क्षेत्र पंचायत बूंगा की ग्राम सभा बूंगा आजकल चर्चा का बिषय बना हुवा है जहां के क्षेत्र पंचायत सदस्य पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट के नेतृत्व मे ग्राम सभा बूंगा के वीर काटल से मोहन चट्टी तक ग्रामीणों द्वारा श्रमदान से गांव की दुर्गम पगडंडी व उबड खाबड पथरीली जमीन व बिशाल चट्टानों को काट काटकर लगभग ढाई से तीन किमी की
सडक खोद डाली जिसमे 28 दिन तक 40 युवाओं ने हर रोज 12 घंटे निरंतर काम किया सुदेश भट्ट ने बताया कि अब बीच मे एक पुलिया का निर्मांण होगा जिसे क्षेत्र की जनता के सहयोग से ही बनाया जायेगा गांव को सडक मार्ग से जोडने के लिये कटिबद्ध क्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट ने बताया कि पहले भी सरकार तो कई बार सडक व पुलिया निर्मांण के आश्वासन दिये जा चुके हैं लेकिन सब चुनावी घोषंणाये साबित हुयी ईसलिये मैने ग्रामीण युवाओं से बैठक कर क्षेत्र हित मे मजबुरी मे खुद ही घन सबल हथोडे उठाने का आह्न किया व सभी युवा दिन रात एक कर सडक निर्मांण मे जुट गये हमारा पहला लक्ष्य गांव तक दुपहिया वाहनों को पहुंचाना है जो लगभग तीन किमी बनकर तैय्यार है ओर 17.5 .2020 को ईस नव निर्मित मार्ग पर दुपहिया वाहन का पहला परीक्षण होगा जो कि
समस्त क्षेत्र वासियों के लिये एक सपने से कम नही लौकडौन के दौरान बनाये ईस जनशक्ति मार्ग को क्षेत्र पंचायत बूंगा समेत निर्मांण कार्य मे लगे समस्त युवाओं ने सर्व सम्मति से अपने क्षेत्र के जाने माने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. चंदन सिंह बिष्ट जी के सम्मान मे समर्पित कर ईसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंदन सिंह बिष्ट लोक जनशक्ति मार्ग नाम दिया पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि निर्मांण कार्य मे लगी हमारी पुरी टीम व समस्त क्षेत्र पंचायत बूंगा की ओर से यैसे महान सेनानी को ये हमारी ओर से सच्ची श्रद्धांजलि होगी व साथ ही उन्होने प्रदेश सरकार से मांग करी की जब ग्रामींण युवा ईस सडक को गैंती व फावडों से खोद सक्ते हैं तो सरकार के पास सारी सुविधायें होने के वावजूद भी ये क्षेत्र विकास से कोसों दुर है ईसलिये राज्य सरकार को ईस ओर ध्यान देने की आवश्यक्ता है व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के गांव कुमार्था समेत वीर काटल बूंगा डौंर मंगल्या गांव को चार पहिया वाहनों से जोडने की कवायद करी ईस सडक निर्मांण से यमकेस्वर ब्लाक के ढांगु के समस्त गांव सीधे ब्लाक व तहसील से जुड सकेंगे व कम से कम 50 किमी की दुरी कम होगी
चंदन सिंह बिष्ट जी का जीवन परिचय
क्षेत्र पंचायत बूंगा की ग्राम सभा कुमार्था जो कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. चंदन सिंह बिष्ट का गांव है जिन्होने गांधी जी के अंग्रेजों भारत छोडो आंदोलन मे अग्रणीय भूमिका निभाई ओर जिन पर अंग्रेज हुकुमत ने राजद्रोह का आरोप लगाते हुये
उन्हे पकडने व पकडवाने वाले व्यक्ति को 1500 रुपये ईनाम की घोषणा करी व यदि किसी व्यक्ति
को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंदन सिंह बिष्ट को आश्रय देते पाया गया तो उस व्यक्ति को पांच साल सश्रम कठोर कारावास की सजा प्रसारित की गयी गिरप्तार न होने व दिखाई देने पर जिंदा या मुर्दा पकडने का फरमान जारी कर उन्हे तुरंत गोली मारने के आदेश प्रसारित किये गये अक्टुबर 1942 मे ईनके बच्चों को अंग्रेज सरकार द्वारा घर से बहार निकाला गया ओर ईनकी संपत्ति की कुडकी कर घर पर सरकारी ताला लगा दिया गया साथ ही उनकी गौसाला मे बंधी गाय भैंस को सरकार के नियंत्रण मे लेकर गांव के माल गुजार के सुपुर्द कर दी गयी उनके बच्चे दर दर की ठोकरें खाने को मजबुर हुये ओर देॆश की आजादी के लिये चंदन सिंह बिष्ट निरंतर अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ आंदोलनरत रहे जिसके परिणाम स्वरुप एक दिन गुप्तचरों की सूचना पर चंदन सिंह बिष्ट को सरकार द्वारा गिरप्तार किया गया व साथ मे सश्रम
साढे चार साल की सख्त कारावास की सजा सुनाने के साथ 25 रुपये का अर्थ दंड भी सुनाया था देश के लिये अपना सर्वस्व न्योच्छावर करने वाला यैसा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के लिये संघर्ष करता हुवा गुमनामी मे ही जिया ओर आज भी उनका क्षेत्र गुमनामी मे ही अलग थलग मूलभूत सुविधाओं के अभाव मे पलायन की पीडा झेल रहा है एक ओर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांवों को मूलभूत सुविधायें प्रदान करने के लिये सरकार द्वारा कई योजनायें संचालित की जा रही हैं वही क्षेत्र पंचायत बूंगा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव कुमार्था व आस पास के समस्त गांव आज भी सडक शिक्षा व स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाओं से बंचित है!