उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म इतिहास चंद शासन (1600 -1700) में उत्तराखंड पर्यटन, , Bhishma Kukreti

उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म इतिहास चंद शासन (1600 -1700) में उत्तराखंड पर्यटन
Uttarakhand Tourism from 1600-1700
( उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म इतिहास )
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) 38
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लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
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1600 से 1700 मध्य चंद शासकों लक्ष्मी चंद (1597-1621 ई ), दिलीप चंद (1621 -1624 ई ), विजय चंद (1624 -25 ), त्रिमल्ल चंद (1625 -1638 ), बाज बहादुर चंद (1638 -1678 ), द्योत चंद (1678 -1698 ) ने कुमाऊं पर शासन किया।
यह काल भी युद्ध पर्यटन या राजनैयिक उठापटक पर्यटन के लिए जाना जाएगा।
पर्यटन विकास की दृष्टि से कुछ घटनाएं महत्वपूर्ण हैं।
लक्ष्मी चंद ने गढ़वाल पर सात बार आक्रमण किया और पराजय मिली।
लक्ष्मी चंद 1612 में जंहागीर के दरबार में उपस्थित हुआ और उसने जहांगीर को पहाड़ी टटटु ,गूंठ , अनेक शिकारी पक्षी कस्तूरी से भरी नाभ , कस्तूरी मृग की खालें , खड्ग उपहार दीं। जहांगीरनामा में लक्ष्मी चंद को पर्वतीय राजाओं में सबसे अधिक धनी माना गया है और कुमाऊं में सोने की खान है लिखा गया है। 1620 में भी कुमाऊं से जहांगीर को उपहार दिए गए थे। कुमाऊं के उपहार विशेष दर्जे के थे। जब जहांगीर ग्रीष्म ऋतू राजधानी खोज में हरिद्वार आया तो लक्ष्मी चंद जहांगीर से मिला। उपहार भी दिए ही होंगे। स्थान विशेष उपहार स्थान छवि वृद्धि कारक होते हैं।
दिलीप चंद से पहले ही मंत्रियों व संतरियों के आपस में कलह शुरू हो गया था जो राज्य के अहित में अधिक सिद्ध हुआ। विजय चंद की हत्त्या की गयी।
त्रिमल चंद कुछ माह श्रीनगर में रहा।
बाज बहादुर चंद ने लखनपुर मंदिर , बद्रीनाथ मंदिर सोमेश्वर मंदिर व पिननाथ मंदिर को भूमि प्रदान की थी। उसने अन्य मंदिरों में भी दान किया था।
बाज बहादुर चंद शाहजहाँ दरबार में उपहार लेकर उपस्थित हुआ था। दिल्ली दरबार से बाज बहादुर व सिरमौर हिमाचल के राजा मन्धाता को गढ़वाल को जीतने का फरमान मिला था।
उद्योत चंद ने कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया व निर्माण किया था। कुछ विशेष भवन भी द्योत चंद ने निर्मित करवाए। द्योतचंद ने यज्ञ करवाए व कई मंदिरों को भूमि प्रदान की।
उद्योत चंद ने काशीपुर , कोटा में आम बाग़ लगवाए। भवन निर्माण व उद्यान निर्माण सदा से ही पर्यटनोमुखी होते हैं व स्थल छवि वृद्धिकारक होते हैं।
विदेशी विद्वानों को आश्रय याने जनसम्पर्क
बाज बहादुर के आश्रय में कई विद्वान् थे जिनमे महाराष्ट्रियन संस्कृत विद्वान् अनंत देव ने स्मृति कौस्तुभ की रचना की।
उद्योत चंद ने दक्षिणी विद्वान् भट्ट को भूमि व मकान देकर अल्मोड़ा में बसाया।
द्योतचंद के दरबार में दूर दूर से कवि व विद्वान् चर्चा हेतु आते थे।
मतिराम ने उद्योत चंद प्रशंसा कविता से राजा से पुरूस्कार प्राप्त किया था। मदन कवि भी उद्योत चंद के दरबार में था।
उपरोक्त तथ्य संकेत देते हैं कि विद्वान् कुमाऊं आते जाते रहते थे जो छवि वृद्धि करते थे। भट्ट ब्राह्मण का अल्मोड़ा में बसवाना द्योतक है कि गैर कुमाउँनी ब्राह्मण किसी इन्हीं कारणों से कुमाऊं में बस रहे थे।
विदेशी विद्वानों द्वारा प्रशंसा सदा से ही स्थान छवि वृद्धि कारक होता है।
जीविका हेतु कुमाऊं आना हो या राजा से भेंट प्राप्त करने हेतु कुमाऊं आना हो ये सब तब के काल के पर्यटन उद्यम का ही संकेत दते हैं।
वर्तमान संदर्भ में – विदेशी पत्रकारों व लेखकों का स्वागत
किसी भी पर्टयन स्थल को विदेशी पत्रकारों व लेखकों की स्थान प्रसिद्धि हेतु अति आवश्यकता होती है जो स्थान छवि वृद्धि करें। स्थान प्रसिद्धि हेतु पर्यटन पत्रकारों की सकारात्मक पैरवी आवश्यक है।
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