देहरादून :-चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक एवं पूर्व मंत्री धीरेंद्र प्रताप के संयोजन में हुई एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आज राज्य की कोरोना के चलते हालात और वर्तमान स्थिति और ओलावृष्टि के किसानों पर प्रभाव जैसी प्रमुख समस्याओं और प्रवासियों के उत्तराखंड आने का उत्तराखंड पर प्रभाव पर चर्चा हुई। जिस को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने तमाम उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को विश्वास दिलाया कि भाजपा सरकार के नेतृत्व में राज्य की एक करोड़ जनता के हित पूरी तरह से सुरक्षित है और चाहे कृषि क्षेत्र हो, बागवानी क्षेत्र के प्रवासियों का आना हो चाहे अस्पतालों में बीमार लोगों की इलाज की व्यवस्था हो हर मोर्चे पर सरकार रात दिन ईमानदारी से मेहनत पर लगी है और एक एक व्यक्ति की जान सरकार के लिए बहुत कीमती है। और हर व्यक्ति की जान और उत्तराखंड की शान को बचाने के सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जल्दी सरकार पैकेज लेकर आ रही है और प्रवासियों के यहां पर स्थाई व्यवस्था कैसे हो और जो रिवर्स पलायन हुआ जो प्रवासी वापस लौटे हैं उनको किस तरह से सरकार वहां पर स्थाई तौर पर रहने की व्यवस्था कर सके इस पर भी सरकार की इंदु पांडे के नेतृत्व वाली कमेटी गंभीरता से काम कर रही है। सरकारी आकलन के अनुसार राज्य को जो ₹7000 का नुकसान हुआ है ।हमें बहुत मेहनत करने की जरूरत है और उम्मीद है कि जैसे ही आपदा का यह दौर खत्म होगा। राज्य जल्दी फिर से खुशहाली के साथ खड़ा होगा। उन्होंने राज्य निर्माण आंदोलनकारियों से कहा कि उनके परिश्रम से राज्य बना है उसको बचाना सरकार का दायित्व है और सरकार इस कार्य के लिए प्रतिबद्ध है।इस गोष्ठी को संबोधित करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने जल जंगल, जमीन को लेकर कई सवाल उठाए और उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के लिए और गांव के रहने वाले लोगों के लिए बड़ी राहत राशि देनी चाहिए और इसी तरह शहर में लोगों को बिजली-पानी के बिल माफ होने चाहिए । video conferencing को उनके अलावा समिति के कई नेताओं ने जिनमें समिति के अध्यक्ष हरिकिशन भट्ट कार्यकारी अध्यक्ष अनिल जोशी विजेंद्र पोखरियाल श्रीमती अरुणा थपलियाल श्रीमती उमा जोशी, शोभाराम नौडियाल डॉक्ट जे एस चौहान प्रेम बहुखण्डी,जयप्रकाश उत्तराखंडी मनमोहन शाह, दिग मोहन नेगी अरुणा थपलियाल उमा जोशी पत्रकार कैलाश जोशी, राजेश्वर पैन्यूली बाल गोविंद गोपाल समेत अनेक लोगों ने संबोधित किया और सभी लोगों ने कोरोना के इस भीषण आपदा के दौर में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का संकल्प घोषित किया।कांफ्रेंस के संयोजक धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन कारियों ने ₹778000 की सरकारी कोष में मदद की है और उन्होंने राज्य के 12 जनपदों से अपील की है क्योंकि जो ब इस जो पेंशन आ रही है उसका एक हिस्सा जरूर राज्य के सहयोग के लिए दें जिससे कि संदेश जाए कि जिन लोगों ने उत्तराखंड राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वह आज भी पीछे नहीं हट रहे हैं और राज्य की जनता को बचाने के लिए पूरा सहयोग कर रहे है। उन्होंने ग्राम प्रधानों पर दी गई जिम्मेदारी के लिए कहा कि सरकार को कम से कम ₹200000 का तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान को देनी चाहिए जिससे कि जो प्रवासी राज्य में आ रहे हैं उनकी गांव में ठीक से हिफाजत हो सके उनके भोजन पानी और रहने की व्यवस्था हो सके ।उन्होंने ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के पैकेज की मांग की और इसके साथ-साथ उन्होंने सुझाव दिया कि ब्लॉक स्तर पर राज्य के ब्लॉक हैं और गांव हैं उनको बचाने के लिए “कोरोना शंकर समितियों” का गठन होना चाहिए और इन कोरोना संघर्ष समितियों में दलों का कोई प्रतिबन्ध ना होकर यह समितियां, उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन की तर्ज पर सर्वदलीय समितियां होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि राज्य आज संकट से गुजर रहा है और उत्तराखंड के सारे लोग चाहे उत्तराखंड में रहने वाले हो देश के किसी भी कोने में रहने वाले लोग हैं वह सब एक साथ एकजुट खड़े हैं। उन्होंने जो प्रवासी अपने गांव में लौट रहे हैं उनकी मदद करने के लिए भी उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन कारियों को आगे आने का आह्वान किया ।करीब सवा घंटे चली गोष्टी में करीब दो दर्जन से अधिक वक्ताओं ने प्रतिभाग किया। और यह वक्ता मसूरी देहरादून उत्तरकाशी, हल्द्वानी दिल्ली फरीदाबाद नोएडा और देहरादून , उत्तरकाशी बागेश्वर पिथौरागढ़ नैनीताल उधम सिंह नगर चमोली रुद्रप्रयाग और देश के हिस्सो और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से शामिल हुए।