नई टिहरी। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद टिहरी बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर के लिए लाईफ लाइन साबित होने वाले डोबरा-चांठी पुल पर रविवार को वाहनों का ट्रायल सफल रहा। भारत में इस तरह का यह पहला भारी वाहन झूला पुल है। बताया जा रहा है कि कंसलटेंट की रिपोर्ट के बाद सरकार जल्द पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू करने को ग्रीन सिंगनल जारी करेगी।
निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक डोबरा-चांठी मुख्य झूला पुल के 440 मीटर स्पॉन पर कोरियाई कंसलटेंट, कार्यदायी संस्था, लोनिवि के अधिकारियों की मौजूदगी में साढ़े 15-15 टन वजन के 14 ट्रकों को दौड़ाया गया। साथ ही 30-30 मीटर की दूरी पर लोडेड वाहनों को स्टैण्डबाय रखा गया।
ट्रायल को सफल बताते हुए लोनिवि के ईई और प्रोजेक्ट मैनेजर एसएस मखलोगा ने कहा कि भारत में इस तरह का यह पहला भारी वाहन झूला पुल है। बताया कंसलटेंट की रिपोर्ट के बाद सरकार जल्द पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू करने को अपनी स्वीकृति जारी करेगी।
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14 साल से बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर, थौलधार और उत्तरकाशी के गाजणा पट्टी की दो लाख की आबादी के आवागमन को बन रहे डोबरा-चांठी पुल पर रविवार को वाहनों का ट्रायल किया गया। कोरिया के योसीन कॉरपोरेशन के कंसलटेंट जैकी किम के नेतृत्व में सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक वाहनों का ट्रायल किया गया।
जैकी किम अपनी टीम के साथ कंट्रोल रूम से वाहनों के भार से पुल पर पड़ने वाले दबाव की जानकारी लेते रहे। लोनिवि के ईई एवं पुल के प्रोजेक्ट मैनेजर एसएस मखलोगा ने बताया कि पुल पर वाहनों की लोड टेस्टिंग सफल रही है। बताया कि टॉवरों पर लगे स्टील सस्पेंडरों का अधिकतम डिफ्लेक्शन (नीचे की ओर झुकाव) 50 एमएम से अधिक नहीं होना चाहिए। इस दौरान सभी 14 वाहनों के लोड के बावजूद टॉवरों का नीचे को झुकाव यथावत रहा है। बताया कि इस माह के अंत तक पुल के शेष कार्यों को पूरा करवाया जाएगा।