*मानवता को जिंदा रखता एक इंसान* *(अर्जुन सिंह भंडारी)*
कितना सुंदर होता है वह दृश्य जब एक जीत जागता जीवन संकट में पड़े दूसरे जीवन को सहारा देता है,
सच कहते है सब वह कोई आम नही खुदा का फरिश्ता होता है!!
ऐसे ही फरिश्ते से आज मेरा अकस्माक परिचय हुआ जब मैं गाड़ी से देहरादून से ऋषिकेश मार्ग की तरफ जा रहा था।आज देहरादून से ऋषिकेश जाते हुए सात मोड़ पार करते ही कुछ दूरी पर अचानक कुछ गाड़ियों के रुकने से मैंने भी अपनी गाड़ी के ब्रेक लगाए। अचानक सभी गाड़ियों के ब्रेक लगने से मैंने देखना चाहा कि आखिर ऐसा क्या हुआ। गाड़ी से बाहर देखा तो एक गाड़ी वाले द्वारा अपनी गाड़ी रोककर सड़क पर एक घायल बंदर के बच्चे को किनारे करके उसको तेज़ गाड़ियों के नीचे आने से बचा रहा था।
अब तो मैंने भी गाड़ी रोक ली और पास जाकर देखा। मैंने देखा कि उस बंदर के बच्चे को किसी जानवर द्वारा घायल किया गया था जिसकी वजह से वह चलने में समर्थ नही था।उस व्यक्ति द्वारा उस बंदर को सहलाया जा रहा था व उसके जख्मों को देखा जा रहा था।
किस्मत से मेरी गाड़ी में केले थे जिससे मैंने उसको 2 केले दिए तो उस बंदर के बच्चे ने मेरे ही हाथ से केला बड़े चाव से खाया। मैंने देखा कि उस व्यक्ति द्वारा उस बंदर के लिए कपड़ा लाया गया।
उत्सुकतावश मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने अपना नाम अजय उनियाल बताया जो देहरादून के ही एक होटल व्यवसायी है।उन्होंने बताया कि वह इस बंदर को अपने घर ले जाएंगे और उनकी देखभाल करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके पास कुछ समय पहले ऐसा ही एक घायल बंदर का बच्चा मिला था जिसे उनके द्वारा अपने घर ले जाकर उसका ख्याल रखा गया।उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उस बंदर को देखकर कहा था कि वह ज़िन्दगी भर 2 पैरों के सहारे ही चलेगा किन्तु आज वह बंदर अपने आप चलने में पूर्णतः सक्षम है।
आज उस व्यक्ति से मिलकर मन आश्वस्त हो गया कि मानवता अभी भी जीवित है। जो बोल न सकने वाले जानवर की वेदना समझते है।
वाकई सलाम है अजय उनियाल जैसे लोगों को जो इन बेजुबान जानवरों के लिए किसी ‘फरिश्ते’ से कम नही!