चीन की तरह पर्यटकों के लिए तैयार हुआ बिहार का पहला ग्लास ब्रिज
पटना-:चीन में कांच के बने पुल (ग्लास ब्रिज) के बारे में आपने कई बार सुना होगा। फोटो और वीडियो भी देखें होंगे। इसे करीब से देखने और इस पर चलने की हसरत भी रही होगी। तो, आपकी ये हसरत जल्द ही पूरी होने वाली है। पांच पहाड़ियों से घिरी बिहार के राजगीर में ग्लास ब्रिज बन कर तैयार हो गया है। इसे नये साल में पर्यटकों के लिए खोला जाएगा।
चीन की तरह पर्यटकों के लिए तैयार हुआ बिहार का पहला ग्लास ब्रिज (85 फुट लंबाई , 06 फुट चौड़ाई) अभी से ही लोगों का मन मोह रहा है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल राजगीर में जाड़े के दिनों में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस बार उन्हें यहां अलग ही रोमांच का अनुभव होगा। यहां के घने जंगलों में नेचर सफारी ( 500 एकड़ में) बनाया जा रहा है।
यहीं पर आपको मिलेगा ग्लास स्काइ ब्रिज, जो लगभग तैयार हो चुका है। यह पूरी तरह से शीशा और स्टील के फ्रेम से बना है।
250 फुट की ऊंचाई पर बने इस ट्रांसपैरेंट ब्रिज पर चलना रोमांचकारी अनुभव होगा। इस पर चलते हुए लोग खुद को हवा में तैरता हुआ महसूस करेंगे। इस ब्रिज को चीन के हेबई प्रांत के एस्ट तैहांग में बने स्काइ वॉक के तर्ज पर बनाया गया है। यह बिहार का पहला और देश का दूसरा ब्रिज है। देश का पहला ग्लास स्काइ ब्रिज सिक्किम के पोलिंग में है। उम्मीद है कि नये साल के मार्च तक यह आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा।
इस ग्लास ब्रिज को चीन में बने 120 मीटर ऊंचे कांच के पुल की तर्ज पर बनाया गया है। इस पुल पर चलते हुए आप अपने कदमों के नीचे की धरती को भी आसानी से देख पाएंगे। बता दें कि नये साल में बिहार को बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है। राजगीर में वेणुबन के अंतगर्त जू सफारी और नेचर सफारी का शुभांरभ होगा। सातवीं बार बिहार के बागडोर संभालने के 16 दिन बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां का दौरा कर निरीक्षण किया था। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में जाना जाता है।
यह ग्लास ब्रिज भी उसी का हिस्सा है। इसका काम लगभग पूरा हो चुका है जिसके ऊपर आप चलकर काफी रोमांचित महसूस करेंगे। इसके साथ-साथ यहां पर रत्नागिरि पर्वत पर अत्याधुनिक आठ शीटर रोप वे का भी निर्माण किया जा रहा है जिससे बहुत जल्दी आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। यह वेणुवन विहार भगवान बुद्ध से जुड़े अनुयायियों के लिए काफी महत्व रखता है। इसी वेणुवन में भगवान बुद्ध ने राजगीर में वर्षों तक निवास किया था।