ऊखीमठ! पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने व प्रक्रिया सात मई से शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में शुरू होगी। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ से धाम रवाना होने तथा कपाट खुलने के लिए प्रदेश सरकार की गाइडलाइन का हर एक श्रद्धालु व हक-हकूधारी को इन्तजार है! यदि प्रदेश सरकार की गाइडलाइन यथावत् रहती है तो भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को भी सादगी के साथ धाम के लिए रवाना होना पड़ेगा तथा हर एक श्रद्धालु को बाबा मदमहेश्वर की डोली व धाम के कपाट खुलने के पावन अवसर के साक्षी बनने से वंचित रहना पड़ सकता है। पूर्व घोषित निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सात मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियां शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मण्डप लायी जायेगी तथा आठ मई को स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा भगवान मदमहेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा, नौ मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर से रवाना होगी तथा विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी। दस मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुचेगी तथा 11 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के अपने धाम पहुचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगे!