यूसीसी- लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयरेशन जरूरी, लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में मिलेगा अधिकार
“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का मजबूत आधार स्तम्भ बनेगा -सीएम धामी
देखें, उत्तराखण्ड यूसीसी के मुख्य बिंदु
हर धर्म में तलाक के लिए एक ही कानून, सख्त बनाए गए नियम, बगैर अधिकृत तलाक कोई नहीं कर पाएगा दूसरी शादी
विवाह की धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाज, खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर कोई असर नहीं
सदन में खूब हुई सीएम धामी की तारीफ
देहरादून (usk) आखिरकार वह दिन आ गया जब उत्तराखंड की धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का ड्राफ्ट विधानसभा में पेश किया। उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सीएम धामी भारत के संविधान की मूल प्रति हाथों में पकड़कर विधानसभा पहुंचे। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी व प्रेमचंद अग्रवाल भी सीएम के साथ मौजूद थे। उनके हाथों में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट की प्रति थी।
विधेयक पारित होना तय आज
विधानसभा में भाजपा स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। उसके 47 सदस्य हैं। कुछ निर्दलीय विधायकों का भी उसे समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यूसीसी विधेयक पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं है। चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित होना तय माना जा रहा है। समवर्ती सूची का विषय होने की वजह से पारित होने के बाद विधेयक राज्यपाल के माध्यम से अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति को भी भेजा जा सकता है।
जाति, धर्म व पंथ के रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ नहीं
विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य
– विधेयक में 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
– ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण का प्रावधान।
– पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान।
– पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
– विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है।
– महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
– हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
– कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
– एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
– पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
संपत्ति में बराबरी का अधिकार
– संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
– जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
– नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
– गोद लिए, सरगोसी के द्वारा असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
– किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
– कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य
– लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
– युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
– लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
– लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
– अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
– गोद लेने का कोई कानून नहीं
– समान नागरिक संहिता में गोद लेने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है।
सदन में प्रवर समिति की रिपोर्ट रखी
स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक पर गठित प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर रख दी है।
उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूसीसी बिल पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैं इसका स्वागत करती हूं। मुझे लगता है कि देश की महिला इसका स्वागत करेंगी।
उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए यूसीसी बिल पर बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि ये जो पास हुआ है बिल ये सभी महिलाओं के लिए बहुत अच्छा है। इससे सभी वर्ग की महिलाओं को लाभ मिलेगा। मुझे गर्व है कि हमारी सरकार ने ये किया।
उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए यूसीसी बिल पर उत्तराखंड भाजपा विधायक शिव अरोड़ा ने कहा, यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यूसीसी से बड़ी खुशी क्या हो सकती है? यह लोगों को समान अधिकार देता है। वहीं उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा- समान नागरिक संहिता बिल के लिए उत्तराखंड भाजपा की धामी सरकार बधाई की पात्र है।
भाजपा ने अपने वैचारिक मुद्दों के क्रम में जनता से किए वादे के अनुसार समाधान सुनिश्चित कर रही है। मोदी जी की गारंटी की भी गारंटी है। राज्य विधानसभा में यूसीसी बिल पेश होने पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अगर राज्य सरकार समान नागरिक संहिता के नाम पर शासक वर्ग के लिए दूसरे समुदाय की परंपराओं में हस्तक्षेप करने के लिए कानून लाती है, तो क्या वैमनस्य नहीं होगा।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है। बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है। उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए यूसीसी बिल पर एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि उनका उद्देश्य क्या है क्योंकि अगर वे यूसीसी लागू करने जा रहे हैं तो उत्तराखंड सरकार ने आदिवासियों, दलितों को इस अधिनियम से छूट क्यों दी? हम यूसीसी बिल का विरोध करते हैं।
कांग्रेस के विरोध पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब ने कहा कि वो झूठ बोल रहे हैं। वह चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही से पहले उनके पास कॉपी आए और वो देश भर में सर्कुलेट करें। सब कुछ लाइव चल रहा है और वो केवल विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड चुनाव 2022 के दौरान सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की घोषणा की थी। यह भाजपा के पुराने एजेंडे में रहा है।
वहीं माना उत्तराखंड चुनाव में भाजपा यह बड़ी घोषणा थी। इसे पूरा कराया गया है। विधानसभा से (UCC) बिल पास होने के बाद उत्तराखंड के सभी लोगों के लिए एक विधान और एक कानून लागू हो जाएगा। पर्सनल लॉ इस कानून के लागू होते ही अप्रभावी हो जाएंगे।
यूसीसी जल्दी प्रदेश में लागू हो, इसके लिए सरकार द्वारा यूसीसी ड्राफ्ट को विधानसभा की पटल पर रखा गया। ये सौभाग्य है यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बनने वाला है। इसके लिए भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं ने मिठाई बाँटकर हर्ष जताया एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित पूरी प्रदेश सरकार का आभार कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया।
चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था। प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी। समान नागरिक संहिता पर ड्राफ़्ट में क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैंण् इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं। ख़बरों के मुताबिक ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं।
उधर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है. बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है। अब दो बजे इस पर चर्चा भी होनी है। ऐसे में इतनी देर में क्या चर्चा करेंगे ।