
यमकेश्वर विकास खंड में ग्राम सभा कांडी से संलग्न ग्राम अमगांव के स्व० कविराज रामकृष्ण बडोला “वैद्य” जिनकी अब केवल स्मृतियाँ ही शेष हैं हिंदी और गढ़वाली में बडोला जी की कई रचनाएं पुस्तकें प्रकाशित हैं.इनमें ‘धर्मघात’ और ‘मंथरा के राम’ काफी चर्चित रही. धर्मघात में जहाँ रूढ़ीवादी समाज पर चोट की गयी वहीँ मंथरा के राम पुस्तक में मंथरा के प्रचलित नकारात्मक चरित्र को सकारात्मक चरित्र में दर्शाया गया. जो एक नया प्रयोग साबित हुआ. कांडी में लम्बे समय तक स्व० बडोला जी ने चिकित्सा क्षेत्र में कार्य किया बाद में स्वास्थ्य ख़राब होने पर चिकित्सा कार्य अपने चिकित्सक पुत्र डॉ मधुसुदन बडोला को सौप दिया और खुद लेखन कार्य में जुट गए थे.
साहित्यिक उपलब्द्धियां —
१- मंथरा के राम (हिंदी खंड काव्य )
२-कालचक्र(हिंदी कविता संग्रह)
३-धरम घात(गढ़वाली कविता संग्रह)
इसके अनेक अतिरिक्त पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं ,आलेख प्रकाशित होते रहे साथ ही आकाशवाणी नाजिबाबाद से भी कवितापाठ का भी प्रसारण करते रहे. महाकवि कालिदास पर भी उनका अध्ययन गहरा था कालिदास पर भी उनके शोध आलेख की चर्चा खूब रही. बडोला जी ढेरों रचनाएं अभी भी अप्रकाशित हैं लेकिन उनकी देख रेख सही ढंग से नहीं हो पायी.