आठ फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में कथित अवैध धर्मस्थल को तोड़ने के विरोध में हिंसा भड़ गई। स्थानीय थाना जलाया गया। जनता के वाहन जल गए। कई घंटे तक नगर निगम, जिला प्रशासन, पुलिस बल और मीडिया पर पत्थरों की बरसात हुई, जिससे कई पुलिस जवानों, नगर निगम कर्मचारियों और मीडियाकर्मियों को चोट लगी, जिनमें से कई अभी भी इलाज कर रहे हैं।
सरकारी संपत्ति को भी बहुत नुकसान हुआ। यह परिस्थिति क्यों हुई? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? अमर उजाला ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान की अगुवाई कर रहे नगर निगम के आयुक्त पंकज उपाध्याय का इंटरव्यू लिया। इस दौरान उनसे कठोर प्रश्न पूछे गए, जिनका उन्होंने कुछ इस तरह जवाब दिया। आप भी पूरा इंटरव्यू पढ़ते हैं?
बेची जा रही थी सरकारी जमीन: पुलिस द्वारा हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड बताया जा रहे अब्दुल मलिक को लेकर हल्द्वानी नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि अब्दुल मलिक उस जमीन को ₹100 और ₹50 के स्टांप पर गरीब लोगों को बेचने का काम कर रहा था. नगर आयुक्त ने बताया कि जिस क्षेत्र को खाली कराया गया, वह करीब एक एकड़ में था. इस भूमि की लीज कब और किसे दी गई, इसका अभिलेख अभी उनके पास नहीं है लेकिन वो सरकारी भूमि है और राज्य सरकार के स्वामित्व में दर्ज है. उस भूमि को ₹100 और ₹50 के स्टांप में बेचने का काम किया जा रहा था. यहां तक कि वहां अवैध निर्माण और पार्किंग भी बनाई जा रही थी.
वर्तमान में भूमि पर कोई लीज नहीं: पंकज उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान समय में उस भूमि पर किसी तरह की लीज नहीं है. भूमि की संपत्ति राज्य सरकार की है और इसकी देखभाल का जिम्मा नगर निगम के पास है. उपाध्याय ने बताया कि अभी तक अतिक्रमण हटाने के दौरान दो भवनों को ध्वस्त किया गया है. जबकि कुछ खाली भूमि को कब्जे में भी लिया गया है. हालांकि, ऐसे मकानों को ध्वस्त नहीं किया गया है जिसमें लोग रह रहे हैं.
डर का माहौल बनाकर किया गया अतिक्रमण: सरकारी भूमि पर मस्जिद और मदरसा निर्माण को प्रशासन ने क्यों नहीं रोका? इसके जवाब में नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने कहा कि इस क्षेत्र में कुछ लोग डर का माहौल बनाकर अतिक्रमण करने का काम कर रहे थे. यही कारण था कि निर्माण के दौरान उनको रोका नहीं गया. नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि संज्ञान में आ रहा है कि सरकारी जमीनों को प्लाटिंग कर लोगों को बेचा जा रहा था.
ये है पूरा मामलाः हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में सरकारी जमीन को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नगर निगम अतिक्रमणकारियों से खाली कराने की कार्रवाई कर रहा था. 8 फरवरी को ‘मलिक का बगीचा’ स्थान पर नगर निगम की टीम ने दो भवनों को ध्वस्त किया. इस दौरान अतिक्रमणकारियों ने कार्रवाई का विरोध किया और पुलिस पर पथराव किया. पथराव में कई पुलिसकर्मी और पत्रकार घायल हुए. उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव और पेट्रोल बम फेंके और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. दंगाइयों ने बनभूलपुरा थाने को भी आग के हवाले कर दिया. इसके बाद पुलिस ने दंगाइयों पर काबू पाने के लिए फायरिंग की. इस पूरी घटना में अब तक 6 लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हैं.
पुलिस ने अभी तक 36 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और 5 हजार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस लगातार उपद्रवियों की धरकपड़ कर रही है. बनभूलपुरा में अभी भी कर्फ्यू जारी है. इंटरनेट सेवा भी बंद है. इस पूरी हिंसा का मास्टरमाइंड कहे जाने वाला अब्दुल मलिक अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है.
सवालः खुफिया एजेंसियों का इनपुट था कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने से हिंसा भड़क सकती है, फिर भी नगर निगम, प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर अतिक्रमण तोड़ने क्यों गई?
