मुंबई/तिरुवनंतपुरम, 14 फरवरी, 2024- हरित ऊर्जा पहल को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत के फॉर्च्यून 500 महारत्न ऊर्जा समूह, भारत पेट्रोलियम कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (सीआईएएल) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य कोच्चि हवाई अड्डे के परिसर के भीतर एक इंटीग्रेटेड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और एक फ्यूल स्टेशन स्थापित करना है, जो सस्टेनेबल ऊर्जा समाधानों के लिए बीपीसीएल की प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा।
इस दूरदर्शी सहयोग के जरिये भारत के पहले इंटीग्रेटेड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और हवाई अड्डे के भीतर एक फ्यूल स्टेशन स्थापित करने के लिए बीपीसीएल की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाएगा। एमओयू में कोच्चि हवाई अड्डे पर 1,000 किलोवाट की परियोजना की योजना की रूपरेखा भी शामिल है, जिसे 2025 में पूरा किया जाना है। ग्रीन हाइड्रोजन को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके पानी से उत्पादित भविष्य के ईंधन के रूप में जाना जाता है। यह बीपीसीएल के नेट ज़ीरो लक्ष्य के तहत स्कोप 1 और स्कोप 2 में उत्सर्जन को खत्म करने की योजना से भी मेल खाता है।
एमओयू हस्ताक्षर समारोह तिरुवनंतपुरम के विधान परिसर में केरल के माननीय मुख्यमंत्री और सीआईएएल के चेयरमैन श्री पिनाराई विजयन की विशिष्ट उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर श्री पी. राजीव, माननीय उद्योग मंत्री, डॉ. वी. वेणु आईएएस, मुख्य सचिव, केरल सरकार, बीपीसीएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री जी. कृष्णकुमार और बीपीसीएल और सीआईएएल दोनों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
बीपीसीएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री जी. कृष्णकुमार ने इस अवसर पर कहा, ‘‘आज का सहयोग सस्टेनेबल ऊर्जा समाधानों की दिशा में एक महत्वपूर्ण क्षण है। बीपीसीएल में हम भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ की महत्वाकांक्षी पहल को भी मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।’’
समझौते के तहत, बीपीसीएल कोच्चि हवाई अड्डे पर इंटीग्रेटेड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और ईंधन स्टेशन की स्थापना करने के साथ-साथ आवश्यक टैक्नोलॉजी प्रदान करेगा और परिचालन प्रबंधन की देखरेख भी करेगा। प्रारंभिक संयंत्र उत्पादन का उपयोग हवाई अड्डे के भीतर बिजली वाहनों के लिए किया जाएगा।
यह सहयोग दक्षिणी भारत में हरित हाइड्रोजन के साथ भारत के पहले ईंधन स्टेशन की स्थापना का भी प्रतीक है, जो टिकाऊ ईंधन बुनियादी ढांचे में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।