” राष्ट्र और विश्व स्तर पर हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के विषय के साथ-साथ छाए रहे नव वर्ष, कोरोना काल, देशबंदी और कोरोना का टीका तथा बदलते मानवा मूल्यों और महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण ” आदि विषय ।
विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सीएसआईआर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून द्वारा एक काव्य पाठ का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान के रचनाकारों के साथ-साथ पंजाब, महाराष्ट्र तथा राजस्थान से भी हिंदी सेवी तथा हिंदी प्रेमी शामिल हुए। इस काव्य पाठ में वर्ष 2020, नववर्ष, कोरोना और हमारा जीवन तथा प्रकृति प्रेम आदि मुख्य विषय थे।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती जयति त्रिवेदी द्वारा रचित मां सरस्वती की वंदना के पाठ के साथ हुआ। तदुपरांत संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे ने विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए वैश्विक स्तर पर हिंदी के महत्व को परिभाषित करते हुए विदेशों में हिंदी भाषा संबंधी अपने अनुभवों को साझा किया तथा सभी को नव वर्ष और विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने अपने लगभग 30 वर्ष पुराने संस्मरण को साझा करते हुए बताया कि जब उन्होंने स्विट्जरलैंड के दुनिया के सबसे ऊंचे स्टेशन पर लगे एक बोर्ड पर हिंदी में लिखा हुआ देखा तो किस प्रकार उन्हें गौरव की अनुभूति हुई कि हमारे भारतीय हमारी हिंदी विश्व के सबसे ऊंचे स्टेशन पर भी स्थापित है,। प्रसिद्ध बांग्ला कवि सुकांत भट्टाचार्य जी की कविता के हिंदी अनुवाद का पाठ करते हुए कहा
हे महान जीवन
अब यह कविता का समय नहीं है
अब कठोर गद्य लाओ
पद्य के लालित्य को हटाकर
गद्य के कठोर हथौड़े चलाओ
भूख और पीड़ा के दायरे में
दुनिया गढ़ढ़े में है
पूर्णिमा का चांद आज
जैसे एक झुलसी हुई रोटी ॥
उन्होंने कहा कि हमें हताश होने की जरूरत नहीं है नया वर्ष है नए अवसर हैं इस कविता और इस काव्य पाठ का उद्देश्य ही है कि हमें इतना हताश होने की आवश्यकता नहीं है हमें मालूम है कि नए साल का जो समय आया है हम नई उमंग से नए उत्साह से प्रोत्साहन से यह जो वैक्सीन(टीका) आया है , उसके साथ सभी के आरोग्य की ओर देख सकते हैं परंतु हमें ‘सामाजिक दूरी’ तथा ‘मास्क’ का अनिवार्यत: पालन करना है और आगे बढ़ना है । इसके साथ ही विश्व के कोने-कोने तक फैली हुई और प्रतिष्ठित हमारी विश्व भाषा हिंदी का भी निरंतर प्रयोग करें और उसकी श्रीवृद्धि करें। इस काव्य पाठ के मुख्य अतिथि प्रोफेसर बलविंदर सिंह, जालंधर, पंजाब से तथा विशिश अतिथि डॉ श्रीमती हेमलता मिश्र मानवी, नागपुर महाराष्ट्र से तथा श्री तेजवीर सिंह, नागपुर, महाराष्ट्र से थे।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती हेमलता मिश्र मानवी ने विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा हिंदी सभी भारतीय भाषाओं का समेकित रूप है इसी पर उन्होंने अपनी कविता का पाठ करते हुए कहा
मेरे हिंदुस्तान की पहचान
मेरे भारत की आन और शान
वो हिंदी ढूंढ रही हूं,
देवांगन जन-मन की आवाज
देवनागरी लिपि की परिभाषा
जिसकी वर्ण व्यवस्था में
युगों – युगों का वैज्ञानिक संधान
वो हिंदी ढूंढ रही हूं।