जवाब: एक बात सभी को समझनी होगी। नगर निगम, जिला प्रशासन या पुलिस फोर्स किसी देश की सीमा पर जंग लड़ने नहीं जा रही थी। सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कार्रवाई की जा रही थी। अतिक्रमण को तोड़ने के लिए हमारे पास पर्याप्त फोर्स थी। पूरी प्लानिंग और तय समय सीमा के तहत एक्शन लिया गया। ऐसा नहीं है कि हमने उसी दिन कोई कदम उठाया। पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से उस इलाके में सरकारी जमीन को कब्जे में लिया जा रहा था। एक दिन भी कुछ नहीं हुआ। नजूल जमीन में डेढ़ साल से लगातार कार्रवाई हो रही है।
सवाल: हल्द्वानी हिंसा के लिए आप किसे जिम्मेदार मान रहे हैं?
जवाब: बनभूलपुरा इलाके में कुछ भू माफिया सक्रिय थे, जिन पर नकेल कसते ही बिलबिला गए। भूमाफिया ने ही हिंसा को भड़काया है, जिनकी पुलिस जांच कर रही है। हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड को भी पुलिस तलाश रही है। आने वाले दिनों में पुलिस की ओर से खुद मीडिया को इसका जवाब दिया जाएगा, जिसने केवल अफसरों को नहीं बल्कि पूरे सरकारी सिस्टम को चुनौती देने का कार्य किया है।
सवाल: बनभूलपुरा के बगीचे में नगर निगम की जमीन पर अवैध निर्माण काफी पहले हुआ है। आप भी लंबे समय से नगर निगम में तैनात रहे। इतने बड़े अतिक्रमण पर एक्शन लेने के लिए पहले कोई प्रयास क्यों नहीं किया गया?
जवाब: मलिक के बगीचे में करीब एक साल पहले नगर निगम और प्राधिकरण ने संयुक्त कार्रवाई की थी। यहां पर अतिक्रमण तोड़े गए थे। इसके बाद यहां दोबारा अतिक्रमण होने लगा। प्लॉटिंग कर जमीन बेची जा रही थी। निगम ने इसे तोड़ा। इसके बाद कार्रवाई की गई।
सवाल: नगर निगम कर्मियों को बिना सुरक्षा उपकरण दिए अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के लिए फील्ड में क्यों भेजा गया? जबकि कुछ दिन पहले ही स्थानीय लोगों ने कब्जा लेने के दौरान विरोध किया था?
जवाब: नगर निगम की टीम को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान जो हेलमेट, जैकेट, घन, संबल आदि दिए जाते हैं, वे उन्हें दिए गए थे। कब्जा लेने के दौरान विरोध प्रदर्शन को पुलिस ने देखना था। अतिक्रमण तोड़ने के बाद वहां बवाल हुआ। अतिक्रमण तोड़कर जब टीम जा रही थी तब हमला हुआ है।
सवाल: अतिक्रमण तोड़ने का काम सुबह शुरू करना था तो शाम चार बजे से कार्रवाई क्यों शुरू की गई?
जवाब: समय से अतिक्रमण टूट गया था। बाद में उपद्रवियों की ओर से साजिश के तहत पथराव हुआ। इस मामले की पुलिस की ओर से विवेचना की जा रही है।
सवाल: अब्दुल मलिक के पीछे आप क्यों पड़े हैं? क्या कोई आपकी व्यक्तिगत रंजिश है या फिर कुछ और?
जवाब: अब्दुल मलिक से मेरी कोई रंजिश नहीं है। सभी क्षेत्र में बराबर कार्रवाई की गई है। कोई व्यक्ति पूरे इलाके को सौ रुपये के स्टांप पर बेच दे। सरकारी मशीनरी देखते रह जाए। क्या यह ठीक है? वैसे बताना चाहूंगा कि नगर निगम ने गंगापुर कब्डवाल में गोशाला के लिए 10.30 एकड़ जमीन कब्जे में ली, इसके अलावा भोलानाथ गार्डन, जैम फैक्टरी, नजाकत खान का बगीचा, मछली बाजार, बाजार क्षेत्र के अतिक्रमण पर भी कार्रवाई की गई है। सड़क चौड़ीकरण का भी काम किया जा रहा है लेकिन वहां तो किसी ने हिंसा नहीं की। यह भी गौर करना चाहिए।