी शिक्षिका अन्य सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. उनके नेक कार्य के लिए ग्राम पंचायत घाईखाल उन्हें सम्मानित करेंगी. हम समस्त ग्राम पंचायत वासी प्रधानाध्यापिका के सुखमय, ऐश्वर्या, वैभव मय, जीवन की कामना करते हैं.