नियति जिसमें सीता की जान
पीर में उर्मिला द्रौपदी गान
यशोधरा गांधारी की पुकार
शकुंतला तारामती की आन
वो हिंदी ढूंढ रही हूं
मेरे हिंदुस्तान की पहचान
मेरे भारत की आन और शान वो हिंदी ढूंढ रही हूँ
वह जिसमें मीरा की वाणी,
जिसमें गंगोत्री का गाणी,
महकती ग़ज़ल जफर की जहां
देश की संप्रभुता की जान
वो हिंदी ढूंढ रही हूं।।
इस काव्य पाठ के मुख्य अतिथि डॉ बलवेन्द्र सिंह, प्रोफेसर, डीएवी कालेज, जालंधर, पंजाब थे । उन्होने श्री तेजवीर सिंह, नागपुर से तथा श्रीमती हेमलता मिश्र ‘मानवी’ नागपूर से विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे ।
इस काव्य पाठ में संस्थान की डॉ सुमनलता जैन, संध्या जैन, ज्योति पोरवाल, नवीन मौर्य, श्री मधुरंजन पाण्डेय, डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ सुनील कुमार सुमन, ऋतुराज नेगी, विजेंदर सिंह, सुश्री प्रतीक्षा जोशी तथा केंद्रीय विद्यालय आईआईपी से श्री राजेश कुमार, अमित कपरूवान, छात्र कु महक भण्डारी, खुशी गौड़ और श्री नीरज यादव ने इस काव्य पाठ में भाग लिया।
विशिष्ट अतिथि श्री तेजवीर सिंह ने वर्तमान परिस्थितियों पर अपने भाव इस प्रकार व्यक्त किए :
हमने दुनिया का हर रंग देखा है
कभी अकेले तो कभी दोस्तों के संग देखा है
जो लुटाते रहे दोनों हाथ से उम्र भर
प्यार पाने में उनका हाथ तंग देखा है ।
सत्य और असत्य का धागा मापते रहिए
अपने पाप और पुण्य की मात्रा मापते रहिए
अगर चाहते हो लोगों के दिलों पर राज करना
तो हमेशा प्रेम की माला जपते रहिए ।
सुलगती ठंड में सुनहरी धूप का खिला अच्छा लगा
बिखरती भीड़ में जरूरी मित्र का मिलना अच्छा लगा
यकीन तो कीजिए आपकी दुआ से बमुश्किल बचे हैं
उखड़ती सांस में जखमी रूह का सिलना अच्छा लगा
पीर बहुत भारी हो गई थी इस नामुराद कोरोना की
सच नव वर्ष पर इस वेक्सीन का मिलना अच्छा लगा। ”
मुख्य अतिथि कवि डॉ। बलवेन्द्र सिंह ने कहा कि हिंदी प्रारम्भ से ही एक विश्व संस्कृति को जीती है, उसका प्रतिनिधित्व करती है । हिंदी अखिल ब्रह्मांड की संवेदनाओं को पूरे सामर्थ्य से अभिवायकट करती है । उन्होने अपनी कविता के माध्यम से किसान जीवन को कुछ यूं ब्याँ किया :
चला जाऊँ देर सवेर ठाकुर के सिरहाने होऊ खड़ा
या उम्र की ढलान पर लुढ़कते हुए
रघु मजूर के पलटाने बैठूँ
दिख ही पड़ूँगा कहीं भी फूँटते कल्लों में
उछाह भरे चैत्र वैशाख के
धान रोपाई के गीतों में
लहक लहक जाऊंगा
तूमे मुझे खोजना ।
जेठ दोपहरी के
चिलचिलाती घाम को
बरखा में भादों की
उलझी सी रतिया में
हृदय के ताप को
चौमासे की एंठन में
ठिठकी सी सांझ को
ढूँढने से पहले ही
पसीने की गंध में
महक महक जाऊंगा
तुम मुझे खोजना ॥
श्री जसवंत राय, प्रशासन नियंत्रक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । इस काव्य पाठ का संचालन संस्थान के वरिष्ठ हिंदी अधिकारी श्री सोमेश्वर पाण्डेय द्वारा किया गया। श्री देवेन्द्र राय तथा श्री सूर्यदेव तथा डॉ डी सी पाण्डेय ने इस आयोजन में मुख्य सहयोग दिया। इस काव्य पाठ में सीरी, पिलानी, नीरी, नागपुर तथा सीबी आरआई रुड़की और देहरादून की नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य कार्यालयों के प्रतिनिधि थे तथा केंद्रीय विद्यालय, आईआईपी की प्रधानाचार्य श्रीमती मिकी खुलबे भी उपस्थित थीं ।।