हरिद्वार ,२ ओक्टोबर ,अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के अंतर्गत मोटा अनाज को बढ़ावा देने एवं भारत के दो राज्य उत्तराखंड और गुजरात की दो संस्कृतिओं का समन्वय करने के उदेश्य से हरिद्वार के जगाधारी अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट में स्नेह मिलन कार्यक्रम का आयोजन हरिद्वार गुज्जु परिवार द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें गुजराती गरबा एवं उत्तराखंड के व्यंजनों का सुंदर समन्वय देखनेको मिला|
उल्लेखनीय है की प्रधानमंत्री जी नरेंद्र भाई मोदी जी के आवाहन पर 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स या मोटा अनाज वर्ष के तौर पर घोषित किया गया है. केंद्र सरकार सहित विश्व भर की सरकार बढ़ चढ़कर इस अनाज को प्रोत्साहित कर रही है और इसके प्रचार और उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है. मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को धान के मुकाबले पानी की कम जरूरत पड़ती है और यूरिया एवं’ अन्य रसायनों की जरूरत नहीं पड़ती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में पैदा होने वाले मोटे अनाज में 41 प्रतिशत तक भारत में पैदा होता है। इसको खाने से वजन कंट्रोल होने के साथ डायबिटीज कंट्रोल होती है। मिलेट्स खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ये आसानी से पच भी जाते हैं। इनमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे फाइबर, प्रोटीन, फोलेट, आयरन और अमिनो एसिड । मिलेट्स एंटी एजिंग गुणों से भी भरपूर होते हैं। 2018 में भारत सरकार ने मोटे अनाज को पोषक अनाज की श्रेणी रखते हुए इन्हें बढ़ावा देने की शुरुआत की थी. मौजूदा समय में 175 से अधिक स्टार्टअप मोटे अनाज पर काम कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम में जगाधारी अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रेसिडेंट श्री रणजीत गोयल जी, ट्रस्टी डॉ. अश्वनी गोयल जी एवं हरिद्वार गुजराती परिवार के प्रमुख श्री राजेश पाठक जी के द्वारा दीपप्रज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई| श्री रणजीत गोयल जी ने बताया कि वह हरियाणा के निवासी है पर उत्तराखंड एवं गुजरात से उनका रिश्ता गहरा है| उत्तराखंड के राजकीय फूल बुरांश की चाय, आलू के गुटके एवं भांग की चटनी से अतिथियों का स्वागत किया गया| गुजराती गरबा से वातावरण में हर्ष उल्लास फ़ैल गया| उत्तराखंड के भोजन के साथ कार्यक्रम की पूर्णाहुति हुई जिसमें फाणु, बाजरा, झखीरा, जंगोरा आदि मोटे अनाज का उपयोग किया गया| कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शांतिकुंज आश्रम के श्री कीर्तन देसाईजी, जगाधारी अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट के श्री दिनेश शर्मा जी तथा हरिद्वार गुज्जु की कोर कमिटी के श्री राजेशभाई, प्रितेशभाई, मेहुलभाई, राजभाई आदि का विशेष योगदान रहा| इस अनूठे प्रयोग के लिए गुजरात के यशश्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेलजी ने विशेष शुभाशीष का परिपत्र भी प्रेषित किया| मंच संचालन देव संस्कृति विश्वविद्यालय के डॉ. राजेश्वरी एवं डॉ. पीयूष त्रिवेदी ने किया|