देहरादून :- चीड़ के पिरूल को लेकर सरकार ने कि बड़ी पहल, इससे जुड़े उद्यमियों को सरकार देने जा रही है ये सुविधाएं,,
देहरादून :- पहाड़ो पर चीड़ के पिरूल की अत्यधिक मात्रा जंगलों में बिखरी रहती है, जोकि ग्रीष्म ऋतु में बनाग्नि का सबब बनती है, ओर जहाँ भी चीड़ के जंगल है वहाँ अन्य पेड़ पौधे नही उग पाते, इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने चीड़ के पिरूल का निस्तारण के लिए बड़ी कार्ययोजना बनाई है, जो कि एक बहुत अच्छी पहल है, इससे स्थानीय लोगो को आजीविका का साधन उपलब्ध होंगे और पिरूल एक ईंधन के रूप में विकल्प बनेगा,
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने आज सचिवालय में पिरूल से आजीविका सृजन, वैकल्पिक ईंधन आदि के क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक विभिन्न उद्यमियों के साथ विचार विमर्श करते हुए उनके सुझाव मांगे। इस दौरान उन्होंने एक कॉर्पस फंड बनाए जाने के निर्देश दिए। सीएस ने उद्यमियों को शुरूआती सहायता प्रदान किए जाने हेतु पहले 5 सालों में उद्यमियों द्वारा दिए जाने वाले GST का 70% सब्सिडी दिए जाने के भी निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि इस दिशा में विभिन्न पर्वतीय प्रदेशों में प्रयोग हो रही बेस्ट प्रेक्टिसेज को भी प्रदेश में अपनाया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि पिरूल के ट्रांसपोर्टेशन में कोई समस्या न हो इसके लिए ई-रवन्ना जारी करते हुए इसकी ट्रांजिट फीस को न्यूनतम किया जाए। सीएस ने कहा कि ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाले ब्रिकेट्स/पैलेट्स की मार्केटिंग आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि वनों से पिरूल का अधिक से अधिक निस्तारण हो सके इसके लिए इसके विभिन्न उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने वन विभाग और एमएसएमई को इस दिशा में कार्य कर रहे उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों को हर सम्भव सहायता उपलब्ध कराए जाने की बात कही। बैठक में प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) श्री विनोद कुमार, सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, श्री विजय कुमार यादव एवं निदेशक उरेडा श्रीमती रंजना राजगुरू सहित पिरूल से सम्बन्धित विभिन्न उद्यमी उपस्थित थे।