राजस्थान : दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनकर तैयार हो गई है। आज यानी शनिवार को उसका लोकार्पण समारोह शुरू होने जा रहा है। राजस्थान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा में बनी शिव प्रतिमा की ऊंचाई 369 फीट है, जिसे विश्वास स्वरूपम नाम दिया गया है।
बता दें कि प्रतिमा को बनाने में 10 साल का समय लगा है। इसे दुनिया की टॉप-5 ऊंची प्रतिमाओं में स्थान मिला है। इसे संत कृपा सनातन संस्थान द्वारा तैयार किया गया है।
lord shiva statue: दुनिया की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा
लोकार्पण समारोह 29 अक्टूबर से शुरू होकर 6 नवंबर तक चलेगा, और इसकी शुरूआत मुरारी बापू की राम कथा से होगी।
नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर बनी यह प्रतिमा 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी है। इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान एवं अल्लड़ की मुद्रा में विराजित हैं।
प्रतिमा की ऊंचाई इतनी है कि जो कई किलोमीटर दूर, से ही नजर आने लग जाती हैं। रात में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स की व्यवस्था भी की गई है।
The majestic statue of Lord Shiva in Nathdwara, also known as the 'Statue of Belief', will mesmerise you every time you see it. 📸: Vishnu Gaur #shiva #statueofbelief #mesmerise #nathdwara #explorerajasthan #travelrajasthan #padharomharedes #rajasthantourism #rajasthan pic.twitter.com/y1gqzDrxWB
— Rajasthan Tourism (@my_rajasthan) October 4, 2022
lord shiva statue: दुनिया की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा का लोकार्पण आज
ऐसे बनी दुनिया की सबसे ऊंची शिव मूर्ति…369 फीट ऊंची इस प्रतिमा के विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा, बनने की कहानी भी दिलचस्प है। रिपोर्ट के अनुसार, जब साल 2012 में इस प्रतिमा को बनाने का प्लान तैयार हुआ, तो इसकी ऊंचाई 251 फीट रखने की योजना बनाई गई थी।
लेकिन बाद में निर्माण के दौरान इसकी ऊंचाई 351 फीट तक पहुंच गई। इसके बाद शिव की जटा में गंगा की जलधारा, लगाने की योजना बनाई गई, तो इसकी ऊंचाई 369 फीट तक पहुंच गई।
इस प्रतिमा में लिफ्ट, सीढ़ियां, हॉल आदि भी बनाए गए हैं। निर्माण कै दौरान 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है।
250 किमी रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी मूर्ति को प्रभावित नहीं करेगी। स्टैच्यू ऑफ बिलीफ’ की कल्पना मिराज ग्रुप, उदयपुर के चेयरमैन श्री मदन पालीवाल ने की थी। इस अवधारणा को आगे स्टूडियो, माटुराम आर्ट द्वारा विकसित किया गया था।
जिसने 351 फीट ऊंची मूर्ति को डिजाइन किया था, जबकि संरचनात्मक डिजाइन स्केलेटन कंसल्टेंट्स द्वारा प्रदान किया गया था और काम साल 2016 की शुरुआत में शुरू हुआ था।