सीएसआईआर-भापेसं ने अपने प्रांगण मे 11 मई को राष्ट्रिय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया। मई 1998 के पोखरण मे सफल परमाणु परीक्षण की याद मे, भारत की प्रौद्योगिकीय सफलता और इस से जुड़े सभी व्यक्ति विशेष की भागीदारी और सहभागिता को सम्मानित करने के लिए हर वर्ष 11 मई को राष्ट्रिय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। इस कार्यक्रम मे डॉ आर के शर्मा, प्रमुख ससटेनेबलीटी एवं उपाध्यक्ष इंडिया ग्लाइकॉल्स लिमिटेड तथा श्री रजत जैन, संस्थापक एवं सीईओ सनफोक्स टेकनोलोजीस ने मुख्य तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में शिरकत की।
निदेशक सीएसआईआर-भापेसं प्रो. आर प्रदीप कुमार ने कार्यक्रम के मुख्य एवं विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत कर सभागार मे उपस्थित सभी कर्मचारी एवं वैज्ञानिकों को बधाई देते हुये अपने स्वागत भाषण के ज़रिये यह अवगत कराया की हमे ऐसी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए जो की मानव और इस समाज के लिए लंबे समय तक कल्याणकारि हो। उन्होने बताया की प्रौद्योगिकी का विकास किसी एक व्यक्ति विशेष के प्रयासों से संभव नहीं हो सकता और इसीलिए हमे हर उस व्यक्ति की साझेदारी और योगदान की सराहना कर उन्हे धन्यवाद देना चाहिए, जिन की बदौलत वह प्रोद्योगिकी आज हमे इतनी सहज तरीके से उपलब्ध हो रही है। उन्होने सीएसआईआर- भापेसं के द्वारा हाल ही मे विकसित उन सभी प्रौद्योगिकियों की सराहना की जो की आज राष्ट्र और समाज निर्माण मे अग्रसर है।
डॉ सौमेन दासगुप्ता, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक सीएसआईआर-भापेसं, ने कार्यक्रम की नीव रखते हुए सीएसआईआर-भापेसं द्वारा विकसित बायोगॅस उन्नयन, मेडिकल ऑक्सिजन एवं हीलियम प्रॉडक्शन की तकनीकियों का संक्षिप्त ब्योरा प्रस्तुत किया। इसके पश्चात कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री रजत जैन, संस्थापक सनफोक्स टेकनोलोजीस (उभरते हुए युवा उद्यमी), ने अपने व्याख्यान मे उपस्तिथ सभी श्रोताओं को अपने नए उपक्रम – स्पंदन के बारे मे बताते कहा की यह तकनीकी हृदय आघात की सटीक जानकारी मोबाइल फोन पर उपलब्ध करती है, जिस से समय रहते व्यक्ति अपने लिए उपयुक्त चिकत्सीय सहायता प्राप्त कर सकता है। उन्होने युवा उद्यमियों की चुनौतियों के बारे मे बताते हुये सब को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया। तद्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ आर के शर्मा ने इंडिया ग्लाइकॉल्स लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे स्पैशलिटी केमिकल्स का ब्योरा देते हुये आगे आने वाले समय मे राष्ट्र निर्माण मे उपयोगी उनके प्रयासों को इंगित किया। उन्होने देश मे उपलब्ध बायोमास संसाधनो से ईथीलीन ऑक्साइड बनाने के अपने अनूठे मार्ग का विधिवत प्रस्तुतिकरण किया। उन्होने यह भी बताया की यह प्रौद्योगिकी देश को क्रूड ऑइल के आयात को कम करने मे सहयोगी है। उन्होने इस बात पर भी ज़ोर दिया की हमारा यह प्रयत्न होना चाहिए की हर प्रौद्योगिकी ऊर्जा दक्ष के साथ साथ टिकाऊ भी हो जिस से देश को और जल्दी आत्मनिर्भर बनाया जा सके। कार्यक्रम के अंत मे डॉ जी डी ठाकरे, वारिष्ट प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख आयोजन समिति ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री सोमेश्वर पाण्डेय द्वारा किया गया।