यू ही नही बोलते उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस:कोरोना पॉजिटिव होने के बाद ठीक होकर भी जरूरतमंद को किया अपना प्लाज्मा डोनेट,
” परहित सरिस धर्म नहिं भाई।पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।”
श्री प्रमोद शाह जी पुलिस उपाधीक्षक ,नरेन्द्र नगर
उत्तराखंड उनकी फेसबुक वॉल से साभार,
देहरादून/रुड़की :- विश्वव्यापी कोविड19 से पूरा विश्व हाल बेहाल है। अधिकतर देश इससे अब उभरने लगे है। इससे भारत वर्ष भी अछूता नही रह। पूरा देश कोरोनाकाल मे बंधक सा बन गया था। देश की सरकारो ने भी हर फ्रंट पर मोर्चा संभाला और अपनी जनता का ध्यान रखा। और आज धीरे धीरे काम धंधे खुलने सुरु हो गए है। ऐसे में हमारे देश की पुलिस ने अपना कार्य बेहतरीन जिम्मेदारी के साथ निभाया। अपने फर्ज की नॉकरी करते देश मे कई पुलिस अधिकारी,व जवान भी कोरोना की चपेट में आये। जिनमे कुछ भाग्यशाली रहे जो इस विमारी से लड़कर ठीक होकर घर आये। कुछ इस भयंकर विमारी से कालग्रस्त भी हुए । इस दौरान पुलिस ने सामाजिक, कार्य के साथ साथ पशु,पक्षी, ओर केंद्र सरकार के आदेशों का कड़ाई से पालन भी करवाया। जिससे इस विमारी पर कंट्रोल बना रहा।
ऐसे ही हमारे प्रदेश उत्तराखंड पुलिस के इंस्पेक्टर राजेश शाह जी है। ये कोतवाली रुड़की में तैनात हैं।
जो अगस्त प्रथम सप्ताह में पुलिस की फ्रंटलाइन सेवा के कारण, परिवार सहित कोरोना पॉजिटिव हो गए, डॉक्टरों की जरूरी परामर्श और सावधानी के बाद पुन: नेगेटिव और स्वस्थ होकर, अपनी व्यस्त पुलिस सेवा में मशगूल हो गए थे।
इनका ब्लड ग्रुप ए .बी पॉजिटिव था । इनके इस ब्लड ग्रुप को लेकर नियति इनकी मानवीय संवेदनाओं की परीक्षा लेने के लिए आतुर थी।
28 सितंबर को इन्हें दून अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों ने संपर्क किया कि उनका मरीज कोरोना से अत्यधिक पीड़ित हैं. उन्हें तत्काल उपचार के लिए कोरोना वायरस से मुक्त हुए मरीज की प्लाज्मा की आवश्यकता है। पुलिस की इमरजेंसी सेवा के कारण तत्काल प्लाज्मा, देने की इच्छा के बाद भी यह इंसान देहरादून नहीं जा पा रहे थे। इसके लिए उन्होंने अपने साथियों से टेलिफोनिक संपर्क किया, अपने फेसबुक प्रोफाइल पर ए.बी पॉजिटिव प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई सकारात्मक जवाब कहीं से नहीं मिला ,उधर मरीज की स्थिति क्रीटिकल हो रही थी । अब उनके परिजनों का निवेदन रुदाली में बदल रहा था ।
राजेश साह के भीतर का संवेदनशील इंसान बेचैन हो रहा था ।शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर भी एक अलग दबाव था। इन दबावो के बाद भी 30 सितंबर की अपराहन मरीज की पीड़ा की अनदेखी उनसे ना हो सकी । उन्होंने तब तत्काल अपने उच्चाधिकारियों से अनुमति लेकर दून अस्पताल देहरादून पहुंचकर 3 घंटे के भीतर मरीज जिसे प्लाज्मा की तत्काल आवश्यकता थी, को प्लाज्मा डोनेट कर बहुत शकून से वापस अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली ।
इंस्पेक्टर राजेश साह का मानवीय संवेदनाओं से भरा यह फैसला न केवल उन्हें शकून दे रहा है, बल्कि उत्तराखंड पुलिस के लिए भी गर्व का विषय है। उन्होंने फिर साबित किया कि उत्तराखंड पुलिस के अधिकांश कर्मचारियों में मानवीय संवेदना का स्तर बहुत ऊंचा है। हमें तुम पर नाज है,