वरिष्ठ राज्य निर्माण आंदोलनकारी नंदन सिंह रावत की श्रद्धांजलि बैठक संपन्न! चिन्हिकरण पर सरकार की अपराधपूर्ण चुप्पी से नाराज आंदोलनकारियों ने लड़ाई तेज करने का किया ऐलान
नई दिल्ली/देहरादून:-(धीरेंद्र प्रताप) उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति ने आज वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित एक श्रद्धांजलि बैठक में शीर्ष राज्य आंदोलनकारी नंदन सिंह रावत को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप के संयोजन में हुई इस श्रद्धांजलि बैठक में राज्य आंदोलनकारियों के तेवर बहुत तल्ख़ रहे। उल्लेखनीय है नंदन सिंह रावत उन वंचित राज्य आंदोलनकारियों में से थे जो पिछले कई वर्षों से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण की लड़ाई लड़ रहे थे परंतु उनका खुद का ही चिन्हिकरण नहीं हो पाया था। इस श्रद्धांजलि बैठक में जिसमें उत्तराखंड राज्य के तमाम जिलों के आंदोलनकारी नेताओं के अलावा दिल्ली फरीदाबाद साहिबाबाद गाजियाबाद मुंबई समेत अनेक शहरों के करीब 4 दर्जन से भी ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों ने भाग लिया। पिछले 3 साल से राज्य सरकार द्वारा एक भी आंदोलनकारी का चिन्हिकरण ना किए जाने से नाराज आंदोलनकारियों ने अपना गुस्सा यहां तक जताया कि उन लोगों ने कहा कि आंदोलनकारियों को अपनी एक अ लग नई राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए और सन 2022 के चुनाव में तमाम राजनीतिक दलों को पछाड़कर असली राज्य निर्माण आंदोलन कारियो को राज्य में अपनी सरकार बनानी चाहिए। उनका आरोप था भाजपा सरकार उनकी उपेक्षा और अपमान कर रही है। श्रद्धांजलि देते हुए तमाम राज्य आंदोलनकारियों की आंखें नम थी और समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप और एक महिला राज्य आन्दोलनकारी प्रेमा धोनी, नंदन सिंह रावत की याद में फूट- फूट कर रो पड़े। उनका कहना था राज्य निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद भी भाजपा सरकार पिछले 3 सालों से उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं है।धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि अब हमने 18 जुलाई 3 अगस्त और 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर तीन चरणों में कार्यक्रम दे दिए हैं और सभी आंदोलनकारियों को इन गांधीवादी सत्याग्रह में शामिल होना चाहिए। जिससे सरकार को आन्दोलनकारियो की मांगों के प्रति बाध्य किया जा सके। उल्लेखनीय है राज्य आन्दोलनकारी नंदन सिंह रावत का बीते सोमवार को मात्र 53 वर्ष की आयु में दुष्ट कोरोना की वजह से देहांत हो गया था।
इस श्रद्धांजलि बैठक को अन्य लोगों के अलावा सर्वश्री हरि कृष्ण भट्ट ,सावित्री नेगी, प्रेमा धोनी, मनमोहन शाह, राकेश नेगी ,प्रदीप वेदभाव , जयप्रकाश उत्तराखंडी ,अनिल जोशी ,नवीन मुरारी, विनोद रतूड़ी ,एलडी पांडे, सरिता नेगी मीना भंडारी, जानकी गोस्वामी, मीना कंडवाल, ,दिल्ली की पूर्व मेयर नीमा भगत, आशुतोष डंगवाल डी एस अधिकारी, मनमोहन शाह, मनोज डंगवाल, रमेश चंद्र, उमेश भगत ,उमेश रावत ,अनू पंत, दलबीर रावत, उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष एसपी सिंह इंजीनियर ,प्रीतम जेठा ,त्रिलोक कन्याल, प्रेम बहुखंडी, देवी प्रसाद व्यास, मीना भंडारी, जानकी गोस्वामी नरेश चंद्र भट्ट, दीपक रौतेला, समेत अनेक लोगों ने संबोधित किया और सभी ने नंदन सिंह रावत के उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान का जिक्र करते हुए चिन्हित आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण ना होने पर भारी रोष व्यक्त किया। दिल्ली में उत्तराखंड की आयुक्त इला गिरी द्वारा प्रवासियों के कोरोना के दौरान दिल्ली से उत्तराखंड जाने के दौरान किए गए दुर्व्यवहार से नाराज आंदोलनकारियों ने उन्हें तत्काल दिल्ली मे उत्तराखंड आयुक्त पद से हटाए जाने का सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया। एक अन्य प्रस्ताव में राज्य सरकार से नंदन सिंह रावत के अल्मोड़ा स्थित पत्थर कोट गांव में ,अनके नाम से सड़क या विद्यालय का नाम स्वर्गीय नंदन सिंह के नाम और रखने की उत्तराखंड सरकार से मांग की गई। इस बैठक में पिछले दिनों रिखणीखाल में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में 23 वर्षीय गढ़वाली युवती स्वाति धनी की और उधम सिंह नगर के किच्छा कस्बे में पार्वती देवी की इन्हीं हालातों में हुई दरदनाक मौत और उनके जच्चा-बच्चा की ठीक से ईलाज ना होने पर भी रोष व्यक्त किया गया और 11 जुलाई शनिवार को राज्य भर के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों से लेकर बड़े अस्पतालों के सम्मुख उनकी स्मृति में एक दिया जलाने और 2 मिनट मौन रखने का आंदोलनकारियों ने फैसला लिया। इस मौके पर धीरेंद्र प्रताप और उत्तराखंड विपक्ष के संयोजक प्रेम बहुखंडी ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को निशाना बनाते हुए सरकार से मांग की कि वह राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में तत्काल सुधार करें और मातृशक्ति जिसकी बदौलत राज्य बना है उसकी प्रसवावस्था व वह अस्वस्थता की अन्य परिस्थितियों में भी ठीक-ठाक देखरेख हेतु व्यापक सुधार करें जिससे कि भविष्य में रिखणीखाल पौड़ी गढ़वाल में और किच्छा उधम सिंह नगर में हुई घटनाओं की पुनरावृति ना हो सके। यह कॉन्फ्रेंस जो करीब साडे 3 घंटे चली आंदोलनकारियों में राज्य सरकार के प्रति शोक और गुस्से की मिश्रित लहर दिखाई दी।