prem pancholi
journalist dehradun
अलविदा मनहूस वर्ष 2020
अलविदा कहने से पहले कुछ कहना आवश्यक है। साल 2020 शायद कोई हो जिसके लिए शुकूनभरा रहा होगा। बस सियासत के लिए यह साल कुछ मायनो में अच्छा बताया जाता है। देश की सत्ता में काबिज भाजपा ने यह इतिहास लिखा कि कश्मीर से धारा 370 हटा दी और वर्षो से लम्बित राम मंदिर का ममला भी सुलटाया गया जैसे मामले यह इस देश के इतिहास में अमर होंगे।
यह भी इस देश के इतिहास में अमर कहानी होगी कि 2020 के 21 मार्च से तीन महिने का जो लाकडाउन लगाया गया, उसे कोई भूले नही भूलेंगे। वर्ष के अन्त तक आते आते कोरोना ने लोगो की जान पर जो खेल खेला, वह सभी के सामने है। मगर दिसम्बर 2020 आते आते एक नये कोरोना स्ट्रोन ने लोगो को फिर से दहशत में डाल दिया।
देश की 90 फिसदी जनता आज भी इस महामारी से उभर नहीं पा रही है। लोग आज भी डरे और सहमे हुए है। देश के मध्यम वर्ग से लेकर निम्न वर्ग के लोग इसी जुगाड़ में लगे हुए है कि यदि फिर से लाकडाउन की स्थिति देशभर में बनेगी तो वे अपने भोजन आदि की व्यवस्था कैसे जुटायेगी। उन्हे इस बात का भी मलाल है कि 2020 की कोरोना आपदा में अपने देश के खजाने में लोगो ने और दानदाता संस्थाओं ने बेतुक धनराशी जमा करवाई है। पर देश के आम नगरिक इस राहत से कोसो दूर रहे है।
कोविड-19 के इस दौर में सत्ता के गलियारो में खूब मौजमस्ती दिखाई दे रही है। सत्ता के नजदिकी लोग सिर्फ व सिर्फ बिमारी से डरे दिखाई दिये, किन्तु उन्हे भोजन इत्यादि की किसी भी प्रकार की चिन्ता ने नही सताया है। उदाहरणतः लाकडाउन के दौरान जिन पत्रकारो को खबरे लिखनी थी, वे राहत बांटते दिखाई दिये। यही नहीं अधिकांश पत्रकारो को मीडिया हाउसो ने बाहर का भी रास्ता भी इसी कोविड के कारण दिखा दिया है।
कुलमिलाकार आमनागरिको व मध्यम वर्गो के लिए साल 2020 बहुत ही कष्टदायक रहा है, जिसे वे कभी भी नही भूल सकते। भविष्य में कभी जब इतिहास पढा जायेगा तो 2020 की दर्दनाक घटनाऐं, भूख और रोजगार के बिना तड़पते लोगो की दर्दभरी कहानियां इस वक्त के घावो को उस पीढी के लोगो को एक बार नही कई बार चकित कर देगा।