उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले पीछा छोडऩे का नाम नहीं ले रहे हैं। एक बार फिर भर्ती परीक्षाओं को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। अबकी बार लेखपाल पदों के लिए कराई गई परीक्षा का पेपर लीक हो गया। पहली बार राज्य लोक सेवा आयोग की किसी भर्ती का पेपर लीक पकड़ में आया है। सरकार को इस बात पर फख्र था कि राज्य लोक सेवा आयोग की एक भी भर्ती का पेपर आज तक लीक नहीं हुआ है। बेरोजगारों का भरोसा आयोग पर देखते हुए सरकार ने समूह-ग की 23 भर्तियां सौंपी थी। उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं को नकल रहित बनाने का सरकार का संकल्प कहीं हवा न हो जाए दरअसल यूकेएसएससी के बाद अब यूके पीएससी पेपर लीक होने की तस्वीरें सामने हैं ।यूकेएसएसएससी के द्वारा जिस प्रकार से पेपर लीक मामले में सामने आने के बाद से युवाओं का
भरोसा आयोग के ऊपर से उड़ गया था वहीं सरकार को भी युवा के द्वारा कई बार गहरा जा रहा था उत्तराखंड में एक बार फिर भर्ती परीक्षाओं को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इस बार लेखपाल पदों के लिए कराई गई परीक्षा का पेपर लीक हो गया। राज्य लोक सेवा आयोग ने 536 पदों के लिए यह परीक्षा इसी आठ जनवरी को कराई थी।परीक्षा का पेपर आयोग में ही अतिगोपन अनुभाग-तीन में कार्यरत अनुभाग अधिकारी ने अपनी पत्नी की मदद से लीक किया था। इसके बाद रुपये में नकल माफिया को बेच दिया। आयोग ने परीक्षा के पेपर की सुरक्षा का जिम्मा आरोपित अनुभाग अधिकारी को दिया हुआ था। पेपर लीक का प्रकरण सामने आने के बाद से ही भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। प्रदेश के मेहनती और ईमानदारी से परीक्षा देने वाले युवाओं को इससे झटका
लगा है।इन युवाओं को अपनी मेहनत और योग्यता से नौकरी मिल सके, इसके लिए कुछ समय पूर्व यूकेएसएसएससी ने भर्ती परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने और इनमें नकल रोकने के लिए कानून बनाने को एक प्रस्ताव शासन को भेजा।
आयोग के प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रदेश में नकल रोकने के लिए जितने कानून बने हैं, उनमें अपराध करने वालेआसानी से छूट जाते हैं। इस कारण भर्ती परीक्षाओं में नकल पर रोक नहीं लग पा रही है। नई समूह-ग भर्तियों के पेपर को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्शन मोड में परीक्षा, पुलिस की मुस्तैदी, आयोग की सजगता के जो दावे किए गए, वह सभी पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक के साथ हवा हो गए। जिस आयोग के पास प्रदेश की पीसीएस, लोवर पीसीएस, इंजीनियरिंग सर्विस जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाएं बेदाग कराने का अनुभव हो, उसकी निष्ठा
ही दांव पर लग गई। छवि तार-तार हो गई। अब सरकार और आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती साख को बचाना है ताकि बेरोजगारों का टूटता भरोसा वापस पाया जा सके। आयोग के अध्यक्ष ने एक पत्र जारी कर कहा है कि परीक्षाओं को उत्कृष्टता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कराने के लिए आयोग सजग रहा है। इसके लिए उन्होंने खुद डीजीपी को अगस्त माह में चिट्ठी भेजकर एलआईयू को गोपनीय तौर पर आयोग परिसर में तैनात कराने के साथ ही परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा बल की भी मांग की थी। जिसको लेकर सीएम के द्वारा यूकेएसएसएससी से अन्य परीक्षाओं को कराने का जिम्मा लेकर यूकेपीएससी को सौंपा गया था जबकि राज्य में यूकेपीएससी अपनी परीक्षा कराने को लेकर काफी मुस्तैद रहता है लेकिन पेपर लीक मामले को लेकर यूकेपीएससी का भी नाम सामने आ गया है जहां आज के समय में बेरोजगारी की वजह से उत्तराखंड के कई युवा कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रह होते हैं और जैसे ही पेपर देखकर खबरें सामने आती है सभी युवाओं का मनोबल अचानक ही टूट जाता है अब देखने वाली बात है कि इस मामले में आयोग क्या कार्रवाई करता है। दरअसल, आखिरी की चार परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से पहले आयोग की पूर्व में संपन्न कराई गई भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक का विवाद सामने आ गया था। ऐसे में यह भी विवादों में घिर गई और इनकी भी जांच कराई गई। सवाल ये भी है कि अगर पेपर लीक हुआ है तो बड़े बड़े दावे करने वाले आयोग की प्लानिंग को क्या हो गया? परीक्षा में भाग लेने वाले हजारों अभ्यर्थियों का क्या होगा? उनके भविष्य से बार बार कौन खिलवाड़ कर रहा है? इन सवालों का जवाब कौन देगा?
अधिकारी मौन रहे तो ऐसे कैसे चलेगा I
लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।