देहरादून

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी से समानित युवा कवि हरीश कंडवाल ‘मनखी’ की कविता चोरी, जानिए कौन है आरोपी.?  

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी से समानित युवा कवि हरीश कंडवाल ‘मनखी’ की कविता चोरी, जानिए कौन है आरोपी.?

देहरादून। चोरियां तो आपने बहुत सुनी होंगी उनके खुलासे भी देखे होंगे लेकिन क्या कभी आपने यह सुना है कि कविता और कहानियां भी चोरी होती हैं। सुना होगा तो बॉलीवुड की मसाला खबरों में लेकिन उत्तराखंड में भी ऐसा ही एक मामला हुआ है।

जी हाँ गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी से सम्मानित युवा कवि हरीश कंडवाल ‘मनखी’ द्वारा लिखी एक कविता चोरी हो गई है । युवा कवि  ‘मनखी’ का आरोप है यह कविता उन्होंने नए साल के मौके पर लिखी थी।  इस कविता को उन्होंने अपनेे परिजनों को भेजा था। आज उन्हें जानकारी मिली कि उनकी कविता को कोई ब्यक्ति ने अपने नाम से लोगों को भेज रहा है।

हरीश कंडवाल ‘मनखी’ कहते हैं ये कविता मैंने पहली जनवरी को लिखी थी जो व्हाट्स एप और सोशल मीडिया के माध्यम से सभी स्वजनों तक पहुचायी थी, जो कि आप सभी ने पढ़ी है, कमेंट लाइक और शेयर भी किया था। मुझे हैरत तब हुवा जब रेडियो खुशी की एक परिचिति आर जे ने बताया कि मेरी कविता किसी ने दो चार शब्द परिवर्तन करके उसको अपने नाम से रिकॉर्ड करने के लिए भेजी है, जबकि उन आर जे को मैं हमेशा अपना हर लेख कविता नियमित भेजता हूँ, उन्होंने मुझे कहा कि आपकी सेम कविता मेरे पास अपने नाम से किसी और ने भेजी है। अब बताओ कि ऐसे साहित्यक प्रेमी मित्रों को क्यां कहा जाय। क्या अपने लेख अपने सोशल मीडिया में नही डाले जाय। क्या अपने साथियों के साथ शेयर ना किया जाय। आप सभी इस बात के गवाह हैं कि यह रचना किसकी है। आखिर ऐसा करके क्या मिलता है। हमारी एक कविता अपने नाम से लगाने से हमारा हुनुर तो अपने नाम नहीं कर सकते हो।

नै साल मा हो त कुछ इन हो।।

घर एथर लैंदी गौड़ी हो
दूध न डखुळी भरी हो
नाज न कुठार भर्या हो
एथर पैथर सगवाड़ी हो
नै साल मा हो त कुछ इन हो।।

ग्वाठ मा बल्द बन्ध्या हो
बांझ पुंगड़ी फिर आबाद हो
द्वार मोर जू बंद छन उ खुल्या हो
गस ख़या द्यो दयवतो तै धूपणु हो
नै साल मा होत कुछ इन हो।।

घी दूध खूब चखळ पखळ हो
पल्यो, छछवड़ी, खीर रस्यांण हो
बारा मैना नाज भर्या खलयाण हो
मिठे मा अरसों भरी डुलणी हो
भट्ट, ग्यो, भंगुल, मुंगरी भुज्याण हो
नै साल मा होत कुछ त इन हो।।

बगत पर बरखा पाणी हो
बार त्यौहार मा उलयार हो
सब्यूँ मुखड़ी मा चलक्वास हो
झूठ की हार सच की जीत हो
नै साल मा हो त कुछ इन हो।।

मनखयूं मा मन्ख्यात हो
अपणी दूध बोली मा बात हो
सब राजी खुशी राव, इन भाव हो
2021 मा कोरोना से मुक्ति मिलो
पैली जणी इनि ब्यो बरात हो
नै साल मा कुछ हो त इन हो।।
नै साल आप सब्यूँ तै भौत भौत बधे हो।

©®@ हरीश कंडवाल मनखी कलम बिटी।

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