देहरादून । कोविड महामारी की दो लहर में बदइंतजामी और तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अधूरी तैयारियों को लेकर मंगलवार को सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरा। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि तीसरी लहर के लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं।
नियम-58 के तहत सबसे पहले विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह ने कहा कि जहां केंद्र की सरकार ताली और थाली बजवाकर कोरोना से निपटने में नाकाम साबित हुई। वहीं राज्य की सरकार भी हालात को काबू नहीं कर पाई। राज्य सरकार ने गुजरात के लोगों को तो बसों से सकुशल भेज दिया लेकिन उन राज्यों में बसे अपनों को वापस लाने की जरूरत ही नहीं समझी। प्रीतम सिंह ने कहा कि जब प्रदेश में वेंटिलेटर नहीं थे, उस मुश्किल वक्त में कुंभ का आयोजन हो रहा था। कुंभ में कोविड जांच में फर्जीवाड़ा हुआ। सरकार पूरी तरह से नाकाम हुई है।
करन माहरा ने सरकार की नाकामी को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़े में जिम्मेदार अधिकारियों पर आज तक सरकार ने कार्रवाई नहीं की।
मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने उन्होंने कहा कि कोविड से लड़ाई में अगर विधायक निधि लगाई जा रही है तो सरकार के स्वास्थ्य विभाग का बजट कहां है। काजी ने प्राइम मिनिस्टर फंड से आए हुए वेंटिलेटर के खराब होने की जांच कराने की मांग की।
भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने मांग की कि कोरोना से पीड़ित परिवार को दैवीय आपदा की तर्ज पर चार लाख की मदद दी जाए। जिस घर में कोरोना पीड़ित की मृत्यु हुई है, वहां दस लाख रुपये का बीमा दिया जाए ताकि परिवार की मदद हो सके।
धारचूला विधायक हरीश धामी ने कहा कि सरकार के मुफ्त इलाज के दावे झूठे हैं। कोविड प्रभावितों के इलाज के लिए एक इंजेक्शन ही 33 हजार 956 रुपये का दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर में उन्होंने अपनी सर्जन बेटी, दामाद को खोया है। खुद वह कोरोना संक्रमित हुए। पिरान कलियर के विधायक हाजी फुरकान अहमद ने कहा कि दूसरी लहर में सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है।
पुरोला विधायक राजकुमार ने कहा कि कोरोना के कारण जिनकी मृत्यु हुई है, उनके परिवार में से किसी को नौकरी दी जानी चाहिए। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि कोरोना महामारी में सरकार अनिर्णय की स्थिति में नजर आई है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दिया विपक्ष के सवालों के जवाब
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अब तक प्रदेश में 79 लाख लोगों को कोविड से बचाव की वैक्सीन दी जा चुकी है, जिनमें से 19 लाख को दोनों डोज दी जा चुकी हैं। हमारे राज्य का औसत 76 प्रतिशत है। हमारे दो जिले बागेश्वर और रुद्रप्रयाग पूरे देश में सबसे पहले पूर्ण वैक्सीनेशन वाले राज्य बने हैं। चार और जिलों में पांच सितंबर तक यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। राज्य में सरकारी अस्पतालों में 70 बाल रोग विशेषज्ञ हैं। जबकि 126 मेडिकल कॉलेजों में हैं और 239 प्राइवेट हैं।
अगर जरूरी हुआ तो हम तीन लाख रुपये वेतन पर भी बाल रोग विशेषज्ञ भर्ती करेंगे। पहले कोरोना टेस्टिंग की एक लैब थी, जिनकी संख्या आज 11 है। 26 प्राइवेट लैब भी हैं। 44 जगहों पर हम टेस्टिंग की व्यवस्था करने जा रहे हैं जबकि 256 टीमें हैं जो कहीं भी जाकर कोविड टेस्ट कर सकती हैं। राज्य में पहले केवल एक ऑक्सीजन प्लांट था। आज 88 हैं, जिनमें से 42 ने काम भी शुरू कर दिया है। बाकी का काम अगले 15 दिन के भीतर शुरू हो जाएगा।
विधायकों को दिक्कत है तो अपने अपने स्तर से खरीद लें उपकरण
सदन में विपक्ष ने चिकित्सा उपकरण खरीद की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे लचर सिस्टम करार दिया। विपक्ष के विधायकों का कहना था कि विधायक निधि से पैसा देने के बाद भी समय से उपकरणों की खरीद नहीं हो रही है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि विधायकों को अगर ऐतराज है तो अपनी किसी अन्य कार्यदायी संस्था के माध्यम से उपकरणों की खरीद कर सकते हैं। इसके लिए वह संबंधित जिले के सीएमओ को निर्देश भी दे देंगे।